ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-11


ऐलनाबाद उर्फ खारियाल की दिलचस्प कहानी
 
विधानसभा उपचुनाव 2021 के कारण ऐलनाबाद आजकल देश-प्रदेश की चर्चा में बना हुआ है। वैसे तो भारत के ज्यादा शहरों के नाम हिंदी-संस्कृत या उर्दू-फ़ारसी शब्दों पर आधारित हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि ऐलनाबाद शब्द, हिंदी-संस्कृत या उर्दू-फ़ारसी से नहीं निकला बल्कि यह एक अंग्रेजी शब्द है।


आज हम राजनीति चर्चा को छोड़कर ऐलनाबाद शहर के इतिहास और भौगोलिक स्थिति पर चर्चा करेंगे।

दरअसल ऐलनाबाद शहर की स्थापना ब्रिटिश शासन के दौरान हिसार के कमिश्नर रहे रॉबर्ट हच ने की थी। रॉबर्ट हच की पत्नी एलेना शिकार करने की बेहद शौकीन थी। हिसार कमिश्नरी के तहत आने वाली खारियाल जगह में उस समय घास और पौधे प्रचुर मात्रा में थे।  यहाँ घग्घर नदी भी बहती थी। अतः पानी और घास आदि की उपलब्धता के चलते यहाँ अनेक प्रजातियों के बहुत सारे जानवर भी विचरण करते थे। यह सारा माहौल किसी भी शिकारी के लिए आदर्श था। इसके चलते कमिश्नर रॉबर्ट हच की पत्नी एलेना अपने संगी-साथियों के साथ यहाँ अक्सर शिकार करने आती रहती थी।


एक बार एलेना जब गर्भवती थी तो वह शिकार करने के लिए अपने साथियों के साथ यहाँ शिकार करने आई हुई थी। शिकार करते-करते एलेना को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। यह देखते ही उसके साथी उसे खारियल जगह पर ले आये। खारियल निवासियों ने इस मौके पर एलेना की देखभाल इस तरह की मानो वह उनकी पारिवारिक सदस्य हो। जब उसका स्वास्थ्य सामान्य हुआ और वह नवजात शिशु को लेकर हिसार पहुँची तो उसने पूरा प्रकरण अपने कमिश्नर पति रॉबर्ट हच को बताया। एलेना खारियल निवासियों की सेवा-सुश्रुषा से इतनी अभिभूत थी कि उसने रॉबर्ट हच को खारियलवासियों की बेहतरी के लिए कुछ प्लानिंग करने की सलाह दी।



यह सब जानकर और इस इलाके की भलाई के लिए रॉबर्ट हच ने खारियाल के पास घग्घर नदी के उत्तर में एक शहर की स्थापना की और अपनी पत्नी के नाम पर उसका नामकरण कर दिया 'ऐलनाबाद'! पीले रंग वाली प्रसिद्ध एलेना कोठी अब भी मौजूद है जिसमें मैडम एलेना निवास करती थी।


तो यह थी कहानी खारियाल की ऐलनाबाद बनने की।


सिरसा शहर से 43 किलोमीटर पश्चिम में पड़ने वाला ऐलनाबाद शहर ऐलनाबाद विधानसभा का सबसे बड़ा कस्बा है। इसे अभी तहसील का दर्जा प्राप्त है। यह विधानसभा क्षेत्र वैसे तो राजस्थान से जुड़ा हुआ है लेकिन पंजाब की सीमा भी कोई ज्यादा दूर नहीं है। इसके चलते यहाँ मिली जुली हरयाणवी, राजस्थानी और पंजाबी कल्चर देखने को मिलती है। अतः यहाँ हिंदी, पंजाबी भाषा और हरयाणवी और राजस्थानी बोली का बोलबाला है। यहाँ पर हिन्दू और सिख समुदाय की बहुतायत है और दोनों समुदाय आपस में बड़े प्रेम-प्यार से रहते हैं।


एक और खास बात यह है कि बाकी हरियाणा  मुख्यतः देशवाली क्षेत्र (रोहतक, झज्जर, सोनीपत, जींद और हिसार के कुछ इलाके) में खेती की जोतें बहुत छोटी हो गई हैं। लेकिन ऐलनाबाद क्षेत्र में बड़ी-बड़ी जमीनों वाले किसान बहुतायत में हैं। इसका असर यह है कि देशवाली निवासियों का ध्यान सरकारी-गैर सरकारी नौकरियों की तरफ ज्यादा रहता है। क्योंकि खेती करने लायक जमीन बहुत कम बची है, मगर अभी ऐलनाबाद में लोगों की आजीविका मुख्यतः कृषि आधारित है। ऐसे में कृषि पर आधारित इलाके में नए कृषि कानून, कृषकों के दिलोदिमाग पर क्या प्रभाव डालते हैं यह तो 2 नवम्बर 2021 (जिस दिन उपचुनाव के नतीजे आएंगे) को ही पता चलेगा। तब तक उपचुनाव के चुनावी लटके-झटकों का मजा लेते रहिये।


चलते-चलते


क्या आप जानते हैं कि ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र में दो अमृतसर हैं। जी हाँ यहाँ पर अमृतसर खुर्द और अमृतसर कलां नामक दो गाँव हैं।

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क्रमशः

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