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ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-17

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बात उस प्रत्याशी की जिसने न पार्टी बदली न आस्था अभी तक के लेखों में हमने ऐलनाबाद उपचुनाव में उतरे कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशियों के बारे में चर्चा कर ली। आज चर्चा तीसरी पार्टी इनेलो और उसके उम्मीदवार अभय सिंह चौटाला के बारे में होगी। यह तो स्पष्ट हो ही गया है कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों के उम्मीदवार दल-बदलू हैं यानी पवन बेनीवाल उपचुनाव से महज एक महीना पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए हैं। गोविंद कांडा तो नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया के दौरान ही बीजेपी में शामिल हुए और उन्हें पार्टी का टिकट थमा दिया गया। एक मजेदार बात यह भी रही कि गोविंद कांडा हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) के उपाध्यक्ष थे मगर उन्होंने बीजेपी में शामिल होने पर हलोपा को छोड़ने की विधिवत घोषणा नहीं की। उस पर गजब यह भी है कि हलोपा के एकमात्र विधायक और उनके सगे भाई गोपाल कांडा खुद उनका चुनाव प्रचार कर रहे हैं! खैर हम वापस इनेलो और अभय सिंह चौटाला पर आते हैं। देखा जाए तो अभय चौटाला वाकई जमीन से जुड़े नेता हैं। अभय के पॉलिटिकल कैरियर की शुरूआत चौटाला गांव से पंचायत चुनाव में उप सरपंच की सीट जीतने से शुरू हुई। साल

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-16

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This is the title of the web page   क्या ऐलनाबाद में कांग्रेस तीसरी बार बाजी मारेगी ? ऐलनाबाद में एक पोस्टर बरबस ध्यान खींचता है जिसमें लिखा है पूर्ण पारदर्शिता ही मनोहर सरकार की पहचान। हरियाणा सरकार ने रचा इतिहास, युवाओं के लिए आये अच्छे दिन। ग्रुप डी नौकरी में बिना पैरवी व रिश्वत के हजारों युवाओं को मिला रोजगार ...आने वाली 21 अक्टूबर को चुनाव के दिन कमल के फूल के सामने वाला बटन दबाकर भाई पवन बैनीवाल को विजयी बनाएं। चौंकिए मत, आपको ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र में इस तरह के पोस्टर अनेक जगहों पर दीवारों पर चिपके हुए दिखाई दे जाएंगे। पोस्टर तो वही है लेकिन इसमें मतदान की तिथि, पार्टी का चुनाव चिन्ह और उम्मीदवार बदल गए हैं। दरअसल ये पोस्टर लगभग 2 साल पुराने लगे हुए हैं जो अभी तक न तो उतारे गए हैं, न ही बदरंग हुए हैं और न ही जगह बदल पाए हैं।  मगर पवन बेनीवाल ने आस्था बदल ली है। ये पोस्टर अक्टूबर 2019 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनावों के दौरान चिपकाए गए थे। उस समय पवन बेनीवाल भाजपा के उम्मीदवार थे लेकिन अब वक्त बदल चुका है साथ में आस्था भी। पवन बेनीवाल अब कांग्रेस के उम्

