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'पंजाप' का चुनावी राजनीतिक परिदृश्य

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'पंजाप' में किस तरह होगा चुनावी जाप Chankaya Jan 2022 Edition पंजाप शब्द पढ़कर शायद आप चौंक गए होंगे और सोच रहे होंगे कि 'चाणक्य मंत्र' ने गलती से यह शब्द छाप दिया है लेकिन ऐसा नहीं है दरअसल ये शब्द उन पांच राज्यों में आम आदमी पार्टी (आप) की राजनीतिक गतिविधियों के मेल से बनाया गया है जिनमें हाल ही में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं।  पंजाब और उत्तराखंड, गोवा व मणिपुर विधानसभाओं का कार्यकाल मार्च 2022 में समाप्त हो रहा है। जबकि उत्तर प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल मई 2022 तक चलेगा।  इन पांचों राज्यों में चुनावी रणभेरी बज चुकी है जिसके तहत पंजाब, गोवा व उत्तराखंड में 14 फरवरी को मतदान होगा। मणिपुर में 27 फरवरी व 3 मार्च को दो चरणों में वोट डाले जाएंगे। जनसंख्या के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश में 10, 14, 20, 23, 27 फरवरी और 3 व 7 मार्च को मतदान होगा। जबकि 10 मार्च को सभी राज्यों की मतगणना होगी और उसी दिन नतीजे आ जाएंगे। सीधी सी बात यह है कि इस समय इन पांचों राज्यों में राजनीतिक गतिविधियां चरम पर हैं और सभी पार्टियां अपनी पूरी शक्ति से

क्या हैं अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा और ओमीक्रॉन ?

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Chankaya Jan 2022 Edition आजकल कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमीक्रॉन ने देश-विदेश में हंगामा मचा रखा है।  विशेषज्ञों का दावा है कि इस पर वैक्‍सीन का भी असर नहीं होता। शुरुआत से ही कोरोना वायरस रूप बदल-बदलकर लोगों की जिंदगियों के लिए खतरा पैदा करता रहा है। अभी तक कोरोना के अल्‍फा, बीटा, गामा, डेल्‍टा के वेरिएंट आ चुके थे हालिया ताजातरीन हमला  ओमीक्रॉन के रूप में हुआ है। कोरोना वायरस के म्‍यूटेशन के कारण इस तरह के अलग-अलग प्रकार सामने आए हैं। इन सभी वेरिएंट में कई ऐसी चीजें हैं जो इन्‍हें एक-दूसरे से अलग करती हैं। हाल ही में खोजे ओमीक्रॉन को वेरिएंट ऑफ कंसर्न में रखा गया है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्लूएचओ) ने वेरिएंट का मुख्‍य रूप से दो तरह से वर्गीकरण किया है। इनमें वेरिएंट ऑफ कंसर्न और वेरिएंट ऑफ इंटरेस्‍ट शामिल हैं। डब्लूएचओ अल्‍फा, बीटा, गामा, डेल्‍टा और ओमीक्रॉन को वेरिएंट ऑफ कंसर्न में रखा गया है जबकि लैम्‍बडा और एमयू जैसे वेरिएंट को वेरिएंट ऑफ इंटरेस्‍ट में रखा गया है। आखिर ये वेरियंट ऑफ कंसर्न क्या है? जब वायरस के किसी वेरियंट की पहचान होती है तो उस व

भारत में ओमीक्रॉन का प्रभाव और खतरा

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This is the title of the web page Chanakya January 2022 Edition कुछ महीने पहले तक भारत में कोरोना की तीसरी लहर की दूर तक कोई आशंका नहीं दिख रही थी। सब कुछ सामान्य सा होता जा रहा था। कोरोना के केस भी लगातार घटते जा रहे थे। ज्यादातर जगहों पर कोविड की पाबंदियों में ढील दी जाने लगी थी।                                                                                                                                    लेकिन भारत में 2 दिसंबर को ओमीक्रॉन वेरिएंट की एंट्री की पुष्टि हो ही गई। कर्नाटक में 2 लोग इससे संक्रमित पाए गए थे। उसके बाद 28 दिसंबर तक ओमिक्रॉन देश के 21 राज्यों में फैल चुका है और इसके मरीजों की संख्या 653 हो गई है। उधर संयुक्त राज्य अमेरिका में भी एक हफ्ते के भीतर नए मामलों में ओमीक्रोन का हिस्सा 3% से बढ़कर 73% होने से भी पूरे विश्व में चिंता व्याप्त हो गई है। भारत में ओमीक्रॉन की एंट्री के बाद चीजें बदलती दिख रही हैं। एक्सपर्ट चेता रहे हैं कि यहाँ महामारी की तीसरी लहर आनी ही है।                                                                     

