'पंजाप' का चुनावी राजनीतिक परिदृश्य
'पंजाप' में किस तरह होगा चुनावी जाप
पंजाप शब्द पढ़कर शायद आप चौंक गए होंगे और सोच रहे होंगे कि 'चाणक्य मंत्र' ने गलती से यह शब्द छाप दिया है लेकिन ऐसा नहीं है दरअसल ये शब्द उन पांच राज्यों में आम आदमी पार्टी (आप) की राजनीतिक गतिविधियों के मेल से बनाया गया है जिनमें हाल ही में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं।
पंजाब और उत्तराखंड, गोवा व मणिपुर विधानसभाओं का कार्यकाल मार्च 2022 में समाप्त हो रहा है। जबकि उत्तर प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल मई 2022 तक चलेगा।
इन पांचों राज्यों में चुनावी रणभेरी बज चुकी है जिसके तहत पंजाब, गोवा व उत्तराखंड में 14 फरवरी को मतदान होगा। मणिपुर में 27 फरवरी व 3 मार्च को दो चरणों में वोट डाले जाएंगे। जनसंख्या के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश में 10, 14, 20, 23, 27 फरवरी और 3 व 7 मार्च को मतदान होगा। जबकि 10 मार्च को सभी राज्यों की मतगणना होगी और उसी दिन नतीजे आ जाएंगे।
सीधी सी बात यह है कि इस समय इन पांचों राज्यों में राजनीतिक गतिविधियां चरम पर हैं और सभी पार्टियां अपनी पूरी शक्ति से इनमें हिस्सा ले रही हैं। आप पार्टी किस राज्य में क्या कर रही है आइये इस पर नजर दौड़ाते हैं।
पंजाब
पंजाब में इस बार 5 पार्टियों के बीच मुकाबला होने के आसार हैं। अकाली दल, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी तो हैं ही, कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा के साथ मिलकर और किसान संगठन अकेले चुनाव मैदान में कूदने का ऐलान कर चुके हैं जिसकी अगुवाई प्रमुख किसान नेता बलबीर राजेवाल कर रहे हैं।
अगर आम आदमी पार्टी दिल्ली प्रदेश के बाद किसी राज्य में सबसे मजबूत है तो वह है पंजाब। जहाँ दिल्ली में आप की सरकार है वहीं 2016 में पंजाब के विधानसभा चुनावों में इसने यहां कुल 117 में से 20 सीटें जीतकर इतिहास बना दिया और मुख्य विपक्षी पार्टी बनी। हैरतअंगेज बात यह रही कि राज्य में लंबे समय से प्रभावी रहा अकाली दल केवल 15 सीटें जीत सका। यह अलग बात है कि आप पार्टी में आपसी फूट के कारण इन 20 में से 6 विधायक दूसरी पार्टियों में जा मिले। लेकिन इसके बावजूद आप पार्टी यहाँ बम-बम दिखाई देती है। चुनाव की घोषणा से पहले ही आम आदमी पार्टी 7 जनवरी 2022 तक पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की आठ सूची जारी करके राज्य में 104 प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है। इससे पता चलता है कि इस मामले में वह अन्य दलों से सबसे आगे है। हालांकि आम आदमी पार्टी ने अभी तक वहां मुख्यमंत्री पद का नाम नहीं घोषित किया है मगर पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया कह चुके हैं कि आप, कांग्रेस से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा पंजाब में पेश कर देगी।
हाल ही में भगवंत मान ने दावा किया है कि अगर पार्टी चाहेगी तो वो पंजाब विधानसभा चुनावों में सीएम पद का चेहरा हो सकते हैं। ये आप की पीएसी डिसाइड करेगी कि कौन सीएम का चेहरा बनाकर किसे चुनाव में उतारा जाए। पार्टी यहाँ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नाम पर चुनाव लड़ रही है। पूरे पंजाब में 'इक मौका केजरीवाल नूं' के पोस्टर लगाकर धुआंधार प्रचार किया जा रहा है। मजे की बात यह है कि केजरीवाल कह रहे हैं कि पंजाब में मुख्यमंत्री का चेहरा सिख समाज से होगा।