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-15

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This is the title of the web page किसके सिर पर बंधेगा ऐलनाबाद का ताज ?   जबसे मैंने ऐलनाबाद उपचुनाव पर यह विशेष श्रृंखला लिखनी शुरू की है, तभी से मेरे पास इससे सम्बंधित रोजाना सैंकड़ों फोन कॉल्स, व्हाट्सएप मैसेज आ रहे हैं। इन सभी का सवाल यही होता है कि बताइये इस उपचुनाव में कौन सा उम्मीदवार जीतेगा? मैं इसका बड़ा सटीक उत्तर देता हूँ उससे कुछ लोग तो मेरे जवाब से संतुष्ट हो जाते हैं लेकिन ज्यादातर यही कहते हैं कि ये तो उन्हें भी पता है मगर आप सही-सही उत्तर दीजिए। दरअसल मैं इस सवाल का जवाब यह देता हूँ कि जो उम्मीदवार सबसे ज्यादा वोट लेगा वही जीतेगा। इस उत्तर से बहुत से लोग मुँह बना लेते हैं और कहते हैं कि ये भी कोई बात हुई, यह तो सबको पता है। तो जनाब फैक्ट तो यही है कि सबसे ज्यादा वोट लेने वाला उम्मीदवार ही विधायक बनेगा मगर लोग पार्टी और उम्मीदवार का नाम जानना चाहते हैं। कोई भी व्यक्ति इस सवाल का इस समय शत प्रतिशत सही उत्तर नहीं दे सकता क्योंकि अभी मतदान में काफी समय है और जीत-हार की परिस्थितियां बनते व बिगड़ते देर  नहीं लगती, कभी भी पासा पलट सकता है। लेकिन हाँ, हम इस

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-14

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अभय ने कब्जे वाली बात कहकर गुगली फैंक दी ऐलनाबाद में हाल ही में ऐलनाबाद उपचुनाव में इनेलो प्रत्याशी और इनेलो के राष्ट्रीय महासचिव अभय सिंह चौटाला का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में अभय चौटाला कांग्रेस प्रत्याशी पवन बेनीवाल के गांव दड़बा कलां में   पवन बेनीवाल पर आरोप लगा रहे हैं कि उसने मेरे साथ रहकर कब्जे किये हैं, उसने कोई खेती से थोड़ी कमाए हैं। यह स्वीकारोक्ति  इस  उपचुनाव में क्या असर डालेगी यह चर्चा का विषय तो है ही इसके पीछे की राजनीति को भी समझना होगा। दरअसल जाने या अनजाने में अभय सिंह चौटाला ने में यह बड़ी जबरदस्त गुगली फैंकी है। अब गेंद पवन बेनीवाल के पाले में है, अभय चौटाला का राजनीतिक नुकसान तभी हो सकता है जब पवन बेनीवाल ये मान लें कि उन्होंने वाकई अभय सिंह चौटाला के साथ रहते हुए जमीनों पर कब्जे किये थे। क्या आपको लगता है कि पवन बेनीवाल इस आरोप को स्वीकार कर लेंगे! लगता है कि इस स्टेटमेंट से अभय चौटाला के दोनों हाथों में लड्डू आ गए हैं। उन्होंने आरोप जड़कर अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है। अब बारी पवन बेनीवाल की है कि वे इस चुनौती से किस प्रकार निपटेंगे। उधर उनके चाचा और

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-12

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This is the title of the web page   भरत सिंह बेनीवाल के लिए आगे कुआं पीछे खाई 1991 से ऐलनाबाद और उसके आसपास के इलाके में कांग्रेस पार्टी के लिए मेहनत कर रहे भरत सिंह बेनीवाल की टिकट इस उपचुनाव में काट दी गई। भरत सिंह बेनीवाल का दुख यह है कि उनकी टिकट काट कर उनके राजनीतिक विरोधी रहे उनके भतीजे पवन बेनीवाल को दे दी गई। भरत सिंह बेनीवाल का दावा है कि ऐलनाबाद विधानसभा में उनके 35,000 समर्थकों के वोट हैं और उपचुनाव में पवन बेनीवाल को टिकट देने पर कांग्रेस को नुकसान का सामना करना पड़ेगा। भरत सिंह बेनीवाल अपने कार्यकर्ताओं के साथ लगातार मीटिंग कर रहे हैं। उम्मीदवारों के नामांकन वापस लेने की तिथि 13 अक्टूबर के बाद वे अपने कार्यकर्ताओं से मीटिंग करने के बाद 14 अक्टूबर को बड़ा फैसला लेंगे। लेकिन वे फैसला क्या लेंगे ? क्या वे कांग्रेस की बजाय बीजेपी को या इनेलो को अपना समर्थन कर सकते हैं ? पूरे प्रदेश की निगाहें उनके इस फैसले पर टिकी हुई हैं। भरत सिंह बेनीवाल के अभी तक के बयानों से नहीं लगता कि वे ऐलनाबाद उपचुनाव में कांग्रेस को अपना समर्थन देंगे। कांग्रेस पार्टी भरत सिंह

