भारत जोड़ो यात्रा

 


बेंगलुरु शहरी जिले की एक विशेष अदालत ने 7 नवम्बर 2022 को आदेश दिया कि बगैर अनुमति के एक फिल्मी गीत को कांग्रेस द्वारा इस्तेमाल के कारण उसका ट्विटर अकाउंट व भारत जोड़ो यात्रा की वेबसाइट को ब्लॉक कर दिया जाए। गौरतलब है कि, कांग्रेस पार्टी पर आरोप है कि उसने केजीएफ-2 के एक गाने का इस्तेमाल कर कॉपीराइट कानून का उल्लंघन किया है। इसे लेकर एमआरटी म्यूजिक ने कोर्ट में मामला दायर कर दिया था। कंपनी की याचिका पर सिविल कोर्ट ने आनन फानन में भारत जोड़ो अभियान की वेबसाइट और कांग्रेस के ट्विटर खाते पर रोक का आदेश दे दिया।


यही नहीं राहुल राहुल गांधी समेत तीन लोगों पर आपराधिक मामला भी दर्ज करा दिया गया। एमआरटी म्यूजिक कंपनी ने कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी, जयराम रमेश और सुप्रिया श्रीनेत के खिलाफ धारा 403 (संपत्ति की बेईमानी से हेराफेरी), 465 (जालसाजी के लिए सजा), 120 धारा 403, 465 और 120बी आर/डब्ल्यू धारा 34 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 के तहत और धारा 63 कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के तहत मामला दर्ज कराया। 

जैसे ही यह ख़बर आई, लगभग तमाम टीवी चैनलों ने इसे ब्रेकिंग न्यूज़ के रूप में खूब उछाला, वे चैनल भी इसे प्रमुखता से दिखा रहे थे जो अभी तक इस यात्रा के प्रति उदासीन थे। पूरी कोशिश रही कि यात्रा को एक तरह से फ्लॉप घोषित कर दिया जाए।

लेकिन अगले ही दिन यानी 8 नवम्बर को कर्नाटक हाईकोर्ट ने कांग्रेस और भारत जोड़ो यात्रा के ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक करने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी। हालांकि कर्नाटक हाईकोर्ट ने इसके लिए कांग्रेस के सामने एक शर्त रखी कि कांग्रेस पार्टी से उन सभी पोस्ट के स्क्रीनशॉट उपलब्ध कराने के लिए कहा है, जो प्रतिवादी के कॉपीराइट का उल्लंघन करते हैं।

महत्वपूर्ण बात यह है कि जब निचली अदालत ने कांग्रेस के ट्विटर अकाउंट व भारत जोड़ो यात्रा की वेबसाइट को ब्लॉक करने के आदेश दिए तो सभी प्रमुख न्यूज चैनलों ने इस आदेश को प्रमुखता से दिखाया लेकिन हाईकोर्ट के आदेश को दिखाने में कोई खास रुचि नहीं ली। ज्यादातर देशवासियों को हाईकोर्ट के आदेश के बारे में ज्यादा पता ही नहीं चला।


दरअसल, सरकार में रहने और न रहने का यही असर होता है। अगर इस वक़्त केंद्र में कांग्रेस की सरकार सत्तारूढ़ होती तो मीडिया जगत में परिस्थितियां राहुल गांधी के अनुकूल होती अब ये प्रतिकूल हैं। यही सत्य है और इसे मानना ही पड़ेगा।

