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ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-13

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This is the title of the web page बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का...   हैदर अली आतिश का एक मशहूर शेर है कि 'बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का जो चीरा तो इक क़तरा-ए-ख़ूँ न निकला।' यह शेर भरत सिंह बेनीवाल पर बिल्कुल फिट बैठती है। दरअसल, भरत सिंह बेनीवाल ऐलनाबाद उपचुनाव में कांग्रेस द्वारा पवन बेनीवाल को टिकट दिए जाने से बेहद खफा नजर आ रहे थे। उनके तेवरों से लग रहा था कि वो कांग्रेस पार्टी से बगावत कर सकते हैं। लेकिन उनकी दुविधा यही थी कि वो जाएं तो कहाँ जाएं ? इसी बारे में हाल ही में मेरे द्वारा 'भरत सिंह बेनीवाल के लिए आगे कुआं पीछे खाई' लेख लिखा गया था। लेख में विश्लेषण किया गया था कि अब उनके सामने दो ही विकल्प हैं कि वे इनेलो या बीजेपी को अपना समर्थन दें। सिरसा जिले में तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ माहौल बना हुआ है। भरत सिंह बेनीवाल की दुविधा यह थी कि बीजेपी को समर्थन देकर वो किसानों की नाराजगी मोल नहीं ले सकते थे। उधर भरत सिंह बेनीवाल कहते रहे हैं कि इनेलो कार्यकाल में उनपर बहुत जुल्म हुए। इस दौरान उन पर पर फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए। अतः इनेल

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-12

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This is the title of the web page   भरत सिंह बेनीवाल के लिए आगे कुआं पीछे खाई 1991 से ऐलनाबाद और उसके आसपास के इलाके में कांग्रेस पार्टी के लिए मेहनत कर रहे भरत सिंह बेनीवाल की टिकट इस उपचुनाव में काट दी गई। भरत सिंह बेनीवाल का दुख यह है कि उनकी टिकट काट कर उनके राजनीतिक विरोधी रहे उनके भतीजे पवन बेनीवाल को दे दी गई। भरत सिंह बेनीवाल का दावा है कि ऐलनाबाद विधानसभा में उनके 35,000 समर्थकों के वोट हैं और उपचुनाव में पवन बेनीवाल को टिकट देने पर कांग्रेस को नुकसान का सामना करना पड़ेगा। भरत सिंह बेनीवाल अपने कार्यकर्ताओं के साथ लगातार मीटिंग कर रहे हैं। उम्मीदवारों के नामांकन वापस लेने की तिथि 13 अक्टूबर के बाद वे अपने कार्यकर्ताओं से मीटिंग करने के बाद 14 अक्टूबर को बड़ा फैसला लेंगे। लेकिन वे फैसला क्या लेंगे ? क्या वे कांग्रेस की बजाय बीजेपी को या इनेलो को अपना समर्थन कर सकते हैं ? पूरे प्रदेश की निगाहें उनके इस फैसले पर टिकी हुई हैं। भरत सिंह बेनीवाल के अभी तक के बयानों से नहीं लगता कि वे ऐलनाबाद उपचुनाव में कांग्रेस को अपना समर्थन देंगे। कांग्रेस पार्टी भरत सिंह

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-10

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भरत सिंह बेनीवाल की नाराजगी किस पर पड़ेगी भारी ? दो साल पहले एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें ऐलनाबाद के नेता भरत सिंह बेनीवाल कह रहे हैं कि जो एक बार मेरा भाषण सुन लेता है, वह अपनी लुगाई-टाबर छोड़ सकता है लेकिन भरत सिंह को नहीं छोड़ता। मगर विडम्बना देखिये कि शायद भरत सिंह बेनीवाल अपने भाषण कांग्रेस पार्टी को अच्छी तरह नहीं सुना पाये नतीजतन ऐलनाबाद उपचुनाव में कांग्रेस ने टिकट बाँटने के समय उन्हें छोड़ दिया। रही सही कसर तब पूरी हो गई जब बीजेपी छोड़कर सितम्बर 2021 में कांग्रेस में शामिल हुए उनके भतीजे पवन बेनीवाल को टिकट देकर उनके जले पर नमक भी छिड़क दिया। अपने भतीजे पवन बेनीवाल को टिकट मिलने पर कांग्रेस नेता भरत सिंह बेनीवाल बेहद नाराज हैं। भरत सिंह ने कहा है कि यह पार्टी हाईकमान ने तय किया है कि टिकट किसे मिलेगा, लेकिन मेरी टिकट चौथी बार कटी है। उन्होंने पवन बेनीवाल पर निशाना साधकर आरोप लगाया है कि इनेलो व बीजेपी में रहते हुए पवन बेनीवाल ने लोगों पर अत्याचार किए हैं। इस दौरान लोगों पर झूठे मुकदमे दर्ज करवाए गए। भरत सिंह ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्षा कुमारी सैलजा को बता दिया है कि

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