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-10

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भरत सिंह बेनीवाल की नाराजगी किस पर पड़ेगी भारी ? दो साल पहले एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें ऐलनाबाद के नेता भरत सिंह बेनीवाल कह रहे हैं कि जो एक बार मेरा भाषण सुन लेता है, वह अपनी लुगाई-टाबर छोड़ सकता है लेकिन भरत सिंह को नहीं छोड़ता। मगर विडम्बना देखिये कि शायद भरत सिंह बेनीवाल अपने भाषण कांग्रेस पार्टी को अच्छी तरह नहीं सुना पाये नतीजतन ऐलनाबाद उपचुनाव में कांग्रेस ने टिकट बाँटने के समय उन्हें छोड़ दिया। रही सही कसर तब पूरी हो गई जब बीजेपी छोड़कर सितम्बर 2021 में कांग्रेस में शामिल हुए उनके भतीजे पवन बेनीवाल को टिकट देकर उनके जले पर नमक भी छिड़क दिया। अपने भतीजे पवन बेनीवाल को टिकट मिलने पर कांग्रेस नेता भरत सिंह बेनीवाल बेहद नाराज हैं। भरत सिंह ने कहा है कि यह पार्टी हाईकमान ने तय किया है कि टिकट किसे मिलेगा, लेकिन मेरी टिकट चौथी बार कटी है। उन्होंने पवन बेनीवाल पर निशाना साधकर आरोप लगाया है कि इनेलो व बीजेपी में रहते हुए पवन बेनीवाल ने लोगों पर अत्याचार किए हैं। इस दौरान लोगों पर झूठे मुकदमे दर्ज करवाए गए। भरत सिंह ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्षा कुमारी सैलजा को बता दिया है कि

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला -7.

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page. सामने उम्मीदवार तो वही मगर पार्टी बदल गई! हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में ऐलनाबाद सीट पर इनलो के अभय सिंह चौटाला ने 11922 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। अभय सिंह चौटाला को 57055 वोट मिले, बीजेपी के पवन बेनीवाल 45133 वोट लेकर दूसरे नंबर पर और कांग्रेस के भरत सिंह बेनीवाल 35383 वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे। प्रतिशत के हिसाब से इनलो को 37.86 प्रतिशत, बीजेपी को 29.95 प्रतिशत और कांग्रेस को 23.48 प्रतिशत वोट मिले। अगर विधानसभा चुनाव 2014 के परिणामों पर चर्चा करें तो उस समय इंडियन नेशनल लोक दल के अभय चौटाला ने 11539 वोटों से बीजेपी उम्मीदवार पवन बेनीवाल को हराया था। अभय सिंह चौटाला को 69162 और भाजपा के पवन बेनीवाल को 57623 वोट मिले थे। लेकिन ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 में परिस्थितियां बदली हुई हैं। अभय सिंह तो इनेलो में ही हैं जबकि पवन बेनीवाल भाजपा को छोड़कर कांग्रेस से ताल ठोंक रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि 2014 से पहले अभय सिंह चौटाला और पवन बेनीवाल दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू थे। दो