पंजाब में कृषि आंदोलन जनमानस में रच-बस चुका है में बाकी दल जहां एमएससी के मुद्दे पर किसानों के सामने डिफेंसिव मोड में नजर आ रहे हैं, वहीं आप ने एमएसपी गारंटी की जोरदार हिमायत शुरू कर दी है। आप के सर्वेसर्वा अरविंद केजरीवाल पंजाब में अपनी प्रत्येक चुनावी सभा में एमएसपी गारंटी के लाभ गिना रहे हैं। उनका कहना है कि यह गारंटी किसानों, प्रदेश व केंद्र सरकारों और फसल विविधता को बढ़ावा देने में कारगर साबित होगी। उन्होंने एमएसपी गारंटी के चलते केंद्र सरकार को होने वाली आय के आंकड़े प्रस्तुत करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान को नकार दिया है, जिसमें कहा गया था कि एमएसपी की गारंटी से सरकार को 18 लाख करोड़ रुपये का घाटा होगा। केजरीवाल पूरे आंकड़ों के साथ पंजाब के लोगों को समझाने में जुटे हैं कि एमएसपी की गारंटी आसान है, बस एनडीए और कांग्रेस ही इसे टालते रहे हैं।
लगता है कि अरविंद केजरीवाल ने एमएसपी के जरिये पंजाब की चुनावी वैतरणी पार करने का मन बना रखा है। कांग्रेस ने पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर एक मास्टरस्ट्रोक खेला है। चन्नी दलित-सिख समुदाय से ताल्लुक रखते हैं जिसकी आबादी पंजाब में सबसे ज़्यादा (32%) है। प्रतिशत के आधार पर देश में भी सबसे ज्यादा!
केजरीवाल के सामने कांग्रेस के इस बड़े दाँव को काटने की बहुत बड़ी चुनौती है।
Chankaya Jan 2022 Edition |
गोवा
दिसंबर 2020 को गोवा के जिला पंचायत चुनावों में आम आदमी पार्टी को एक सीट पर कामयाबी मिली। आप उम्मीदवार ने बेनालिम सीट जीत ली। इस तटीय राज्य में यह पहला मौका था जब आप ने किसी चुनाव में कोई सीट जीती हो।
इसी कड़ी में 6 अगस्त 2021 को गोवा में आप पार्टी में एक बड़ा चेहरा शामिल हुआ। शिरोडा से साल 2007-2017 के बीच दो बार विधायक और बीजेपी के पूर्व नेता महादेव नाइक ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया। नाइक 2012 से 2017 तक गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की सरकार में समाज कल्याण मंत्री रहे थे। लेकिन पार्टी इस जश्न को देर तक मना पाती कि 9 अगस्त 2021 को खबर आई कि गोवा में आम आदमी पार्टी के पूर्व संयोजक और 2017 के पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार रहे एल्विस गोम्स ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है।
अरविंद केजरीवाल भी लगातार गोवा का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी गोवा में पूरी ताक़त के साथ चुनाव लड़ रही है। इससे पहले 2017 में हुए गोवा के पिछले विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी जोर-शोर से उतरी थी लेकिन वह एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। इस बार पार्टी को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। गोवा में हर सीट पर केवल 20 से 25 हज़ार वोटर हैं। ऐसे में यहाँ आमतौर पर हार-जीत का फासला कुछ ही वोटों के अंतर से होता है। अतः आप को इस बार यहाँ बेहतर करने की उम्मीद है।
गोवा में आप, बिजली से विरोधियों पर बिजली गिराने की जुगत में है। अरविंद केजरीवाल ने पणजी में एक जनसभा में गोवा के नागरिकों से चार वायदे किये, चारों ही वायदे बिजली से सम्बंधित थे उन्होंने कहा कि हर परिवार को हर महीने 300 यूनिट बिजली फ्री दी जाएगी, बिजली के पुराने सारे बिल माफ किये जायेंगे, चौबीसों घंटे बिजली दी जाएगी और किसानों के लिए बिजली बिल्कुल फ्री होगी। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों में सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ने का लक्ष्य लेकर चल रही है। पार्टी ने गोवा में चुनाव प्रभारी आतिशी को बनाया है।
उत्तरप्रदेश