कांग्रेस पिछले आठ सालों से भी ज्यादा समय से केंद्र में नहीं है। इससे कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता मायूस हैं। रही सही कसर आलाकमान के बेतुके फैसलों ने पूरी कर दी है। पूरे संगठन में निराशा व्याप्त है। सोनिया गांधी व राहुल गांधी समेत अनेक बड़े नेताओं पर सीबीआई व ईडी की कार्यवाही जारी है। अनेक नामचीन नेता कांग्रेस छोड़कर भाजपा का रुख कर चुके हैं। हालांकि हाल ही में मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुए हैं। मगर, राहुल गांधी ने 2019 के आम चुनावों में कांग्रेस की बुरी हार की ज़िम्मेदारी लेते हुए पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बार-बार आग्रह पर भी वो अध्यक्ष पद को नकारते रहे। जिसका सत्तारूढ़ भाजपा पार्टी ने खूब मजाक भी उड़ाया। कांग्रेस के विरोधी दलों खासकर भाजपा द्वारा सोशल मीडिया पर राहुल गांधी को एक अपरिपक्व नेता के रूप में पेश किया जाता रहा। राहुल गांधी को एक कमज़ोर और मज़ाकिया नेता के तौर पर पेश करने की कोशिश की गई। कहा गया कि जब भी देश या कांग्रेस पर कोई संकट आता है तो उसका सामना करने की बजाए राहुल गांधी विदेश चले जाते हैं। इसके साथ-साथ उन्हें अनेक अप्रिय संज्ञाओं से भी नवाजा गया, न तो कांग्रेस और न राहुल गांधी ने इस दुष्प्रचार का मुकाबला किया। ऐसे में उनकी और कांग्रेस की छवि धूमिल होती चली गई। 

ऐसे में राहुल गांधी ने पार्टी में निराशाजनक माहौल को दूर करने के लिए एक बहुत बड़ा साहसिक फैसला लिया। फैसला था भारत जोड़ो यात्रा करने का। 

हालांकि यह महत्वाकांक्षी यात्रा प्लानिंग के स्तर पर शुरू में थोड़ा लड़खड़ाई, क्योंकि पहले इसे 2 अक्टूबर 2022 को शुरू होना था मगर अचानक इसे 7 सितंबर, 2022 से शुरू करने की घोषणा कर दी गई। भारत जोड़ो यात्रा से राहुल गांधी अपनी छवि को तोड़कर एक नई छवि गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। इसके साथ कहा जा सकता है कि भारत जोड़ो यात्रा, कांग्रेस पार्टी द्वारा शुरू किया गया एक जन आंदोलन है जिसका उद्देश्य भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की कथित विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ देश को एकजुट करना है। इसे मूल्यवृद्धि, बेरोजगारी, राजनीतिक केंद्रीकरण और विशेष रूप से भय, कट्टरता की राजनीति और नफरत के खिलाफ लड़ने के लिए प्लान किया गया है।

यह भी गौरतलब है कि कांग्रेस के रणनीतिकारों ने राहुल गांधी के लिए स्ट्रैटेजी में कुछ बदलाव किया है। राहुल गांधी अभी तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की खामियां ही गिनाते रहे हैं। सूट बूट की सरकार व चौकीदार चोर है नारे देकर राहुल गांधी का जोर इसी बात पर रहा कि भाजपा और मोदी सरकार खामियों से भरी पड़ी है। मगर राहुल लोगों को यह नहीं समझा पा रहे थे कि कांग्रेस भी बीजेपी का विकल्प हो सकती है। सही मायनों में राहुल गांधी भी नरेंद्र मोदी के विकल्प हो सकते हैं। यह महत्वपूर्ण तुरुप का पत्ता साबित हो सकता है। इसके लिए जरूरी था कि राहुल गांधी को पूरे देश का पैदल भ्रमण कराया जाए और उन्हें मिट्टी से जुड़ा नेता दिखाया जाए। क्योंकि नरेन्द्र मोदी अपने आपको इस खाँचे में फिट कर चुके हैं। अतः राहुल गांधी को अपने आप पर राजकुमार का ठप्पा हटाना अनिवार्य हो गया था और आम जनता में घुलना मिलना जरूरी था।

देर से ही सही, कांग्रेस के रणनीतिकारों की ये बात भी राहुल गांधी को समझ में आने लगी है कि लोग मौजूदा सरकार की खामियों पर तो ध्यान देने से रहे। क्योंकि जनता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के मुकाबले महंगाई व बेरोजगारी जैसे मुद्दों तक की परवाह नहीं हो रही है। लोग ये मान कर चल रहे हैं कि चाहे ये सब मुश्किलें क्यों न हों, लेकिन देश सुरक्षित हाथों में है।

