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ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-13

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This is the title of the web page बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का...   हैदर अली आतिश का एक मशहूर शेर है कि 'बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का जो चीरा तो इक क़तरा-ए-ख़ूँ न निकला।' यह शेर भरत सिंह बेनीवाल पर बिल्कुल फिट बैठती है। दरअसल, भरत सिंह बेनीवाल ऐलनाबाद उपचुनाव में कांग्रेस द्वारा पवन बेनीवाल को टिकट दिए जाने से बेहद खफा नजर आ रहे थे। उनके तेवरों से लग रहा था कि वो कांग्रेस पार्टी से बगावत कर सकते हैं। लेकिन उनकी दुविधा यही थी कि वो जाएं तो कहाँ जाएं ? इसी बारे में हाल ही में मेरे द्वारा 'भरत सिंह बेनीवाल के लिए आगे कुआं पीछे खाई' लेख लिखा गया था। लेख में विश्लेषण किया गया था कि अब उनके सामने दो ही विकल्प हैं कि वे इनेलो या बीजेपी को अपना समर्थन दें। सिरसा जिले में तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ माहौल बना हुआ है। भरत सिंह बेनीवाल की दुविधा यह थी कि बीजेपी को समर्थन देकर वो किसानों की नाराजगी मोल नहीं ले सकते थे। उधर भरत सिंह बेनीवाल कहते रहे हैं कि इनेलो कार्यकाल में उनपर बहुत जुल्म हुए। इस दौरान उन पर पर फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए। अतः इनेल

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला- 3

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page. इंतजार छह की बजाय आठ महीनों का   देश में कानून है कि सामान्य परिस्थितियों में किसी भी कारण से कोई भी लोकसभा या विधानसभा सीट खाली होने पर वहाँ छह महीनों के अंदर चुनाव कराने आवश्यक हैं। केंद्रीय चुनाव आयोग ने 4 सितम्बर 2021 को नोटिफिकेशन जारी किया कि 30 सितम्बर 2021 को उड़ीसा की एक और पश्चिम बंगाल की दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान करवाया जायेगा। ऐलनाबाद विधानसभा सीट 27 जनवरी 2021 से खाली पड़ी हुई थी लेकिन चुनाव आयोग ने इस बारे में कोई घोषणा नहीं की। पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के उपचुनाव के लिए तर्क दिया गया कि इन दोनों राज्यों में कोविड की स्थिति नियंत्रण में है अतः यहाँ चुनाव करवाए जा सकते हैं। आंध्र प्रदेश, बिहार, असम, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, मेघालय, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, दादरा नगर हवेली व दमन दीव के मुख्य सचिवों ने फिलहाल चुनाव न कराने की सलाह दी थी। अतः इसके चलते ऐलनाबाद का उपचुनाव भी लटक गया। हालांकि तब तक हरियाणा में कोविड की स्थिति काफी

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला- 1

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.   अभय सिंह चौटाला के इस्तीफे की पृष्ठभूमि हरियाणा विधानसभा में इनेलो के एकमात्र विधायक अभय सिंह चौटाला ने 11 जनवरी 2021 को ईमेल से हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष को सशर्त इस्तीफा भेजा। इस ईमेल में कहा गया था कि अगर 26 जनवरी 2021 तक केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती तो 27 जनवरी 2021 को उनका इस्तीफा मंजूर समझा जाए। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें इस्तीफा नहीं मिला है तो अभय सिंह चौटाला ने 15 जनवरी 2021 को अपने प्रतिनिधियों को विधानसभा भेजा और अपने इस्तीफे की कॉपी रिसीव करवाई। इस बार उन्होंने 'समझा' जाए की बजाय लिखा कि 27 जनवरी को उनका इस्तीफा 'स्वीकार' किया जाए...और अंततः इनेलो के एकमात्र विधायक का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया। दरअसल पूरे देश में लगे लॉकडाउन के दौरान 5 जून 2020 को केन्द्र सरकार ने अचानक तीन नए कृषि अध्यादेश लागू कर दिए। फिर इन्हें 27 सितम्बर को कानूनों की शक्ल दे दी गई। इससे देशभर के किसान-मजदूर बेहद नाराज हो गए और पंजाब-हरियाणा-उ

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