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बेगुनाह सांसों को तोड़ते ये पुल

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' तू किसी रेल सी गुज़रती है  मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ' Chankaya Mantra January 2023 Edition हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि दुष्यंत कुमार ने 1975 में प्रकाशित अपने काव्य संग्रह 'साये में धूप' के तहत 'मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ' नामक ग़ज़ल में ये लाइनें लिखी थीं। पता नहीं दुष्यंत कुमार ने किन हालातों और परिपेक्ष्य में ये दो लाइनें लिखी हों। लेकिन यह शत-प्रतिशत सत्य है कि भारतीय रेलमार्गों पर रेल (ट्रेन) के गुजरने के दौरान ज्यादातर पुल, वाकई खतरनाक तरीके से थरथराते हैं। कुछ तो ट्रेन के गुजरते हुए टूट भी चुके हैं। इन हादसों में हजारों लोग अपनी जान गवां चुके हैं। वर्ष 2019 में संसद में पेश आंकड़ों के अनुसार भारतीय रेलमार्गों पर लगभग 1,20,000 पुल हैं, जिसमें 38,850 से अधिक पुल 100 साल से भी ज्यादा पुराने हैं, जो अपना जीवन पूरा कर चुके हैं। कायदे से इनको ढहा कर इनकी जगह नए पुल बना देने चाहियें थे। मगर यह इस देश में ही सम्भव है कि मियाद पूरी कर चुके पुलों पर भी भारतीय ट्रेनें मुसाफिरों की जान की परवाह के बगैर मजे से दौड़ रही हैं। ऐसे में पुल तो थरथरा र

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