क्या हैं अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और ओमीक्रॉन ?


Chankaya Jan 2022 Edition

आजकल कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमीक्रॉन ने देश-विदेश में हंगामा मचा रखा है।  विशेषज्ञों का दावा है कि इस पर वैक्‍सीन का भी असर नहीं होता। शुरुआत से ही कोरोना वायरस रूप बदल-बदलकर लोगों की जिंदगियों के लिए खतरा पैदा करता रहा है। अभी तक कोरोना के अल्‍फा, बीटा, गामा, डेल्‍टा के वेरिएंट आ चुके थे हालिया ताजातरीन हमला 

ओमीक्रॉन के रूप में हुआ है। कोरोना वायरस के म्‍यूटेशन के कारण इस तरह के अलग-अलग प्रकार सामने आए हैं। इन सभी वेरिएंट में कई ऐसी चीजें हैं जो इन्‍हें एक-दूसरे से अलग करती हैं। हाल ही में खोजे ओमीक्रॉन को वेरिएंट ऑफ कंसर्न में रखा गया है।

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्लूएचओ) ने वेरिएंट का मुख्‍य रूप से दो तरह से वर्गीकरण किया है। इनमें वेरिएंट ऑफ कंसर्न और वेरिएंट ऑफ इंटरेस्‍ट शामिल हैं। डब्लूएचओ अल्‍फा, बीटा, गामा, डेल्‍टा और ओमीक्रॉन को वेरिएंट ऑफ कंसर्न में रखा गया है जबकि लैम्‍बडा और एमयू जैसे वेरिएंट को वेरिएंट ऑफ इंटरेस्‍ट में रखा गया है।

आखिर ये वेरियंट ऑफ कंसर्न क्या है?

जब वायरस के किसी वेरियंट की पहचान होती है तो उस वेरियंट  को और ज्यादा जानने-समझने के लिए डब्लूएचओ इसकी निगरानी करता है। निगरानी करने के लिए वायरस को वेरियंट ऑफ इंटरेस्ट की कैटेगरी में डाला जाता है।

अगर वायरस की स्टडी में पाया जाता है कि वेरियंट तेजी से फैल रहा है और बहुत संक्रामक है तो उसे वेरियंट ऑफ कंसर्न की कैटेगरी में डाल दिया जाता है।

वेरियंट को इंटरेस्ट और कंसर्न कैसे घोषित किया जाता है?

वेरियंट की कैटेगरी अलग-अलग पैमानों के आधार पर निर्धारित की जाती है। किसी  वेरियंट को वेरियंट ऑफ इंटरेस्ट की कैटेगरी में डालने के लिए निम्नलिखित बातों का ख्याल रखा जाता है।

वायरस के ओरिजिनल स्ट्रक्चर में कोई जेनेटिक चेंज हो। मसलन उसका ट्रांसमिशन बढ़ जाना, बीमारी का लेवल बढ़ जाना, उस पर वैक्सीन का असर कम होना। उस वेरियंट की वजह से किसी देश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन और नए केसेज का बढ़ना।

वेरियंट ऑफ इंटरेस्ट के वेरिएंट्स की लगातार निगरानी के बाद ही डब्लूएचओ उन्हें वेरिएंट ऑफ कंसर्न की कैटेगरी में डालता है।

कई वेरिएंट ऐसे भी हो सकते हैं जिन्हें न तो वेरिएंट ऑफ इंट्रेस में डाला जाता है न ही वेरिएंट ऑफ कंसर्न की कैटेगिरी में। जैसे भारत में डेल्टा प्लस वेरिएंट के भी कई केस सामने आए थे। लेकिन डब्लूएचओ ने इस वेरिएंट को किसी भी कैटेगिरी में नहीं डाला था।

वेरिएंट ऑफ कंसर्न क्यों खतरनाक होता है?

