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आखिर कितना उलटफेर कर पाएंगे ओमप्रकाश चौटाला

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.  (चौटाला की जेल से रिहाई पर विशेष लेख) इनेलो और ओमप्रकाश चौटाला का स्वर्णकाल सीटें घट गईं पर वोट प्रतिशत स्थिर रहा मोदी मैजिक, चौटाला को जेल के दौरान इनेलो का प्रदर्शन जेल ने नहीं बल्कि परिवार ने तोड़ डाली इनेलो क्या चौटाला फूँक पाएंगे इनेलो में प्राण किसान आंदोलन का कैसा रहेगा इनेलो पर असर 23 जून 2021 को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और इंडियन नेशनल लोकदल के सही मायनों में संस्थापक ओमप्रकाश चौटाला की तिहाड़ जेल में सजा पूरी हो गई और 2 जुलाई 2021 को उन्होंने जेल में जाकर इस बारे में कागजी कार्यवाही पूरी कर दी। इसके साथ ही उनका जेल से पूरी तरह से पिण्ड छूट गया (हालांकि कोविड-19 के संक्रमण के चलते वे काफी समय से जेल से बाहर ही थे)। गौरतलब है कि चौटाला जेबीटी शिक्षकों की भर्ती में अनियमितताओं के जुर्म में 2013 से 10 साल की सजा काट रहे थे। जेल जाने से पहले पिछले लगभग 25 वर्षों तक हरियाणा की राजनीति में एक धुरी रहे ओमप्रकाश चौटाला अब फिर से राजनीति के मैदान में अपने जोहर दिखाने के लिए प

अलविदा चैम्पियन उड़न सिख

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.   (उड़न सिख मिल्खा सिंह के निधन पर विशेष) पाकिस्तान क्यों नहीं जाना चाहते थे मिल्खा सिंह क्या मिल्खा सिंह कभी अपराध में जेल गए थे  जीतने की खुशी में क्या मांगा था जवाहरलाल नेहरू से मिल्खा सिंह को उड़न सिख नाम किसने दिया मिल्खा सिंह ने अर्जुन पुरस्कार लेने से मना क्यों कर दिया था कुछ लोगों की बेहूदा मानसिकता के कारण देश का दुर्भाग्य रहा है कि शूरवीरता, अदम्य साहस, दानवीरता, मानवीयता, बलिष्ठता, समभाव और धार्मिक समरसता के प्रतीक सिख पंथ पर बेहद फूहड़ और अपमानजनक चुटकले बनाए जाते रहे हैं, हालांकि ऐसे चुटकलों पर रोक लगाने को लेकर 2015 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई थी।   ये भी पढ़ें - चौधरी चरणसिंह - एक सच्चा राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री   खैर, मुझे बचपन में हमारे एक स्कूल टीचर द्वारा सुनाया गया इसी तरह का एक मजाक याद आ रहा है। मजाक इस तरह से था कि भारत के  मशहूर धावक मिल्खा सिंह दौड़ने में तो बेमिसाल थे पर उनकी अंग्रेजी उतनी बढ़िया नहीं थी। इस मजाक के अनुसार वो थोड़ी-बहुत अंग्रे

सुर और सुंदरता का बेजोड़ मेल था सुरैया में

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.  (जन्मदिन 15 जून पर विशेष) सुरैया -पाकिस्तान में जन्मी फिर भी पाकिस्तान क्यों नहीं गई सुरैया -प्रधानमंत्री जवाहरलाल ने क्या कहा सुरैया को -सुरैया ने संगीत शिक्षा किस से ली? 15 जून को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में भारत-पाकिस्तान विभाजन की योजना को स्वीकृति दे दी गई और इसी दिन एक ऐसी मशहूर अदाकारा का जन्म हुआ जो पाकिस्तान वाले भाग में जन्म लेकर भी भारत की नागरिक बनी रही। जहाँ भारत-पाक विभाजन से करोड़ों लोग विस्थापित हुए लाखों मारे गए वहीं इस तारीख को जन्मी एक गायिका-अभिनेत्री ने अपनी अदाकारी से इस उपमहाद्वीप के करोड़ों लोगों के दिल जीते और अमन-चैन का पैगाम दिया। ये भी पढ़ें- आधुनिक भारत के निर्माता ज वाहरलाल   नेहरू गौरतलब है कि 15 जून 1947 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में भारत-पाकिस्तान विभाजन की योजना के बारे में फैसला होना था। इस बैठक में योजना के पक्ष में  157 मत पड़े जबकि विपक्ष में 29 और 32 तटस्थ रहे। अब सब कुछ शीशे की तरह साफ था कि करोड़ों लोगों को धर्म के आधार