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-6

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.   आगाज ऐसा है तो अंजाम कैसा होगा! आखिर वही हुआ जिसकी आशंका व्यक्त की जा रही थी। बुधवार की शाम को बीजेपी ने ऐलनाबाद उपचुनाव के लिए गोविंद कांडा को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। बृहस्पतिवार को भाजपा-जजपा गठबंधन के उम्मीदवार गोविंद कांडा नामांकन भरने के लिए एसडीएम ऑफिस पहुँचे लेकिन वहाँ सिरसा डीसी को खुद आना पड़ा। आप सोच रहे होंगे कि क्या इस विधानसभा उपचुनाव में नामांकन भरने का तरीका बदल गया है? क्योंकि विधानसभा चुनाव का नामांकन एसडीएम ऑफिस में भरा जाता है और सांसद का नामांकन डीसी ऑफिस में जमा किया जाता है। तो क्या वजह रही कि गोविंद कांडा के नामांकन के समय सिरसा के डीसी अनीश यादव को आना पड़ा! (क्या हुआ जब ऐलनाबाद उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार अपने समर्थकों समेत गुरुद्वारा सिंह सभा में पहुँचे) वजह यह थी कि बीजेपी प्रत्याशी गोविंद कांडा के नामांकन भरने से पहले ही तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने एसडीएम कार्यालय का घेराव कर लिया। किसान कह रहे थे कि वे यहाँ बीजेपी प्रत्याशी क

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-4

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page. बदल सी गई इनेलो की प्रत्याशी घोषित करने की परंपरा चुनाव आयोग के नोटिफिकेशन के अनुसार ऐलनाबाद उपचुनाव लड़ने के इच्छुक उम्‍मीदवार आठ अक्टूबर तक नामांकन दाखिल कर सकते हैं। इसके बाद 11 अक्टूबर को सभी नामांकन पत्रों की जांच होगी। उम्‍मीदवार 13 अक्टूबर तक अपने नाम वापस ले सकेंगे और 30 अक्टूबर को मतदान होगा। अगले महीने दो नवंबर को मतगणना होगी और उसी दिन रिजल्ट घोषित किया जाएगा। स्पष्ट है कि यह लेख आज यानी 5 अक्टूबर को लिखा जा रहा है और कल यानी 6 अक्टूबर को प्रकाशित होगा। नामांकन के लिए केवल दो दिन ही शेष हैं। इनेलो ने अपने निवर्तमान विधायक और प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला को ही फिर से उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर दी है। बाकी पार्टियों ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। ‌महत्वपूर्ण बात यह है कि कुछ समय पहले तक इनेलो अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की खूबी यह रही थी कि वो चुनावों में अपने पत्ते आखिरी समय तक नहीं खोलते थे। वे बाकी पार्टियों द्वारा उम्मीदवार घोषित किये जाने का इं

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला- 3

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page. इंतजार छह की बजाय आठ महीनों का   देश में कानून है कि सामान्य परिस्थितियों में किसी भी कारण से कोई भी लोकसभा या विधानसभा सीट खाली होने पर वहाँ छह महीनों के अंदर चुनाव कराने आवश्यक हैं। केंद्रीय चुनाव आयोग ने 4 सितम्बर 2021 को नोटिफिकेशन जारी किया कि 30 सितम्बर 2021 को उड़ीसा की एक और पश्चिम बंगाल की दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान करवाया जायेगा। ऐलनाबाद विधानसभा सीट 27 जनवरी 2021 से खाली पड़ी हुई थी लेकिन चुनाव आयोग ने इस बारे में कोई घोषणा नहीं की। पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के उपचुनाव के लिए तर्क दिया गया कि इन दोनों राज्यों में कोविड की स्थिति नियंत्रण में है अतः यहाँ चुनाव करवाए जा सकते हैं। आंध्र प्रदेश, बिहार, असम, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, मेघालय, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, दादरा नगर हवेली व दमन दीव के मुख्य सचिवों ने फिलहाल चुनाव न कराने की सलाह दी थी। अतः इसके चलते ऐलनाबाद का उपचुनाव भी लटक गया। हालांकि तब तक हरियाणा में कोविड की स्थिति काफी

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