बिपिन रावत और उनके हेलीकॉप्टर क्रैश का सच

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This is the title of the web page  (My full article published in Chankaya December Edition) तमिलनाडु के कुन्नूर के पास नीलगिरि की पहाड़ियों में आठ दिसम्बर 2021 को भारतीय वायुसेना का एक एमआई-17 वी 5 हेलीकॉप्टर दुर्घटना का शिकार हो गया। इस दुखद दुर्घटना में भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत हेलीकॉप्टर पर सवार सभी 14 यात्रियों की मौत हो गई।  कुन्नूर हादसे ने जम्मू कश्मीर के पुंछ में 22 नवम्बर 1963 में हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना की याद दिला दी, जिसमें भारत के तत्कालीन अत्यंत वरिष्ठ छह सैन्य अधिकारियों की मौत हो गई थी। इस हादसे में लेफ्टिनेंट जनरल दौलत सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह, एयर वाइस मार्शल ईडब्ल्यू पिंटो, मेजर जनरल केएनडी नानावटी, ब्रिगेडियर एसआर ओबेरॉय और फ्लाइट लेफ्टिनेंट जनरल एसएस सोढ़ी की दुखद मृत्यु हो गई थी।  कैसे बने बिपिन रावत चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ  दिसंबर 2016 में भारत सरकार ने जनरल बिपिन रावत को उनसे दो वरिष्ठ अफसरों लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीन बक्शी और लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हारिज के होते हुए भी भारतीय से

जीत किसान-मजदूरों की मगर अभी अधूरी

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This is the title of the web page 19th November 2021 आज की सुबह अन्य दिनों की तरह ही हुई थी मगर एक परिचित के फोन ने चौंका दिया। फोन से पता चला कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वे तीन कृषि कानून अचानक वापस ले लिए जिन्हें गेम चेंजर बताया जा रहा था और सरकार इन्हें वापस न लेने की खातिर राजहठ किये हुई थी। अब सरकार कहिये या नरेन्द्र मोदी बात एक ही है। इन कानूनों को वापस लेना कितना शर्मिंदगी और अपमान भरा रहा होगा इस बारे में केवल सोचा ही जा सकता है! शायद यही वजह रही होगी कि नरेन्द्र मोदी ने इसे राष्ट्र को बताने के लिए सुबह-सुबह 9.00 बजे का समय चुना क्योंकि इस समय टीवी पर दर्शकों की संख्या न्यूनतम होती है। अन्यथा अगर क्रेडिट लेने की बात होती तो नरेन्द्र मोदी इसके लिए प्राइम टाइम यानी रात 8.00 बजे को ही चुनते! अब ये भी खोज का विषय हो सकता है कि इस शर्मिंदगी भरे फैसले को सार्वजनिक रूप से बताने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर तैयार क्यों नहीं हुए? क्योंकि वे ही इन नए कृषि कानूनों बारे में संयुक्त किसान मोर्चे से 11 दौर की बातचीत कर चुके थे और मोर्चे को दो टूक कह

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-18

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  शहीद किसान अस्थि कलश यात्रा का उपचुनाव पर असर उत्तरप्रदेश के लखीमपुर में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा द्वारा कथित रूप से गाड़ी से कुचल कर मारे गए किसानों की घटना वहां से 800 किलोमीटर दूर स्थित ऐलनाबाद में भी बीजेपी का सिरदर्द बनी हुई है।  दरअसल संयुक्त किसान मोर्चे ने इस हादसे में शहीद हुए किसानों के अस्थि कलश को पूरे देश  में जन-जन तक ले जाने की योजना बना रखी है ताकि देशवासियों को इस लोमहर्षक कांड के बारे में जागरूक किया जा सके। इसी कड़ी में यह अस्थि कलश यात्रा बीते 20 अक्टूबर से ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र में गांव-गांव में घूम रही है। इसका ऐलनाबाद में समापन 23 अक्टूबर को है, इस अवसर पर गुरनाम सिंह चढूनी स्वंय ऐलनाबाद में मौजूद हैं। लेकिन इससे पहले इस अस्थि कलश यात्रा में  एक और पंगा हो गया। शनिवार की सुबह ज्यों ही यह अस्थि कलश यात्रा गांव गिगोरानी बस अड्डे से नाथूसरी की तरफ जा रहे थी सिरसा की तरफ से आ रही एक कार ने अस्थि कलश वाली बोलेरो गाड़ी को सीधी टक्कर मार दी। गाड़ी में में गुरुद्वारा चिल्ला साहब के सेवादार मलकीत सिंह निवासी रामपुर थेहड़ी व कृष्ण ला

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-17

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बात उस प्रत्याशी की जिसने न पार्टी बदली न आस्था अभी तक के लेखों में हमने ऐलनाबाद उपचुनाव में उतरे कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशियों के बारे में चर्चा कर ली। आज चर्चा तीसरी पार्टी इनेलो और उसके उम्मीदवार अभय सिंह चौटाला के बारे में होगी। यह तो स्पष्ट हो ही गया है कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों के उम्मीदवार दल-बदलू हैं यानी पवन बेनीवाल उपचुनाव से महज एक महीना पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए हैं। गोविंद कांडा तो नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया के दौरान ही बीजेपी में शामिल हुए और उन्हें पार्टी का टिकट थमा दिया गया। एक मजेदार बात यह भी रही कि गोविंद कांडा हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) के उपाध्यक्ष थे मगर उन्होंने बीजेपी में शामिल होने पर हलोपा को छोड़ने की विधिवत घोषणा नहीं की। उस पर गजब यह भी है कि हलोपा के एकमात्र विधायक और उनके सगे भाई गोपाल कांडा खुद उनका चुनाव प्रचार कर रहे हैं! खैर हम वापस इनेलो और अभय सिंह चौटाला पर आते हैं। देखा जाए तो अभय चौटाला वाकई जमीन से जुड़े नेता हैं। अभय के पॉलिटिकल कैरियर की शुरूआत चौटाला गांव से पंचायत चुनाव में उप सरपंच की सीट जीतने से शुरू हुई। साल

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