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की तरफ से अरविंद केजरीवाल ने खुद वाराणसी से नरेंद्र मोदी के खिलाफ ताल ठोकी थी। उन्हें यहां दो लाख से ज्यादा वोट मिले थे और मोदी लहर में भी इतने वोट पाने पर इस प्रदर्शन को सराहा गया था। इसके बाद केजरीवाल उत्तरप्रदेश पर ज्यादा फोकस नहीं कर पाए लेकिन इस बार आप, उत्तरप्रदेश को लेकर काफी गम्भीर है। इसके चलते अरविंद केजरीवाल अयोध्या में आरती करने को भी पहुंच गए। उधर आप, सपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ने की सोच रही है लेकिन अखिलेश यादव आप के साथ चुनाव लड़ने को इतने आतुर नजर नहीं आते। आम आदमी पार्टी ने उत्तरप्रदेश के पंचायत चुनावों में दावा किया किया था कि उसके 200 से ज्यादा ग्राम प्रधान प्रत्याशी और 70 से अधिक जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीते हैं। आप ने उत्तरप्रदेश का प्रभारी राज्यसभा सांसद संजय सिंह को बनाया हुआ है वे उत्तरप्रदेशवासियों को दिल्ली मॉडल के आधार पर आप का साथ देने की अपील कर रहे हैं। कहने को पार्टी यहाँ सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जिसमें 200 से ज्यादा प्रत्याशियों की घोषणा हो भी चुकी है।
लेकिन इस विशालकाय प्रदेश में क्या आप पार्टी किसी विधानसभा क्षेत्र में जीत का श्रीगणेश कर पायेगी यह एक बड़ा सवाल है।
उत्तराखंड
उत्तराखंड सरकार द्वारा कोविड के चलते रात्रि कर्फ्यू लागू करने के विरोध में आम आदमी पार्टी कार्यकर्त्ताओं ने 28 दिसम्बर 2021 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का पुतला फूंका और अपना आक्रोश व्यक्त किया। आप ने कहा की पहले ही पूर्व में सरकार के बनाए नियमों से पर्यटन व्यवसाय के साथ ही होटल व्यवसाय की कमर टूट चुकी है, जबकि उत्तराखंड प्रदेश में पर्यटन ही मुख्य आय का स्रोत है। उसके बावजूद भी सरकार ने रात्रि कर्फ्यू लगा कर नववर्ष की तैयारी कर रहे होटल व्यवसाय को बड़ा झटका दिया है। जाहिर सी बात है कि ऐसे मुद्दों से आप इस छोटे से पहाड़ी राज्य में स्थानीय लोगों की सहानुभूति बटोरना चाहती है।
आप उत्तराखंड में पहली बार चुनाव लड़ने जा रही है। पार्टी ने 70 सीटों वाले इस राज्य के लिए पहली सूची जारी कर 24 उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिसमें गंगोत्री सीट से कर्नल अजय कोठियाल को उतारा गया है वे मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी भी हैं। इसकी वजह भी साफ है कि क्योंकि उत्तराखंड में वर्तमान और भूतपूर्व सैनिकों की संख्या बहुत बड़ी है। इसके साथ ही आम आदमी पार्टी ने प्रदेश के युवाओं को साधने के लिए रोजगार गारंटी अभियान शुरू किया है, जिसे घर-घर पहुंचाया जा रहा है। उत्तराखंड में आधे से ज्यादा वोटर युवा हैं। उत्तराखंड में चुनाव का जिम्मा दिनेश मोहनिया को दिया गया है।
मणिपुर
मणिपुर में हुए 2017 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने यहाँ गैर भाजपा और गैर कांग्रेसी पांच दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का समझौता किया था। ये दल थे मणिपुर स्टेट काउंसिल ऑफ सीपीआई, सीपीआई (मार्क्सवादी), जनता दल (यूनाइटेड), नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी और मणिपुर नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट। कहा गया कि इस मोर्चे का गठन भ्रष्टाचार और साम्प्रदायिकता के खिलाफ हुआ है। लेकिन आम आदमी पार्टी के लिए 60 विधायकों वाली मणिपुर की सत्ता उतनी ही दूर रही जितना दूर दिल्ली से मणिपुर है। यानी आप पार्टी को यहाँ कुछ खास सफलता नहीं मिली। शायद पुराने अनुभव के चलते ही आम आदमी पार्टी ने इस बार के मणिपुर विधानसभा चुनाव में न उतरने का फैसला किया है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें