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क्या लखीमपुर खीरी वाटरलू साबित होगा ? -चौथा चरण

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उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 पर विशेष श्रृंखला-4 यूपी के चौथे चरण में 9 जिलों, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, फतेहपुर और बांदा की 59 विधानसभा सीटों पर 23 फरवरी को मतदान हुआ। इस दौरान कुल 61.65 प्रतिशत वोट डाले गए। पीलीभीत और लखीमपुर खीरी जिलों में सबसे अधिक मतदान 67 प्रतिशत से अधिक हुआ। सबसे कम वोट उन्नाव जिले में 57.73 प्रतिशत पड़े हैं। लखीमपुर खीरी इस चरण में निर्णायक साबित होगा। लखीमपुर खीरी यानी किसान आंदोलन में शर्मनाक कांड का गवाह जिला। जहाँ तीन अक्तूबर 2021 को भारत के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के पुत्र आशीष मिश्र मोनू ने तिकुनिया में आंदोलन करके वापस लौट रहे 4 किसानों और कवरेज कर रहे एक पत्रकार को योजनाबद्ध तरीके से कुचलकर मार डाला था, प्रतिहिंसा में तीन व्यक्ति मारे गए। इस वीभत्स कांड का पूरे देश में व्यापक विरोध हुआ। पहले तो सरकार और पुलिस यह मानने को तैयार ही नहीं थी कि इसमें आशीष मिश्र मोनू का कोई हाथ है लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा फटकार लगाई गई और कोर्ट के निर्देश पर एक एसआईटी बनाई गई। इस एसआईटी ने कहा कि

पहले चरण के ट्रेंड का ही विस्तार है दूसरा चरण

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 उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 पर विशेष श्रृंखला-3 उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 14 फरवरी को 9 जिलों सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, बदायूं और शाहजहांपुर, की 55 विधानसभा सीटों पर कुल 586 प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में बन्द हो गई। इस क्षेत्र में पश्चिमी यूपी के तीन और रुहेलखंड के 6 जिले आते हैं। इन नौ जिलों में मुरादाबाद ग्रामीण, मुरादाबाद नगर, कुन्दरकी, बिलारी, चंदौसी, असमोली, संभल, सुआर, चमरुआ, बिलासपुर, रामपुर, मिलक, धनेरा, नौगाव सादत, बेहट, नाकुर, सहारनपुर नगर, सहारनपुर, देवबंद, रामपुर-मनिहरण, गंगोह, नाजिबाबाद, नगीना, बरहापुर, धामपुर, नेहटौर, बिजनौर, चांदपुर, नूरपुर, कांठ, ठाकुरद्वारा, अमरोहा, हसनपुर, गुन्नौर, बिसौली, सहसवान, बिलसी, बदायूं, शेखपुर, दातागंज, बहेरी, मीरगंज, भोजीपुरा, नवाबगंज, फरीदपुर, बिथारी चैनपुर, ओनला, कतरा, जलालबादतिहार, पोवायण, शाहजहांपुर और ददरौल नामक 55 विधानसभा सीटें हैं। विधानसभा चुनाव 2017 में इस चरण वाली सभी 55 सीटों में से बीजेपी को 38, समाजवादी पार्टी को 15 और कांग्रेस को 2 सीटें मिली थी

क्या स्थिर सरकार मिल पायेगी गोवा को ?

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 मुठ्ठी भर लोगों की मुठ्ठी में है सत्ता की चाबी Februay Edition of Chankaya Mantra "हम गोवा में पिछले 20-25 वर्षों से रह रहे हैं अतः हमने सोचा कि दो-तीन महीने के अंतराल में सभी मिलकर गेट टुगेदर किया करेंगे। ऐसी तीन-चार मीटिंग हुईं जिनमें हर बार लगभग 200-250 लोगों ने हिस्सा लिया। हमारा उद्देश्य सिर्फ इतना ही था कि सब मिलकर पारिवारिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करेंगे। सिर्फ इतने से लोगों की इन मीटिंग्स का गोवा के राजनैतिक गलियारों में ऐसा प्रभाव पड़ा कि हर राजनीतिक दल ने हमसे संपर्क साधना शुरू कर दिया और वे हमें अब काफी गम्भीरता से ले रहे हैं।"  यह कहना है हरियाणा मूल के उन लोगों का जो व्यापार या नौकरी करने के लिए पिछले कुछ समय से गोवा में बस चुके हैं। अब वे वहीं के स्थाई निवासी हैं। हरियाणा से इस तरह के 3-4 हजार लोग गोवा में स्थाई रूप से बस गए हैं। जब इन मुठ्ठी भर लोगों से ही गोवा की राजनीति में असर पड़ सकता है तो हम चाणक्य मंत्र के पाठकों को यह  समझाने की कोशिश करेंगे कि गोवा के राजनीतिक हालात थोड़े से ही मतदाताओं से कैसे प्रभावित होते हैं। लेख में य

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