किसानों का वो हमदर्द जिससे काँपती थीं सरकारें - महेंद्र सिंह टिकैत
This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page. (15 मई पुण्यतिथि पर विशेष लेख) "हाँ, वो हमारे साथ हैं। मैं किसान नेताओं और यहाँ उपस्थित सभी लोगों का शांतिपूर्ण और संवैधानिक तरीके से हमारा सहयोग करने पर आभार प्रकट करता हूँ। अब हम उनको बिजनौर न्यायालय में लेकर जायेंगें।" उत्तरप्रदेश के गाँव सिसौली में लाखों किसानों और हजारों पुलिसकर्मियों के जमावड़े के बीच यूपी के आईजी (रेलवे) गुरदर्शन सिंह 2 अप्रैल 2008 की सुबह पत्रकारों को यह जानकारी दे रहे थे। इसके बाद सिसौली से पुलिस की सैंकड़ों गाड़ियों का काफिला 73 वर्षीय उस किसान को लेकर रवाना हो गया। लेकिन उसी दिन कुछ ही समय बाद वह किसान अपने साथियों के बीच वापस अपने घर सिसौली लौट आया। इसके साथ ही उत्तरप्रदेश में लगातार तीन दिनों से छाई तनातनी, राजनीतिक और सामाजिक संकट व किसानों की घेराबंदी खत्म हो गई। आखिर यह 73 वर्षीय किसान कौन था और क्या वजह थी जिसने पूरे उत्तरप्रदेश की राजनीति और अफसरशाही को पूरे तीन दिन तक उलझाए रखा था ? ये कोई मामूली किसान नहीं था, ये थे महेंद्र सिंह टि