गुजरात में बोए गए थे इमरजेंसी के बीज
This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page. (इमरजेंसी 25 जून पर विशेष लेख) घनश्यामभाई ओझा (R) इंदिरा गांधी , चिमनभाई पटेल(L) क्या था ओझा और पटेल का विवाद गुजरात का भजनलाल किसे कहा जाता है मेस के खाने ने सरकार को कैसे झुकाया क्यों बनी नव निर्माण युवक समिति जेपी नारायण का गुजरात कनेक्शन भारत में इमरजेंसी 25 जून 1975 की रात को घोषित की गई थी। देश को अगले दिन यानी 26 जून को इसका पता चला था। उसी दिन को ध्यान में रखकर तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के बॉर्डरों पर धरनारत किसानों ने 26 जून को काला दिवस मनाने की घोषणा की है। हालांकि 25-26 जून 1975 की रात को इमरजेंसी अचानक घोषित कर दी गई लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि इसको लगाने के लिए परिस्थितियां उसी समय ही बनी हों। धारणा यह है कि इमरजेंसी इलाहाबाद हाईकोर्ट के 12 जून 1975 के उस फैसले का परिणाम थी जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के रायबरेली के लोकसभा चुनाव को अवैध घोषित कर दिया गया था। यह भी माना जाता है कि बिहार में जेपी नारायण के आंदोल