विश्व भर के क्रांतिकारियों के आइकन हैं चे ग्वेरा

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.   (जन्मदिन 14 जून पर विशेष) चे ग्वेरा भगतसिंह और चे ग्वेरा में समानताएं मोटरसाइकिल की यात्रा ने कैसे बदल दी चे ग्वेरा की जिंदगी चे ग्वेरा ने भारत आकर नेहरू से क्या बात की चे ग्वेरा को क्यों छोड़ना पड़ा क्यूबा अविभाजित भारत के पाकिस्तान के लायलपुर ज़िले (अब फैसलाबाद) और अर्जेंटीना के रोज़ारियो कस्बे में दूरी 16,000 किलोमीटर से भी ज्यादा है। दोनों स्थानों के समय में भी 8 घण्टे का फर्क है और जहाँ लायलपुर उत्तरी गोलार्ध में है वहीं रोज़ारियो इसके विपरीत दक्षिण गोलार्ध में है। न दोनों की भाषा मिलती है न रहन-सहन और न ही इनकी संस्कृति में कोई तालमेल है। फिर भी दोनों स्थानों में एक बड़ी समानता है। वह समानता है इन दोनों स्थानों पर ऐसी विभूतियों का जन्म हुआ है जो लगभग 100 साल बीत जाने के बाद आज भी गरीबी, आर्थिक विषमता, एकाधिकार, पूंजीवाद, उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के खिलाफ आवाज उठाने वालों के अधिनायक बने हुए हैं। क्रांतिकारियों के लिए ये दोनों व्यक्तित्व हीरो हैं। भगत सिंह                 

चौधरी चरणसिंह - एक सच्चा राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.   (चौधरी चरणसिंह की पुण्यतिथि 29 मई पर विशेष) ● असली राष्ट्रवादी और स्पष्टवादी नेता  ● जाति-पाति और मजहब की दीवारें तोड़ने वाला जननेता ●कृषकों का असली एडवोकेट ●उसूलों की खातिर पदों को तिलांजलि देने वाला एक राजनीतिक संत दिसम्बर 1984 का महीना... प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या होने के बाद देश में लोकसभा चुनाव हो रहे थे। हरियाणा में कांग्रेस (आई) के खिलाफ दलित मजदूर किसान पार्टी (दमकिपा) और जगजीवन राम की कांग्रेस (बी) साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे थे। इसके चलते रोहतक लोकसभा क्षेत्र से दमकिपा और कांग्रेस (बी) के सांझा उम्मीदवार डॉ. स्वरूप सिंह मैदान में थे। स्वरूप सिंह के पक्ष में प्रचार करने के लिए दमकिपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भारत के प्रधानमंत्री रह चुके चौधरी चरणसिंह रोहतक आ गए।     ये भी पढ़ें- नींव रखी नई औद्योगिक क्रांति की पर कहलाया किसान नेता- चौधरी   अजित   सिंह वहाँ एक रैली के बाद चौधरी चरणसिंह ने पत्रकार वार्ता में एक सवाल के जवाब में कह दिया कि जिन राजनीतिक पार्टियों का गठन

आधुनिक भारत के निर्माता जवाहरलाल नेहरू

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.   (जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि 27 मई पर विशेष) ●एक जैसे मामले में अलग-अलग रुख अपनाने वाला अनोखा प्रधानमंत्री ●अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों की नींव रखने वाला प्रधानमंत्री ●बड़े-बड़े बांध और बड़े उद्योगों का निर्माता बुधवार 26 मई 2021 की सुबह एक खबर आई कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देश भर में चल रहे आंदोलन के छह महीने पूरे होने के अवसर पर काला दिवस मनाने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने एक किसान प्रेम मलिक को हिरासत में लिया है। प्रेम मलिक ने सरकार के सांकेतिक विरोध के लिए अपनी गाड़ी पर काला झंडा लगाया हुआ था। इस घटना से मुझे भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जुड़ी एक घटना याद आ गई।  दरअसल, 1949 में बम्बई में मजदूरों की हड़ताल के दौरान मशहूर गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी ने मंच से यह कविता पढ़ दी थी : मन में ज़हर डॉलर के बसा के,फिरती है भारत की अहिंसा। खादी की केंचुल को पहनकर,ये केंचुल लहराने न पाए। ये भी है हिटलर का चेला,मार लो साथी जाने न पाए। कॉमनवेल्थ का दास है नेहरू,मार लो सा

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