उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 पर विशेष श्रृंखला-7
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के छठे चरण में 3 मार्च को 10 जिलों, गोरखपुर, अंबेडकर नगर, बलिया, बलरामपुर, बस्ती, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, संतकबीरनगर व सिद्धार्थनगर की 57 सीटों पर उतरे 676 प्रत्याशियों को वोट डाले गए। इन सीटों पर कुल 55.70 प्रतिशत मतदान हुआ। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में इन सीटों पर कुल 56.52 प्रतिशत मतदान हुआ था। अब तक के पहले 5 चरणों की तरह ही इस चरण में भी 2017 की तुलना में कम मतदान हुआ है।
पूर्वी यूपी का यह इलाका पश्चिमी यूपी की तरह न तो विकसित है और न ही चुनावों में यहाँ विकास कोई मुद्दा है। यहाँ इंसेफ्लाइटिस, पानी में आर्सेनिक की समस्या और किसानों व बुनकरों से जुड़ी बहुत सारी समस्याएं हैं लेकिन चुनाव में इन पर वोटर और प्रत्याशी इन पर चर्चा ही नहीं कर रहे। यहाँ परिवारवाद, अपराध, भ्रष्टाचार, और रिश्वतखोरी आदि भी मुद्दे नहीं हैं। यूपी चुनाव में इस बार इस चरण में सबसे ज्यादा दलबदल हुए हैं। इसी चरण में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू व नेता प्रतिपक्ष और सपा के दिग्गज रामगोविंद चौधरी भी चुनाव लड़ रहे हैं। गोरखपुर के कारण इस चरण में योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा भी दांव पर है।
इन चुनावों में दल बदलू नेताओं में सबसे बड़ा नाम स्वामी प्रसाद मौर्य का रहा है। वह बीजेपी सरकार में कद्दावर मंत्री थे। चुनावों के ठीक पहले उन्होंने भाजपा का दामन छोड़ सपा का हाथ थाम लिया। उससे पहले वह बसपा के भी कद्दावर नेता रह चुके हैं। और मायावती के कैबिनेट में भी मंत्री रह चुके थे। वे 2017 में पडरौना सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे। इस बार वह फाजिल नगर से चुनावी मैदान में हैं।
मायावती के बेहद करीबी लालजी वर्मा ने भी इस बार पार्टी बदल दी है। वे सपा के टिकट पर अंबेडकरनगर जिले के कटेहरी सीट से चुनावी मैदान में हैं।
पिछले 35 साल से बसपा से जुड़े, पाँच बार के विधायक और प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके राम अचल राजभर को मायावती ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में बसपा से निष्कासित कर दिया। इसके बाद राम अचल राजभर ने सपा का दामन थाम लिया। वे अपनी परंपरागत अंबेडकर नगर सीट से इस बार भी मैदान में हैं
बाहुबली माने जाने वाले हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी इस बार बसपा की बजाए सपा के टिकट से चिल्लूपार में चुनावी मैदान में हैं।
उधर पडरौना के प्रमुख कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह भी भाजपा में शामिल हो गए हैं।
पाला बदलने वाले भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह पर भी नजर है। बैरिया विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक सुरेंद्र सिंह का टिकट कट गया और उनकी जगह यूपी सरकार के मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला को उम्मीदवार बना दिया गया। इससे नाराज होकर सुरेंद्र सिंह ने भाजपा छोड़ दी और वे वीआईपी पार्टी से चुनावी मैदान में हैं।
कहा जा सकता है कि पूर्वांचल के इस चरण के चुनाव में नेताओं ने चुनावों से ऐन पहले खूब दल-बदल किया है। इन सभी की प्रतिष्ठा दांव पर है और देखना है कि वे नई परिस्थितियों में कितना सफल हो पाते हैं।
अब बात करते हैं इस चरण में चुनाव लड़ रहे दिग्गजों की। भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं और भाजपा ने उनको इस चुनाव में अपना मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर रखा है। गोरखपुर विधानसभा सीट पर सपा ने उनके सामने सुभावती शुक्ला को उतारा है जबकि बसपा से यहाँ ख्वाजा शम्सुद्दीन मैदान में हैं।
उधर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू भी इसी चरण में कुशीनगर जिले की तमकुहीराज सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इस क्षेत्र के दिग्गज नेता व कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह अब भाजपा में हैं अतः लल्लू के लिए चुनौती बढ़ गई है।
छठे चरण में नेता प्रतिपक्ष और सपा के दिग्गज रामगोविंद चौधरी भी बलिया की बांसडीह से लड़ रहे हैं। वे लगातार दो बार से 2012 व 2017 से चुनाव जीतते आ रहे हैं। भाजपा ने यहाँ केतकी सिंह को उतारा है, वे 2017 में भाजपा से टिकट न मिलने पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चौधरी से महज 1687 वोटों हारी थीं। लेकिन इस बार केतकी के साथ भाजपा का मजबूत संगठन भी है।
इसके साथ-साथ इसी चरण में पथरदेवा सीट से कृषि मंत्री व भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सूर्यप्रताप शाही, बांसी सीट से स्वास्थ्य मंत्री जयप्रताप सिंह, खजनी से उद्यान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीराम चौहान, फेफना सीट से खेल एवं युवा कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) उपेंद्र तिवारी, इटवा से बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा. सतीश चंद्र द्विवेदी, बैरिया सीट से ग्राम्य विकास राज्यमंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला व चौरीचौरा सीट से पशुधन राज्यमंत्री जय प्रकाश निषाद भी चुनाव लड़ रहे हैं।
चलते-चलते
भारत ने 26 फरवरी को ऑपरेशन गंगा अभियान के तहत यूक्रेन में फंसे अपने नागरिकों को निकालना शुरू किया, क्योंकि रूस ने यूक्रेन के खिलाफ अपना आक्रमण तेज कर दिया था। इसके तहत पोलैंड, हंगरी, रोमानिया और स्लोवाक गणराज्य के साथ सीमा पार करने वाले बिंदुओं के माध्यम से भारतीय नागरिकों को निकाला जाएगा। मंत्रालय ने एक समर्पित ट्विटर हैंडल 'ओपीगंगा' को एक्टिवेट किया है।
विपक्ष कह रहा है कि इस ऑपरेशन को ऑपरेशन गंगा का नाम देना बीजेपी की एक सोची समझी रणनीति है। चूँकि गंगा नदी मुख्यतः यूपी से जुड़ी हुई है और इस समय वहाँ विधानसभा चुनाव चल रहे हैं अतः इस मुद्दे से भी चुनावी लाभ उठाने का प्रयास किया जा रहा है। देखना दिलचस्प रहेगा कि क्या ऑपरेशन गंगा बीजेपी की चुनावी वैतरणी पार करवा सकेगा !
जारी
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