कोरोना वायरस : कैसे बनी वैश्विक महामारी



सितंबर 2019 का महीना, एक खबर ने पूरे संसार के चिकित्सा जगत में अभूतपूर्व जोश भर दिया था। मीडिया जगत में एक रिपोर्ट आई थी कि अभी तक लाइलाज, एचआईवी संक्रमण के लिए वैक्सीन बस तैयार होने वाली है। इस बारे में संयुक्त राज्य अमेरिका के सिएटल स्थित एचआईवी वैक्सीन ट्रायल नेटवर्क ने डॉक्टर लैरी कोरी के नेतृत्व में एचआईवी वैक्सीन का परीक्षण किया। 

इस टीके ने लोगों के शरीर में काफी प्रतिरक्षा कोशिकाओं का उत्पादन किया। इसने 31% की दर से अधिक एचआईवी से बचाव और मुकाबला किया। संपूर्ण चिकित्सा जगत के लिए यह खबर किसी चमत्कार से कम नहीं थी। क्योंकि वैज्ञानिक पिछले 60 वर्षों से एचआईवी से बचने के लिए कोई टीका या वैक्सीन नहीं खोज सके थे और ना ही एचआईवी से ग्रसित होने पर इसके इलाज के लिए कोई दवाई खोजी जा सकी थी। पूरा चिकित्सा जगत इस खुशखबरी से झूम रहा था।हर कोई मान रहा था कि मानव इतिहास में आज तक के सबसे कुख्यात और सबसे खतरनाक वायरस पर नकेल बस डलने ही वाली है।



पर अफसोस, चिकित्सा जगत की यह खुशी तीन महीने तक भी नहीं टिक पाई। वर्ष 2019 के आखिरी दिन यानी 31 दिसंबर को चीनी प्रशासन ने घोषणा की कि उनके यहां हुबेई प्रांत के वुहान शहर में एक ऐसा रोगी मिला है जो बड़े अजीब से वायरस से संक्रमित है और चीनी चिकित्सा जगत के पास इस वायरस का इलाज करने के लिए कोई दवा भी नहीं है।


इस वायरस को नाम दिया गया कोविड-19, आम बोलचाल में इसे कोरोना कहा गया। हालांकि लांसेट मेडिकल जर्नल में चीनी शोधकर्ताओं  द्वारा प्रकाशित एक शोध के अनुसार कोविड-19 से संक्रमित होने वाले पहले व्यक्ति का मामला एक दिसंबर 2019 को दर्ज हुआ था।

कोरोना से संक्रमित होने का पहला मामला चाहे एक दिसंबर 2019 को दर्ज हुआ हो या 31 दिसंबर 2019 को, सच्चाई यह थी कि इस वायरस से बचाव का टीका (वैक्सीन) या इलाज पूरी दुनिया में किसी भी देश के पास नहीं था।

शुरू में अंतरराष्ट्रीय जगत ने इसे चीन का आंतरिक मामला समझकर इसे बिल्कुल गंभीरता से नहीं लिया। लेकिन फरवरी 2020 आते-आते इसने पूरे विश्व में कोहराम मचा दिया। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) जब तक यानि 11 मार्च 2019 को  हरकत में आता तब तक दुनिया भर में कोरोना से मरने वालों की संख्या 4291 हो चुकी थी और 114 देशों के 1,18,319 लोग संक्रमित हो चुके थे। चीन में सर्वाधिक 3162 मौतें और 80,955 लोग संक्रमित हो चुके थे। कोरोना से दूसरा सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला देश इटली था। चीन के वुहान शहर से 8600 किलोमीटर दूर इटली के लोम्बार्डी क्षेत्र में कोरोना ने व्यापक तबाही मचाई थी। उस समय तक इटली में इसके कारण 631 लोगों की मौतें हो चुकी थीं और 10,149 लोग संक्रमित थे। अगले 24 घंटों में इटली में 196 लोग और मारे गए। यहां संक्रमित लोगों की मृत्यु दर 6.21% थी जोकि वैश्विक औसत 3.4% से बहुत ज्यादा थी।


 आखिरकार 11 मार्च को विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्यक्ष टेड्रोस गेब्रेयेसस ने कोविड-19 (कोरोना) को अंतरराष्ट्रीय महामारी घोषित कर दिया। गेब्रेयेसस ने रात 9:45 बजे आनन-फानन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि हमने कोरोना की ऐसी महामारी कभी नहीं देखी। डब्ल्यूएचओ कोरोना के प्रकोप के फैलने और गंभीरता के खतरनाक स्तरों की गहराई से चिंतित है।