ऐसे में भारत जोड़ो यात्रा के जरिये लोगों को यह संदेश देने की कोशिश हो रही है कि राहुल गांधी, मोदी के प्रतियोगी नहीं बल्कि विकल्प हैं। इस तथ्य से भाजपा भी अंजान नहीं है और बड़ी बारीकी से राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का विश्लेषण किया जा रहा है।

सात सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू हुई भारत जोड़ो यात्रा अगले 150 दिनों में देश के 12 राज्यों और दो केंद्र-शासित प्रदेशों से गुज़र कर 3570 किलोमीटर का सफर तय कर जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में समाप्त होगी। इस पदयात्रा में राहुल गांधी के साथ शुरू से लेकर आखिर तक 100 से भी अधिक नेता चल रहे हैं। देश के जिन प्रदेशों में यह यात्रा नहीं गुजर रही है वहां से 100-100 लोग इसमें शामिल होंगे यह लोग अतिथि यात्री होंगे और जिन प्रदेशों से यह यात्रा गुजरेगी उनमें से भी 100-100 लोग यात्रा में शामिल होंगे। यह लोग प्रदेश यात्री कहलाएंगे। एक समय में केवल 300 पदयात्री ही भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हो सकेंगे। पांच महीने चलने वाली यह पदयात्रा दो शिफ्ट में चल रही है, पहली शिफ्ट सुबह 10:30 बजे और दूसरी शिफ्ट 3:30 बजे से। यात्रा एक दिन में औसतन 22 से 23 किलोमीटर की दूरी कवर कर रही है।

भाजपा की आईटी सेल पहली बार दिखी बैकफुट पर

जैसा कि भारत जोड़ो यात्रा का मुख्य उद्देश्य निराश दिखाई दे रही कांग्रेस में नया संचार करना है। ऐसे में इसने शुरुआत में ही भाजपा के दुष्प्रचार को घुटनों पर ला दिया।

सबसे पहले निशाने पर आई स्मृति ईरानी!

कर्नाटक में भाजपा सरकार के 3 साल पूरे होने पर 10 सितंबर 2022 को बेंगलुरु के डोड्डाबल्लापुरा में जनस्पंदन कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी पर आरोप लगाया कि उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत कन्याकुमारी से की। लेकिन उन्होंने वहीं पर मौजूद विवेकानंद मेमोरियल में स्वामी विवेकानंद के दर्शन नहीं किये और उन्हें प्रणाम नहीं किया। ईरानी ने इसके पीछे ये वजह बताई कि विवेकानंद, गांधी खानदान के सदस्य नहीं थे।

कांग्रेस नेता स्मृति ईरानी के इस बयान पर टूट पड़े। उन्होंने इस बयान को झूठा बताते हुए राहुल गांधी का एक वीडियो शेयर किया। इसमें वे स्वामी विवेकानंद को प्रणाम कर उनकी प्रतिमा की परिक्रमा कर रहे हैं। इसके साथ ही कांग्रेस नेताओं ने इस वीडियो के साथ न्यूज़ एजेंसी एनआईए का एक ट्वीट भी शेयर किया था जिसमें 7 सितंबर को राहुल गांधी के विवेकानंद मेमोरियल के दौरे की ख़बर थी।

इसके बाद कांग्रेस ने जबरदस्त पलटवार किया।  दिग्गज कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद जयराम नरेश ने स्मृति के आरोपों पर कहा, "हमने दिखाया है, 7 तारीख को 3 बजे राहुल गांधी जी कहां थे? किनके स्मारक में थे? स्मृति ईरानी इसका जवाब दें। अगर उनको नया चश्मा चाहिए, तो मैं वो भी देने को तैयार हूँ।"

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, "क्या बेवकूफी है! भगवान मूर्ख आत्माओं को शांति दे।"

मध्य प्रदेश में कांग्रेस के विधायक पीसी शर्मा ने कहा, "लश्कर भी तुम्हारा है, सरदार भी तुम्हारा है, तुम झूठ को सच लिख दो अखबार तुम्हारा है, इस दौर की फरियाद जाएं तो कहां जाएं, सरकार भी तुम्हारी और दरबार भी तुम्हारा है।"

