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ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-16

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This is the title of the web page   क्या ऐलनाबाद में कांग्रेस तीसरी बार बाजी मारेगी ? ऐलनाबाद में एक पोस्टर बरबस ध्यान खींचता है जिसमें लिखा है पूर्ण पारदर्शिता ही मनोहर सरकार की पहचान। हरियाणा सरकार ने रचा इतिहास, युवाओं के लिए आये अच्छे दिन। ग्रुप डी नौकरी में बिना पैरवी व रिश्वत के हजारों युवाओं को मिला रोजगार ...आने वाली 21 अक्टूबर को चुनाव के दिन कमल के फूल के सामने वाला बटन दबाकर भाई पवन बैनीवाल को विजयी बनाएं। चौंकिए मत, आपको ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र में इस तरह के पोस्टर अनेक जगहों पर दीवारों पर चिपके हुए दिखाई दे जाएंगे। पोस्टर तो वही है लेकिन इसमें मतदान की तिथि, पार्टी का चुनाव चिन्ह और उम्मीदवार बदल गए हैं। दरअसल ये पोस्टर लगभग 2 साल पुराने लगे हुए हैं जो अभी तक न तो उतारे गए हैं, न ही बदरंग हुए हैं और न ही जगह बदल पाए हैं।  मगर पवन बेनीवाल ने आस्था बदल ली है। ये पोस्टर अक्टूबर 2019 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनावों के दौरान चिपकाए गए थे। उस समय पवन बेनीवाल भाजपा के उम्मीदवार थे लेकिन अब वक्त बदल चुका है साथ में आस्था भी। पवन बेनीवाल अब कांग्रेस के उम्

अहलावत जाट और दो लाख की खाट : ठाठ ही ठाठ

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page. गाँव डीघल (रोहतक) के टोल टैक्स प्लाजा पर अहलावत खाप द्वारा किसान आंदोलन में समर्थन में धरना चल रहा है। वैसे तो यह धरना पिछले साल नवम्बर से जारी है लेकिन 25 सितम्बर 2021 की रात के 9.30 बजे यहाँ एक ऐसा अजूबा आया है जिसको देखने और उस पर बैठने के लिए लोग दूर-दूर से आ रहे हैं। ये अजूबा है 5 क्विंटल वजनी यानी 500 किलोग्राम भारी पलँग(एक बड़ी खाट), जो वाकई अजूबा ही है। इस धरनास्थल पर आने वाला हर कोई शख्स इस पलँग पर बैठने को और इसका फोटो खींचने को बेताब है। आज सुबह मैं यहाँ से गुजर रहा था तो बस यूँ ही इस धरने का जायजा लेने के लिए गाड़ी रोकी तो अकस्मात ही इस भीमकाय पलँग के दर्शन हो गए। ये पलँग 5 क्विंटल वजनी है, 12 फीट लम्बा है और शीशम की लकड़ी के बने इसके चारों पाये 4 फीट ऊँचे हैं। जमीन से पलँग पर बैठने की ऊँचाई ही साढ़े तीन फीट है। किसी नाटे कद के व्यक्ति को इस पर बैठने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। ये महाकाय पलँग साढ़े छह फीट चौड़ा है। इस पर 15 से 20 आदमी आसानी से बैठ सकते हैं। असली कलाका

क्या कुमारी सैलजा के दो साल पूरे होने देंगे हुड्डा ?

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.  (हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष पद पर छिड़ी जंग पर विशेष)   किस तरह कटा था अशोक तंवर का पत्ता प्रदेश इकाई पर तंवर के हटने का असर कैसे हुई थी कुमारी सैलजा की एंट्री क्यों चल रही है सैलजा हटाने की मुहिम क्या आलाकमान सैलजा को हटा देगा 18 अगस्त 2019 को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने राज्य के विधानसभा चुनावों से ऐन पहले कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष को पद से हटाने के लिए अपना शक्ति प्रदर्शन करने के लिए रोहतक में परिवर्तन महारैली आयोजित की थी और वे अपने मकसद में कामयाब हो गए थे। उस घटना को दो साल भी पूरे नहीं हुए हैं कि राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भूपेन्द्र सिंह हुड्डा नए कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष को हटाने में एक बार फिर से जुट गए हैं। ऐसी नौबत क्यों आई और क्या प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बदला जा सकता है इसकी चर्चा करेंगे। किस तरह कटा अशोक तंवर का पत्ता गौरतलब है कि रोहतक की परिवर्तन महारैली में न तो सोनिया गांधी और न ही राहुल गांधी का