वेरिएंट ऑफ कंसर्न, वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट की तुलना में ज्यादा संक्रामक होता है। साथ ही वेरिएंट ऑफ कंसर्न ब्रेकथ्रू केसेज को बढ़ा सकता है और वैक्सीन के असर को भी कम कर सकता है। अभी तक डब्लूएचओ ने कोरोना वायरस के चार वेरिएंट्स : अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा को वेरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित किया है। ये चारों वेरिएंट अलग-अलग देशों में तबाही मचा चुके है। भारत में भी कोरोना की दूसरी लहर डेल्टा वेरिएंट की वजह से ही आई थी।

कोरोना के अभी तक ये प्रमुख वेरिएंट्स खोजे गए हैं

अल्फा वेरिएंट

सितंबर 2020 में दुनियाभर में कोरोना के अल्फा वेरिएंट ने तहलका मचाया हुआ था। इसको वैज्ञानिक भाषा में B.1.1.7 का नाम दिया गया है। इसे सबसे पहले ब्रिटेन में खोजा गया था। यहीं से यह वेरिएंट पूरी दुनिया में फैला था। अमेरिका में भी इस वेरिएंट ने काफी तबाही मचाई थी। इस वैरिएंट में वैज्ञानिकों को 23 म्यूटेशन देखने को मिले थे।

बीटा वेरिएंट

2020 में इस वेरिएंट को सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में देखा गया था। बीटा वेरिएंट का वैज्ञानिक नाम B.1.351 है। इसके दो म्यूटेशन E484K और N501Y को सबसे अधिक खतरनाक माना गया है। यह वेरिएंट अपने पुराने प्रकार से 50 फीसदी ज्यादा संक्रामक था। यह उन लोगों को भी संक्रमित कर सकता है जो कोरोना वायरस से उबर चुके हैं और उन लोगों को भी जिन्हें कोविड -19 का टीका लगाया जा चुका है।

गामा वेरिएंट

कोरोना वायरस का गामा वेरिएंट सबसे पहले ब्राजील में मिला था। गामा वेरिएंट का वैज्ञानिक नाम P.1 है। गामा वेरिएंट के दो स्ट्रेन E484K और N501Y को काफी खतरनाक माना गया है। संतोषजनक बात यह है कि वैक्सीन लगवाने के बाद यह वेरिएंट मामूली रूप से ही असर करता है।

डेल्‍टा वेरिएंट

कोरोना वायरस का डेल्टा वेरिएंट सबसे पहले भारत में पाया गया था। यह अक्‍टूबर 2020 में ट्रेस किया गया था। इसे B.1.617.2 के नाम से भी जाना जाता है। इसे दुनियाभर में कोरोना का सबसे अधिक संक्रामक वेरिएंट माना जाता है। हालांकि, इसकी इंसानी जान लेने की क्षमता को लेकर अभी तक कोई दावा नहीं किया गया है। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, 3 जुलाई को डेल्टा वेरिएंट के अमेरिका में 51.7 फीसदी मामले आए थे। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के अनुसार, जून के मध्य तक ब्रिटेन में कुल कोरोना संक्रमण में डेल्टा वेरिएंट की हिस्सेदारी 99 फीसदी थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट है कि 100 देशों में डेल्टा वेरिएंट का पता चला है।

ओमीक्रॉन वेरिएंट

कुछ दिन पहले ओमीक्रॉन वेरिएंट का पता चला है। मतलब यह सबसे ताजातरीन वेरिएंट है।ये

अनेक कई देशों में पाया गया है। 26 नवंबर को विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने इस वेरिएंट को ओमीक्रॉन नाम दिया है। इसका साइंटिफिक नाम B.1.1.529 है। इसके बारे में अध्‍ययन जारी हैं। हालांकि, कोरोना के इस वेरिएंट को काफी ज्‍यादा संक्रामक बताया जा रहा है। दिसम्बर 2021 में पहली बार इस वेरिएंट की पहचान दक्षिण अफ्रीका में हुई। यह स्‍ट्रेन बोत्सवाना सहित आसपास के देशों में फैल गया है। इसने पूरी तरह से वैक्‍सीनेटेड लोगों को भी संक्रमित किया है। यह वेरिएंट ज्‍यादा ट्रांसमिसबल है यानी अधिक तेजी से फैलता है। यह इम्‍यूनिटी से लड़ने में ज्‍यादा कुशल है मतलब यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर तगड़ा प्रहार करता है।




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