भाजपा और स्मृति ईरानी ने कांग्रेस के जवाबी हमले पर चुप्पी साध ली। 

ये अभूतपूर्व था क्योंकि इससे पहले भाजपा, कांग्रेस को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ती थी।

इसके बाद 18 सितंबर को तमिलनाडु बीजेपी के नेता निर्मल कुमार के एक ट्वीट से विवाद खड़ा हो गया। निर्मल ने राहुल गांधी और उनकी भांजी की एक पुरानी फोटो ट्वीट की और भारत जोड़ो यात्रा पर तंज कसा। उन्होंने राहुल गांधी को पप्पू कहकर भी संबोधित किया। बीजेपी नेता के इस ट्वीट के बाद कांग्रेस ने जबरदस्त मोर्चा खोल दिया।  

हालांकि, विवाद ज्यादा बढ़ा तो बीजेपी नेता ट्वीट डिलीट कर दिया और इसे राजनीतिक टिप्पणी बताया। 

निर्मल कुमार के ट्विटर बायो के मुताबिक, वे तमिलनाडु में बीजेपी के आईटी और सोशल मीडिया विंग के प्रदेश अध्यक्ष हैं। निर्मल ने जो तस्वीर शेयर की है, उसमें राहुल गांधी और अपनी भांजी मिराया वाड्रा (प्रियंका गांधी की बेटी) के साथ बैठे हैं। दोनों लोग राजीव गांधी की 71वीं जयंती के एक स्मरण समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे थे।

निर्मल ने यह तस्वीर शेयर करते हुए ट्वीट किया "पप्पू मेहंदी लगाने और बच्चों के साथ खेलने में खुश लग रहा है, मैं उन 10 व्यक्तियों के बारे में चिंतित हूं जो पप्पू को एक सीरियस मैटेरियल समझकर भारत जोड़ो यात्रा कर रहे हैं।"

निर्मल के इस ट्वीट पर सबसे पहले कांग्रेस नेता डॉ. पूजा त्रिपाठी ने आपत्ति जताई. उन्होंने ट्वीट किया "नीच, निकृष्ट, निर्लज्ज और अखंड घटिया हो तुम सीटीआर निर्मल कुमार। राजनीतिक हमले के लिए भांजी के साथ फोटो लाना निंदनीय है। ये विकृत और घृणित है। साथ ही आपके सपनों में लगभग 10 लोग शामिल हो रहे होंगे। उनके साथ जुड़ने वालों का एक समुद्र है और मुझे पता है कि आपने लोगों को इतना परेशान किया है कि आपने निजी तस्वीरों का सहारा लिया है।"

तमिलनाडु के वित्त मंत्री पीटीआर त्यागराजन ने भी इस ट्वीट किया और निर्मल कुमार पर हमला बोला। उन्होंने लिखा "दुर्भाग्य से आप बॉटम फीडर्स से इस तरह के कचरे से ज्यादा कुछ उम्मीद नहीं कर सकते हैं, जो महिलाओं के बारे में गलत सोच रखते हैं। निश्चित रूप से तमिलनाडु बीजेपी उन्हें एक अवॉर्ड देगी और इस नीच कलंक के लिए उन्हें सम्मानित करेगी। वह सिर्फ अपने बॉस के निर्देशों का पालन कर रहा है।"

आखिरकार निर्मल कुमार को यह ट्वीट डिलीट करना पड़ा। निर्मल ने कहा "मेरा इरादा कभी भी किसी के निजी जीवन को सार्वजनिक करने का नहीं है। राहुल गांधी के बारे में मेरा तमिल ट्वीट गलत समझा गया। हालांकि मैं अपनी बात पर अडिग हूँ। क्योंकि ये विशुद्ध रूप से एक राजनीतिक टिप्पणी थी और इसमें कुछ भी गलत नहीं था। मैं उस ट्वीट को हटा रहा हूँ।"