आखिर कितना उलटफेर कर पाएंगे ओमप्रकाश चौटाला

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.  (चौटाला की जेल से रिहाई पर विशेष लेख) इनेलो और ओमप्रकाश चौटाला का स्वर्णकाल सीटें घट गईं पर वोट प्रतिशत स्थिर रहा मोदी मैजिक, चौटाला को जेल के दौरान इनेलो का प्रदर्शन जेल ने नहीं बल्कि परिवार ने तोड़ डाली इनेलो क्या चौटाला फूँक पाएंगे इनेलो में प्राण किसान आंदोलन का कैसा रहेगा इनेलो पर असर 23 जून 2021 को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और इंडियन नेशनल लोकदल के सही मायनों में संस्थापक ओमप्रकाश चौटाला की तिहाड़ जेल में सजा पूरी हो गई और 2 जुलाई 2021 को उन्होंने जेल में जाकर इस बारे में कागजी कार्यवाही पूरी कर दी। इसके साथ ही उनका जेल से पूरी तरह से पिण्ड छूट गया (हालांकि कोविड-19 के संक्रमण के चलते वे काफी समय से जेल से बाहर ही थे)। गौरतलब है कि चौटाला जेबीटी शिक्षकों की भर्ती में अनियमितताओं के जुर्म में 2013 से 10 साल की सजा काट रहे थे। जेल जाने से पहले पिछले लगभग 25 वर्षों तक हरियाणा की राजनीति में एक धुरी रहे ओमप्रकाश चौटाला अब फिर से राजनीति के मैदान में अपने जोहर दिखाने के लिए प

आखिरकार छूट गए ओमप्रकाश चौटाला जेल से

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page. पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला  जेल क्यों गए थे ओमप्रकाश चौटाला जेल जाने का पूरा घटनाक्रम इनेलो क्यों हुई दोफाड़ देवीलाल की राजनीतिक विरासत और चौटाला कैसे और क्यों बनी इनेलो चौटाला के रिहा होने का इनेलो पर असर 23 जून 2021 की सुबह खबर आई कि जूनियर बेसिक ट्रेनिंग (जेबीटी) भर्ती घोटाले में सजायाफ्ता हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की तिहाड़ जेल में सजा पूरी हो गई है। बताया गया कि जेल प्रशासन ने इस संबंध में चौटाला के वकील को सूचना दे दी है कागजी कार्रवाई पूरी होते ही रिहाई के आधिकारिक आदेश जारी हो जाएंगे। ओमप्रकाश चौटाला, उनके बड़े बेटे अजय चौटाला और 3 अन्य को 22 जनवरी 2013 को सीबीआई की विशेष अदालत ने 3206 शिक्षकों की अवैध तरीके से भर्ती के मामले में 10 साल की सजा सुनाई थी। वे तभी से सजायाफ्ता थे। गौरतलब है कि 86 साल के ओमप्रकाश चौटाला ने अपनी उम्र और दिव्यांगता का हवाला देकर जेल से रिहा किए जाने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि वह 2013 में ही 60 फीसदी दिव्यांग हो ग

हिसार कांड बना किसान आंदोलन के लिए संजीवनी

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page. हिसार में किसानों पर हुए लाठीचार्ज पर विशेष लेख ब्लॉग के महत्वपूर्ण बिंदु ●किसानों पर हिसार में हुआ लाठीचार्ज कैसे बना संजीवनी ●किसान आंदोलन के महत्वपूर्ण पड़ाव ●लाला लाजपतराय और किसान आंदोलन  Blessing in Disguise इस लोकोक्ति का अर्थ है कि  an event that causes problems and difficulties at first, but later brings advantages. (जिस घटना से शुरू में कठिनाई और दिक्कतें हों मगर उसका परिणाम सुखद हो।) माफ कीजियेगा किसान आंदोलन के दौरान हिसार में 16 मई 2021 को हुए पुलिसिया जुल्म के लिए इस कहावत से बढ़िया कहावत  मुझे हिंदी में नहीं मिल पाई। इसलिए पोस्ट की शुरुआत अंग्रेजी से करनी पड़ी। हिंदी में इस कहावत का शाब्दिक अर्थ है 'दुःख के वेश में सुख'। यानी कोई ऐसी घटना घटित हो जाना जिसकी शुरुआत में तो दुःख  हो पर बाद में इसका परिणाम सुखद हो। इस लेख में चर्चा करेंगे कि 16 मई 2021 को हिसार पुलिस द्वारा किसानों पर किए गए अत्याचार ने पूरे देश में चल रहे किसान आंदोलन को किस तरह संजीवनी दे दी है

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