उधर, वुहान से 3575 किलोमीटर दूर स्थित नई दिल्ली भी इस वैश्विक महामारी से अछूती नहीं रह पाई। उस समय तक भारत में भी कोरोना के संक्रमण के 60 मामले सामने चुके थे।हालांकि भारत ने 17 जनवरी 2020 से चीन से आने वाले हर यात्री की एयरपोर्ट्स पर स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी लेकिन तब तक कोरोना चीन से निकलकर विश्व के बाकी देशों में भी पैर पसार चुका था। अतः भारत में जल्द ही इसके संक्रमण से प्रभावित 13 और देशों से आने वाले सभी यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी गई। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 29 जनवरी को ट्रैवल एडवाइजरी जारी कर दी, उसी दिन से देश के 20 एयरपोर्ट्स पर थर्मल स्कैनिंग शुरू कर दी गई। कोरोना के क्लीनिकल मैनेजमेंट के लिए भी गाइडलाइंस जारी कर दी गई।


इतनी सावधानी और उपायों के बाद भी आखिरकार 30 जनवरी 2020 को कोरोना ने भारत में दस्तक दे ही दी। केरल में कोरोना का पहला पॉजिटिव केस सामने गया। यह पीड़िता, चीन की वुहान यूनिवर्सिटी में पढ़ रही थी और हाल ही में भारत में अपने घर गई थी।


खतरे की भयावहता को देखते हुए भारत सरकार ने 9 मार्च को देश के सभी हवाई अड्डों पर यूनिवर्सल स्क्रीनिंग के ऑर्डर जारी कर दिए यानि विश्व के किसी भी देश से आने वाले हर यात्री की एयरपोर्ट पर स्वास्थ्य जांच जरूरी कर दी गई। विदेशी यात्रियों के सामान के लिए अलग से बैगेज बेल्ट की व्यवस्था की गई। इसके चलते 20 मार्च 2020 तक कुल 14,59,953 यात्रियों की स्क्रीनिंग की जा चुकी थी।

भारत में 10 मार्च 2020 को कोरोना से जुड़ी सबसे मनहूस खबर आई। कर्नाटक के कलबुर्गी शहर में 76 वर्षीय एक बुजुर्ग की कोरोना से मौत हो 
गई।


Editorial published on 28th April 2020

 यह व्यक्ति सऊदी अरब से वापस लौटा था। कुल मिलाकर 20 मार्च तक भारत में कोरोना से 4 मौतें हो चुकी थीं और 231 लोग इससे पीड़ित थे। इसके चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 22 मार्च को पूरे देश में जनता कर्फ्यू लगाना पड़ा। लेकिन इससे भी बात नहीं बनी अतः देश में 24 मार्च के बाद 12 बजे रात को पूरे देश में आगामी 14 अप्रैल तक लॉक डाउन करने का निर्णय लेना पड़ा।


अभी तक यहां कोरोना की दूसरी स्टेज है यानि जो विदेश से आए हैं उनसे या उनके पीड़ित परिजनों द्वारा संक्रमित होने से हम किसी भी समय कोरोना के तीसरे स्टेज में पहुंच सकते हैं। इससे यह संक्रमण पूरी कम्युनिटी में पांव पसारना शुरू कर देगा जो बहुत खतरनाक साबित होगा। चीन, इटली और इरान आदि देश इसका सामना कर रहे हैं। वैसे वैश्विक स्तर पर एक बहुत बड़ी राहत की खबर आई है कि चीन, जहां से यह जानलेवा वायरस फैला था वहां 20 मार्च को पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना से पीड़ित कोई भी नया केस सामने नहीं आया।


खास बात यह रही कि कोरोना का शिकार चीन के अलावा बड़े और सम्पन्न देश जैसे इटली, स्पेन, संयुक्त राज्य अमेरिका और जर्मनी आसानी से हुए जबकि सिंगापुर, हांगकांग, ताइवान और दक्षिण कोरिया ने इससे अपने आपको बचा लिया। सम्पन्न देशों को कोरोना के प्रति लापरवाही भारी पड़ी, उन्होंने समझा कि हम चीन से हजारों किलोमीटर दूर हैं अतः कोरोना हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। डॉक्टरों की सलाहों को नजरअंदाज किया गया। दूसरी तरफ चीन से बिल्कुल सटे इन छोटे-छोटे देशों ने वायरस की पहचान होते ही फटाफट फैसले लिए। चीन से आने वाली सभी उड़ानों पर तुरंत रोक लगा दी गई। संक्रमण से प्रभावित संभावित लोगों को आइसोलेशन में रख दिया, होटलों को हॉस्पिटलों में बदल दिया और स्थिति पर काबू पा लिया गया।

कोविड-19 पर आधारित ये ब्लॉग अगर आपको पसंद आया हो व आप इस विषय में और ज्यादा जानकारियां चाहते हैं तो अमेजन पर उपलब्ध मेरी ई-बुक  Covid-12@2020 पढ़ सकते हैं।

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