एक बार फिर भाजपा की कथित पॉवरफुल आई टी सेल को मुँह की खानी पड़ी।

फिर 23 सितंबर को, कांग्रेस ने त्रिशूर में यात्रा को आराम के दिन के लिए रोक दिया, यह वह दिन था जब राष्ट्रीय जांच एजेंसी के जवाब में, एक इस्लामी संगठन, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने केरल में बंद का आह्वान किया था। एक दिन पहले उस पर एनआईए ने छापेमारी की थी। भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने यात्रा के इस ठहराव को बंद से जोड़ा और आरोप लगाया कि कांग्रेस पीएफआई के साथ एकजुटता दिखा रही है। कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि यह विराम पूर्व-निर्धारित था और पीएफआई से पूरी तरह से असंबंधित था। राहुल गांधी ने भी कहा कि सभी प्रकार की सांप्रदायिकता के प्रति जीरो टॉलरेंस होनी चाहिए।

23 सितंबर को ही भाजपा नेताओं ने एक तथ्यात्मक रूप से गलत ट्वीट प्रसारित करना शुरू कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि भारत जोड़ो यात्रा की एक तस्वीर में राहुल गांधी को गले लगाने वाली लड़की वही लड़की थी जिसने बेंगलुरु में एआईएमआईएम के नेतृत्व में नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी रैली में पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाया था, यह दावा भी झूठ निकला। क्योंकि दोनों तस्वीरों में दिख रही लडकियां अलग-अलग थीं। राहुल गांधी के साथ जिस लड़की की तस्वीर थी वह केरल स्टूडेंट यूनियन की मीवा एनड्रेलीओ थी जबकि ओवैसी के मंच पर नारे लाने वाली लड़की का नाम अमूल्या लीओना था! 25 सितंबर को, कांग्रेस ने यात्रा पर कथित रूप से फर्जी और विभाजनकारी खबरें फैलाने के लिए भाजपा नेता प्रीति गांधी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की।

इन सभी प्रकरणों के बाद भाजपा की आई टी सेल ने खामोशी की चादर ओढ़ ली। इससे यह मिथक भी टूट गया कि भाजपा की आई टी सेल को हराया नहीं जा सकता। इससे पहले भाजपा की आई टी सेल इतने बैकफुट पर नहीं देखी गई थी। भारत जोड़ो यात्रा की यह पहली सबसे बड़ी कामयाबी मानी जा सकती है। इस कामयाबी ने पूरी पार्टी में नए जोश का संचार किया है। 


राहुल गांधी को लेकर बनाए गए मिथक भी टूटे

भारत जोड़ो यात्रा का एक महीना पूरा होने पर कर्नाटक के थुरूवेकेरे में पत्रकारों से बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने भी कहा, "मुझे ग़लत और असत्य तरीके से दिखाने के प्रयास में मीडिया में हज़ारों करोड़ रुपए और बहुत अधिक ऊर्जा ख़र्च की गई है।"

जाहिर सी बात यह है कि अगर यह यात्रा राहुल गांधी की है तो सबसे ज्यादा फायदा भी उन्हीं को होने वाला है। राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान लोगों से सीधे संवाद कर रहे हैं, वे आम लोगों के साथ वक्त बिता रहे हैं। बीच-बीच में लोगों के घर भी जा रहे हैं और पत्रकारों के सवालों का जवाब भी दे रहे हैं।

यात्रा के दौरान उनकी कई भावुक तस्वीरें भी वायरल हुई हैं जिनमें वो भारी बारिश के बीच भाषण देते हुए दिखाई दिए। वे अपनी मां सोनिया गांधी के जूते का फीता बांधते हुए दिखाई दिए। धार्मिक सद्भावना के तहत हिजाब पहने एक बच्ची को गले लगाते भी दिखे। इस यात्रा ने एक अलग तरह का राजनीतिक और सामाजिक माहौल बना दिया। इससे निश्चित रूप से उन लोगों और नेताओं की चिंता बढ़ी है जिन्होंने राहुल गांधी की एक अपरिपक्व राजनेता के रूप में छवि गढ़ दी थी। इस यात्रा ने वो मिथक तोड़े हैं जो कांग्रेस और राहुल गांधी को लेकर बनाए गए थे। यात्रा के बहाने राहुल गांधी ने अपने आप को एक गंभीर राजनेता के रूप में स्थापित कर लिया है। सत्ताधारी दल ने राहुल गांधी को एक कमज़ोर और मज़ाकिया नेता के तौर पर पेश करने की कोशिश की थी राहुल गांधी ने इस यात्रा से इस छवि को भी तोड़ दिया है। सोशल मीडिया पर राहुल को अगंभीर नेता के तौर पर पेश किया जाता रहा है, उनके लिए अपशब्द इस्तेमाल किए जाते रहे हैं। लेकिन इस यात्रा के शुरू होने के बाद अब इस तरह के शब्द उनके लिए सुनाई नहीं दे रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह भी है कि राहुल गांधी की इस यात्रा को राजनीतिक ड्रामे के रूप में नहीं देखा जा रहा है। बहुत से लोगों का मानना है कि  राहुल जो अब कर रहे हैं यह उन्हें बहुत पहले ही ये करना चाहिए था!


