पुस्तक-चर्चा

अमित नेहरा  की पुस्तकें



(Hindi Edition)

यह पुस्तक, अंतर्राष्ट्रीय महामारी कोविड-19 के कहर के दौरान घटित हुए रोचक और रोमांचकारी, असली क़िस्सों पर आधारित है। एक विशिष्ट शैली में लिखे गए ये क़िस्से मन को गुदगुदाते तो हैं ही, साथ में पाठक के दिल को भी झकझोर कर रख देते हैं। इन मजेदार क़िस्सों को पढ़कर कोविड-19 की विभीषिका के व्यापक असर का पता चलता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस पुस्तक में साहित्य के भी सभी रंग देखने को मिलते हैं।

-----------------------------------------------------


(Hindi Edition) 

  'कहो ना' दरअसल 101 लघु स्मृतियों और अनुभूतियों का संग्रह है। इसमें जिंदगी के हर रंग मसलन सुख-दुःख, हास-परिहास, सज्जनता-दुर्जनता, व्यंग्य, मासूमियत, प्यार, घृणा, दयनीयता, अक्खड़पन, फक्कड़पन, राग, विराग, अनुराग, वात्सल्य, कुटिलता, क्षमा, जाहिलता, अहं और वहम आदि का समावेश है। कहो ना में कुछ आप बीती है, कुछ जग बीती है। आज के युग में पठन-पाठन के लिए लोगों के पास समय बेहद कम है। अतः कम शब्दों में बहुत कुछ कहने का प्रयास किया गया है। कहने को तो इसे साहित्य का फ़ास्ट फूड कहा जा सकता है मगर महत्वपूर्ण बात यह है कि असल के फ़ास्ट फूड की तरह इस साहित्यिक फ़ास्ट फूड के साइड इफेक्ट्स नहीं हैं। रचनाओं के शीर्षक न देकर अंत में पंच लाइनों का अभिनव प्रयोग किया गया है जो पाठकों को बेहद पसन्द आयेगा। आर्टिकल्स को और अधिक धारदार व असरदार बनाने के लिए खूबसूरत मॉडर्न के प्रयोग ने पुस्तक की खूबसूरती को नए आयाम तक पहुँचा दिया है। 'कहो ना' निःसन्देह एक संग्रहणीय पुस्तक है।

-----------------------------------------------------


 
(English Edition)

This book on Covid-19 is written through the lens of an experienced Indian journalist. No one had expected that this decade will start this way. This book helps the reader to understand different aspects of this pandemic with ease in the author's well known story-telling style. The reader will get to know not only about the present situation with authentic data but can update their knowledge and understanding through various chapters on zoonotic to new vocabulary, political supremacy to bioweapons,  from India to the USA, from suspicions to certainty, imposing lockdown to enforcing strict quarantine measures, social distancing to finding new ways of lifestyle, China to WHO, One Health Concept etc. 

-----------------------------------------------------


(Hindi Edition)

44,222 वर्ग किलोमीटर में बसी ढ़ाई करोड़ से ज्यादा जनता की खुशमिजाजी को जानना-समझना अपने आप में रोमांचक है। जी हाँ, ये है हरियाणा जो खादर, बांगर, बागड़, देशवाली, अहीरवाल, मेवात और ब्रज नामक भौगोलिक और सामाजिक क्षेत्रों में फैला हुआ है। इस रंगीले प्रदेश के रंग-बिरंगे मिजाज को 'क़िस्सागोई-रंगीला हरियाणा' द्वारा आसानी से समझा जा सकता है।इस किताब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल, पूर्व मुख्यमंत्रियों बंसीलाल, भजनलाल, ओमप्रकाश चौटाला, भूपेंद्र सिंह हुड्डा और हुकमसिंह आदि से लेकर बिल्कुल आम आदमी तक के हरियाणा से जुड़े खास 66 क़िस्से हैं जो आपको किसी दूसरी जगह नहीं मिलेंगे। 

हर क़िस्से के अंत का चुटीलापन पाठक को खूब गुदगुदाएगा। किताब में लिखे संवाद पाठक को वाह-वाह कहने पर मजबूर कर देते हैं।

'क़िस्सागोई-रंगीला हरियाणा' की लेखन शैली भी लीक से हटकर है। इसे पढ़कर हजारों किलोमीटर दूर बैठा पाठक हरियाणे के जिंदादिल मिजाज को बखूबी समझ सकता है। वरिष्ठ पत्रकार और लेखन की सभी विधाओं में निपुण अमित नेहरा ने इस किताब में देश की आजादी से पहले से लेकर अब तक घटित असली क़िस्सों के सहारे हरियाणवी संस्कृति का जो चित्रण किया है वह कहीं और उपलब्ध नहीं है।

खास बात यह है कि हरियाणा के बाहर के लोग भी इस किताब में लिखे हरियाणवी बोली के डायलॉग्स (अनुवाद सहित) का जी भरकर मजा ले सकते हैं।

-----------------------------------------------------



(Hindi Edition)

चाहे कोविड-19 का पता विश्व को वर्ष 2019 के अंतिम दिन ही चला हो मगर इसने अपना रौद्र रूप वर्ष 2020 की पहली तिमाही में ही दिखा दिया। इसी के चलते इस किताब का शीर्षक कोविड19@2020 रखा गया।

  केवल 20 से 60 नैनोमीटर तक के आकार वाले इस बेहद सूक्ष्म जीव की इस पुस्तक के लिखे जाने तक सारे संसार के किसी भी देश या किसी भी कंपनी या किसी भी वैज्ञानिक के पास न तो कोई दवाई थी, न इलाज था और न वैक्सीन थी। दुनिया के पास इस शैतान से बचने के लिए था तो वह था सिर्फ कोविड-19 से सम्बंधित डेटा (आंकड़े), केवल इसी डेटा के आधार पर इससे शुरुआती लड़ाई लड़ी गई। सम्पूर्ण मानवता को बचाने के लिए लड़ी गई इस लड़ाई में कहाँ-कहाँ, क्या-क्या तरीके अपनाए गए, उनमें से कितने सफल हुए, कितने धराशायी हुए ? विश्व में कोविड-19 ने कहाँ-कहाँ विनाश किया, कहाँ-कहाँ के लोग इससे अपना बचाव करने में सफल रहे, इस पूरे प्रकरण के क्या परिणाम हुए ? आपको इन सभी तथ्यों का प्रमाणिक लेखा-जोखा इस पुस्तक कोविड19@2020 में मिलेगा। उम्मीद है कि ये पुस्तक पाठकों की जिज्ञासा को शांन्त करने में काफी हद तक सफल होगी।


Click this amazon icon to buy 

टिप्पणियाँ

Topics

ज़्यादा दिखाएं

Share your views

नाम

ईमेल *

संदेश *

Trending

नींव रखी नई औद्योगिक क्रांति की पर कहलाया किसान नेता

अहलावत जाट और दो लाख की खाट : ठाठ ही ठाठ

चौधरी चरणसिंह - एक सच्चा राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री

आखिरकार छूट गए ओमप्रकाश चौटाला जेल से

किसानों का वो हमदर्द जिससे काँपती थीं सरकारें - महेंद्र सिंह टिकैत

एक भविष्यदृष्टा प्रधानमंत्री जिसने रखी डिजिटल इंडिया की नींव-राजीव गांधी

अलविदा चैम्पियन उड़न सिख

आखिर कितना उलटफेर कर पाएंगे ओमप्रकाश चौटाला

12 जून 1975 को ही पड़ गई थी इमरजेंसी की नींव

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला -7.