ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-10
भरत सिंह बेनीवाल की नाराजगी किस पर पड़ेगी भारी ?
दो साल पहले एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें ऐलनाबाद के नेता भरत सिंह बेनीवाल कह रहे हैं कि जो एक बार मेरा भाषण सुन लेता है, वह अपनी लुगाई-टाबर छोड़ सकता है लेकिन भरत सिंह को नहीं छोड़ता।
मगर विडम्बना देखिये कि शायद भरत सिंह बेनीवाल अपने भाषण कांग्रेस पार्टी को अच्छी तरह नहीं सुना पाये नतीजतन ऐलनाबाद उपचुनाव में कांग्रेस ने टिकट बाँटने के समय उन्हें छोड़ दिया। रही सही कसर तब पूरी हो गई जब बीजेपी छोड़कर सितम्बर 2021 में कांग्रेस में शामिल हुए उनके भतीजे पवन बेनीवाल को टिकट देकर उनके जले पर नमक भी छिड़क दिया।
अपने भतीजे पवन बेनीवाल को टिकट मिलने पर कांग्रेस नेता भरत सिंह बेनीवाल बेहद नाराज हैं। भरत सिंह ने कहा है कि यह पार्टी हाईकमान ने तय किया है कि टिकट किसे मिलेगा, लेकिन मेरी टिकट चौथी बार कटी है। उन्होंने पवन बेनीवाल पर निशाना साधकर आरोप लगाया है कि इनेलो व बीजेपी में रहते हुए पवन बेनीवाल ने लोगों पर अत्याचार किए हैं। इस दौरान लोगों पर झूठे मुकदमे दर्ज करवाए गए। भरत सिंह ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्षा कुमारी सैलजा को बता दिया है कि वे कांग्रेस पार्टी के चुनाव प्रचार के लिए घर से नहीं निकलेंगे। यानी चाचा बेहद नाराज हैं।
भरत सिंह बेनीवाल का दावा है कि ऐलनाबाद हलके में उनसे पुराना कोई भी नेता नहीं है तो फिर उनकी टिकट पार्टी हाईकमान द्वारा काट दी गई है। पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल ने उन्हें 1991 में पहली बार कांग्रेस की टिकट दी थी और उस समय उनके सामने इनेलो सुप्रीमो और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला थे। वर्ष 2005 के चुनाव में भरत सिंह बेनीवाल, इनेलो की प्रत्याशी विद्या बेनीवाल को हराकर पहली बार दड़बाकलां के विधायक बने। लेकिन 2005 के बाद दड़बाकलां हल्का ऐलनाबाद में शामिल हो गया, भरत सिंह बेनीवाल 2009, 2010 और 2019 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव हार चुके हैं। अतः कहा जा सकता है कि वे लगातार राजनीति में सक्रिय हैं। भरत सिंह बेनीवाल को हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नजदीकी माना जाता है। भरत सिंह बेनीवाल की टिकट 2014 में भी कट गई थी उस समय प्रदेश कांग्रेस की कमान पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ अशोक तंवर के हाथों में थी। अब ये कमान सैलजा के हाथों आ चुकी है।
भरत सिंह बेनीवाल कांग्रेस से इसलिए भी रूठे हुए हैं कि पवन बेनीवाल ने महीना भर पहले ही कांग्रेस ज्वाइन की है फिर भी पार्टी हाईकमान ने ऐलनाबाद उपचुनाव में पवन बेनीवाल को टिकट दे दी। भरत सिंह बेनीवाल ने प्रेशर पॉलिटिक्स के तहत एलान किया है कि ऐलनाबाद हलके में उनके खुद के 35000 वोट हैं जो उनके इशारे पर वोटिंग करेंगे और इस उपचुनाव में पवन बेनीवाल को टिकट देने पर कांग्रेस को भारी नुकसान होगा। भरत सिंह बेनीवाल अपने कार्यकर्ताओं के साथ लगातार सम्पर्क में हैं और वे 13 अक्टूबर तक उम्मीदवारों के नामांकन वापस लेने की तिथि का इंतजार कर रहे हैं।
भरत सिंह बेनीवाल ने कांग्रेस पार्टी को यह संदेश भेज दिया है कि वे अपने कार्यकर्ताओं से मीटिंग करने के बाद 14 अक्टूबर को कोई बड़ा फैसला लेंगे। गौरतलब है कि राजनीति में कई बार अगर कोई व्यक्ति खुद जीत नहीं सकता तो वह किसी जीतने वाले का खेल जरूर खराब कर सकता है। सभी राजनीतिक दल इस बात को बखूबी जानते हैं अतः इन सभी की निगाहें भरत सिंह बेनीवाल के 14 तारीख वाले कदम पर टिकी हुई हैं। देखना दिलचस्प होगा कि भरत सिंह बेनीवाल की नाराजगी किस पर भारी पड़ेगी और किसे इससे फायदा होगा।
चलते-चलते
क्या आप जानते हैं कि चौधरी देवीलाल के दो बेटों ने ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। चौधरी प्रताप सिंह चौटाला 1967 में और चौधरी ओमप्रकाश चौटाला ने 1970 में ऐलनाबाद सीट से ही अपने जीवन के पहले चुनाव लड़े।
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क्रमशः
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