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राजस्थान : भाजपा ही सबसे बड़ी चुनौती है भाजपा के सामने

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राजस्थान नाम में राजपुताना शब्द की झलक दिखाई देती है और राजपुताना शब्द में राजा शब्द बेहद महत्वपूर्ण है। राजस्थान में राजा-महाराजाओं के युग का बेशक अंत हो गया हो लेकिन इस प्रदेश की भाजपा इकाई में यह फैक्टर बेहद स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है। यह फैक्टर है धौलपुर राजघराने की महारानी वसुंधरा राजे सिंधिया! भाजपा बेशक यह कह रही हो कि उसने देश भर में बरसों से महत्वपूर्ण राजनीतिक घरानों और राजाओं, महाराजाओं और सामंतों की बादशाहत  खत्म कर दी हो लेकिन राजस्थान अभी तक इसका अपवाद नजर आता है। वसुंधरा राजे सिंधिया जो चाहती हैं वो करती हैं और उनका मन चाहे तो वे आलाकमान को ठेंगा दिखाने की कुव्वत रखती हैं। मोदी और शाह की जोड़ी को राजस्थान में अपनी परंपरागत विरोधी पार्टी कांग्रेस की चुनौती से तो निपटना पड़ ही रहा है, साथ ही, वसुंधरा राजे सिंधिया को कैसे काबू में रखा जाए यह भी उनके लिए बहुत बड़ी उलझन है। घटना, वर्ष 2009 के अगस्त माह के अंतिम सप्ताह की है। भाजपा नेतृत्व ने राजस्थान में पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार का हवाला देते हुए वसुंधरा राजे को नेता प्रत

क्या दो दशक से चल रहा सत्ता परिवर्तन का पैटर्न बदलेगा ?

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Chanakya Mantra May 2022 Edition  जय नारायण व्यास 1951 से 1954 तक  राजस्थान के सीएम रहे। हालांकि मजेदार बात यह है कि इस दौरान बीच में कुछ समय के लिए टीका राम पालीवाल भी सीएम बन गए। सीएम के रूप में पालीवाल की एंट्री बेहद दिलचस्प है। व्यास तत्कालीन प्रधानमंत्री और कांग्रेस के सबसे बड़े नेता जवाहरलाल नेहरू के बेहद करीबी नेताओं में से एक थे। यही वजह थी कि देश और राज्य के आम चुनाव के पूर्व 1951 में उन्हें हीरा लाल शास्त्री की जगह राजस्थान का मुख्यमंत्री बना दिया गया।  राजस्थान का पहला विधानसभा चुनाव 1952 में हुआ, व्यास तब राज्य के मुख्यमंत्री थे। व्यास ने जालौर-ए और जोधपुर शहर-बी नामक दो विधानसभा क्षेत्रों से अपना चुनाव लड़ा। यह चुनाव पोस्टल बैलेट से हुआ था इसलिए नतीजे आने में कई दिन लगे थे। जब नतीजे आ रहे थे तब जयनारायण व्यास अपने खास मित्र नेताओं माणिक्यलाल वर्मा, मथुरादास माथुर और रामकरण जोशी आदि के साथ बैठकर चुनाव परिणामों का जायजा ले रहे थे। इन परिणामों पर जयनारायण व्यास अपने राजनैतिक मित्रों के साथ चर्चा कर ही रहे थे कि तभी उनके सचिव वहां आए और बोले कि साहब दो

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