भारत जोड़ो यात्रा से कौन परेशान

इसमें कोई दो राय नहीं है कि राहुल की इस यात्रा ने भाजपा को परेशान कर दिया है। क्योंकि यात्रा की शुरुआत में भाजपा की आई टी सेल ने राहुल गांधी और कांग्रेस पर जो हमला बोला था वह किसी और राजनीतिक पार्टी ने नहीं किया। राहुल अपनी इस यात्रा के जरिए कांग्रेस में भी फिर से जान फूंकने की कोशिश कर रहे हैं और पार्टी के भीतर के मतभेदों को दूर करने की भी कोशिश कर रहे हैं। मसलन, कर्नाटक कांग्रेस सिद्धारमैया कैंप और डीके शिवकुमार कैंप में बंटी हुई है लेकिन यात्रा ने इन दो अलग-अलग धड़ों के नेताओं को भी एकजुट कर लिया है। दोनों ही नेता राहुल के साथ हैं। मगर चुनाव तक यह एकजुटता क़ायम रहेगी या नहीं, इसके बारे में अभी नहीं कहा जा सकता है। ऐसा लग रहा है कि राहुल कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के अपने कर्तव्य को निभा रहे हैं।

लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि राहुल गांधी अपनी इस यात्रा से भाजपा को चुनावी चुनौती दे पाएंगे। अभी ऐसा होता सम्भव नहीं दिख रहा है। भारत जोड़ो यात्रा भाजपा को चुनौती देने के बजाए कांग्रेस को एक्टिव करने के लिए अधिक है। बीते कुछ सालों से कांग्रेस शीतनिष्क्रियता में आ चुकी थी। वस्तुतः यह यात्रा कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए है।

यह भी महत्वपूर्ण है कि राहुल गांधी की असली परीक्षा यात्रा के आगे के पड़ावों में होगी जब बे ऐसे प्रदेशों में होंगे जहां कांग्रेस की स्थिति कमज़ोर है। राहुल गांधी की असली परीक्षा महाराष्ट्र में होगी जहां कांग्रेस का आधार बहुत हद तक खत्म चुका है। यात्रा में राहुल की परीक्षा का समय अब आ रहा है।

राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत कन्याकुमारी से की है। उन्हें जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है। लेकिन इसका फायदा कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए और उसके सहयोगी दलों को दक्षिण से लेकर उत्तर और पूरे भारत में मिलेगा। हो सकता है कि राज्यों के विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव 2024 इस यात्रा के कारण भाजपा को बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। देश की जनता मंहगाई, बेरोजगारी समेत तमाम समस्याओं को झेल रही है। कोरोना काल के बाद से इसका असर सरकार के प्रति लोगों की नाराजगी को बढ़ा रहा है। दूसरे उत्तर और मध्य भारत में भाजपा की स्थिति मजबूत है और इन्ही राज्यों में उसे बड़ी चुनौती मिलने के आसार दिखाई दे रहे हैं। इसलिए भाजपा के नेता भारत जोड़ो यात्रा को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

