ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-9
पूरे ऐलनाबाद में प्रचार करना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती
उत्तरप्रदेश के तराई क्षेत्र के लखीमपुर खीरी नरसंहार का व्यापक असर वहाँ से लगभग 800 किलोमीटर दूर हरियाणा के ऐलनाबाद उपचुनाव में स्पष्ट दिखाई दे रहा है। केंद्रीय राज्यमंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा द्वारा पूर्वनियोजित तरीके से किसानों को गाड़ी से रौंद देने के बाद हरियाणा में बीजेपी के खिलाफ किसानों का गुस्सा बढ़ता ही दिख रहा है। ऐलनाबाद उपचुनाव में जब बीजेपी उम्मीदवार गोविंद कांडा एक गुरुद्वारे पहुंचे तो उन्हें वहां से जबरन निकाल दिया। इस दौरान किसानों ने धक्के भी मारे।
गौरतलब है कि इस उपचुनाव के लिए बीजेपी ने गोविंद कांडा को मैदान में उतारा है। गोविंद कांडा, सिरसा के विधायक और पूर्व मंत्री गोपाल कांडा के भाई हैं। गोविंद हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए थे। उन्हें टिकट मिल तो गया लेकिन उनकी मुश्किल यहाँ विपक्षी उम्मीदवार नहीं बल्कि किसान हैं।
पिछले एक साल से ज्यादा समय से तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने एक रणनीति के तहत बीजेपी के नेताओं और उनके कार्यक्रमों का विरोध करना जारी रखा है। गोविंद कांडा भी यहां इसी का सामना कर रहे हैं। गोविंद कांडा की मुश्किल यह है कि उनके कार्यक्रम से पहले ही किसान उनके प्रोग्राम में पहुंच जाते हैं और उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने लगते हैं। किसान गोविंद कांडा के चुनावी कार्यालय के सामने भी किसान लगातार विरोध कर रहे हैं। गोविंद कांडा के चुनाव कार्यालय के बाहर बिछी कुर्सियों पर बीजेपी कार्यकर्ता नहीं बल्कि अर्धसैनिक बल और पुलिस के जवान बैठे नजर आते हैं। इससे बीजेपी की खूब जगहंसाई हो रही है।
शनिवार 9 अक्टूबर को गोविंद कांडा अपने चुनाव प्रचार में जुटे थे इस दौरान वो गुरुद्वारा सिंह सभा में मत्था टेकने के लिए चले गए। यहाँ मौजूद किसानों ने उनका भारी विरोध किया। गोविंद को किसानों ने गुरुद्वारे से बाहर निकाल दिया। गोविंद के साथ आये एक बीजेपी नेता जसवीर सिंह चहल को बुरी तरह से धक्का भी मारा गया। किसानों के भारी विरोध को देखते हुए गोविंद कांडा के निजी सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें किसी तरह निकाला और मौके से तुरंत खिसक गई।
गौरतलब है कि हरियाणा में बीजेपी सरकार और किसानों के बीच लगातार तनातनी चल रही है। सीएम मनोहर लाल और उनके मंत्री किसानों के खिलाफ बेहद अशोभनीय टिप्पणियां कर चुके हैं। हाल ही में तो मनोहर लाल का एक वीडियो सामने आया था जिसमें वो बीजेपी कार्यकर्ताओं को आंदोलनकारी किसानों को सबक सिखाने के लिए लट्ठ उठाने का आह्वान कर रहे थे। बीजेपी के किसान मोर्चा की राज्य इकाई को संबोधित करते हुए, सीएम मनोहर लाल ने कहा था कि 1000 लोगों को लाठी के साथ राज्य के विभिन्न स्थानों पर वॉलेंटियर समूह बनाना चाहिए और केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले किसानों का 'इलाज' करना चाहिए। उन्होंने कहा था, "लाठी उठाओ और उन उग्र किसानों को जवाब दो. हम सब कुछ देखेंगे।"
इस बयान पर पूरे देश में कड़ी और तीखी प्रतिक्रिया आईं फलस्वरूप मनोहर लाल को इस अपना यह बयान वापस लेना पड़ा। सीएम ने कहा कि उनकी सरकार का उद्देश्य कानून-व्यवस्था बनाए रखना है।
मगर इसके बावजूद किसान बेहद भड़के हुए हैं और इस उपचुनाव में बीजेपी का खूब विरोध कर रहे हैं।
पिछले एक साल से किसानों की यह रणनीति रही है कि बीजेपी-जेजेपी के नेताओं का कोई भी कार्यक्रम नहीं होने दिया जाए। यहाँ तक कि मनोहर लाल इनके विरोध के कारण अपने अनेक प्रोग्राम स्थगित कर चुके हैं। करनाल के कैमला गाँव में तो हजारों पुलिसकर्मियों की तैनाती के बावजूद किसानों ने उनका हेलीकॉप्टर तक नहीं उतरने दिया था। राज्य के अनेक हिस्सों में कई बार पुलिस और किसानों के बीच भीषण झड़पें भी हो चुकी हैं।
अब देखना है कि गोविंद कांडा पूरी विधानसभा में प्रचार करने के लिए किस मैथड को अपनाएंगे। इस चुनाव के नतीजे कुछ भी रहें मगर यह स्पष्ट है कि बीजेपी उम्मीदवार को पूरी विधानसभा में घूमना एक बड़ी चुनौती होगा।
चलते-चलते
ऐलनाबाद से रिकॉर्ड 5 बार जीत चुके भागीराम 1977 में जनता पार्टी, 1982 व 1987 में लोकदल, 1996 में समता पार्टी और 2000 में इनेलो पार्टी के सिम्बल पर चुनाव जीते हैं। मगर खास बात यह है कि बेशक पार्टी सिम्बल अलग-अलग हों मगर ये सभी टिकटें चौधरी देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला द्वारा दी गई थीं।
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क्रमशः
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