क्या राजनीति में भी चल पाएगा ऐकिडो का दांव

राहुल गांधी द्वारा भारत जोड़ो यात्रा में रोजाना 25 किमी पैदल चलना, स्प्रिटिंग, पुश-अप्स करना, एक टैंक पर चढ़ना, बच्चों को अपने कंधों पर ले जाना से लेकर उनकी फिटनेस सुर्खियों में रही है। राहुल गांधी ने अपने नृत्य कौशल से भी सभी को चौंका दिया है। भारत जोड़ो यात्रा शुरू होने से पहले राहुल गांधी के ज्यादातर विरोधी यह चुटकी ले रहे थे कि क्या राहुल रोजाना इतना चल पाएंगे? क्या वे इस पैदल यात्रा को पूरा कर पाएंगे? लेकिन भारत जोड़ो यात्रा को चलते हुए दो महीने से भी ज्यादा हो गए हैं और राहुल गांधी ही अभी तक सबसे फुर्तीले साबित हुए हैं। 

यही वजह है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के आगमन से पूर्व, राज्य में पार्टी के कईं वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के साथ कदमताल करने के वास्ते तेज़-तेज़ चलने का अभ्यास और कसरत करने में जुटे रहे। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने बताया कि वे और अन्य नेता गांधी के साथ तेज़-तेज़ चलने और व्यायाम करने का अभ्यास कर रहे हैं, जबकि राज्य कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि वे यात्रा के लिए खुद को तंदुरूस्त कर रहे हैं।

भारत जोड़ो यात्रा के मध्यप्रदेश में प्रवेश में अभी थोड़ा वक्त है। जिस तरह राहुल गांधी तेजी के साथ कदम बढ़ा रहे हैं, उसे देखकर यहाँ के कांग्रेस नेताओं ने भी राहुल गांधी के साथ कदमताल करने की प्रैक्टिस शुरू कर दी है। मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड, ग्वालियर, चंबल, विंध्य और नर्मदापुरम संभागों से कांग्रेस नेताओं की तस्वीरें अब सोशल मीडिया में वायरल होने लगी हैं। कांग्रेस नेताओं का कहना है राहुल गांधी के साथ यात्रा में कंधे से कंधा मिलाकर चलना है तो अपनी रफ्तार दोगुनी करनी होगी। वीडियोज़ के जरिये ये दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस नेता रोज 20 से 25 किलोमीटर वॉक कर रहे हैं। मॉर्निंग वॉक के साथ ही राजनीतिक बैठकों से फ्री होने के बाद देर रात तक कांग्रेस नेताओं की वॉकिंग प्रैक्टिस चल रही है।

राहुल गांधी की फिटनेस का पता पिछले साल मार्च को उस वक्त चला था, जब वो तमिलनाडु में कन्याकुमारी स्थित एक स्कूल में पहुंचे। यहां स्कूल के छात्रों ने राहुल गांधी से अपील करते हुए कहा कि वो मंच पर आएं और पुश अप्स लगाएं। इस बात को राहुल गांधी ने स्वीकार करते हुए पुश अप्स लगाने शुरु कर दिए। राहुल गांधी उम्र के 51वें पड़ाव पर थे, बावजूद इसके उन्होंने महज 9 सेंकड में 13 पुश अप्स लगा डाले। ये देखकर हर कोई उनके लिए तालियां बजाता रह गया। इसके बाद राहुल ने सिंगल हैंड यानी महज एक हाथ से भी पुशअप लगाए। इस दौरान उनकी कलाई ट्राइसेप्स देखने लायक थी।

राहुल गांधी ने जापनी मार्शल आर्ट ऐकिडो में भी ट्रेनिंग ली हुई है। ऐकिडो एक ऐसा मार्शल आर्ट है, जिसमें व्यक्ति को बिना किसी हथियार के अपने विरोधी को पस्त करने की कला सिखाई जाती है। इसमें शारिरिक श्रम और बुद्धि दोनों की जरूरत होती है। राहुल गांधी को सुबह उठकर साइक्लिंग करना काफी पसंद है। इसके अलावा उन्हें स्वीमिंग और स्कूबा डाइविंग भी पसंद है। वे रोजाना जिम जाते हैं और वर्कआउट करते हैं।


‌चलते-चलते

भारत जोड़ो यात्रा के शुरू होने के आठ दिन बाद केरल के कोल्लम में कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस पार्टी अगले साल एक और यात्रा निकाल सकती है।  जयराम रमेश ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा पार्टी के लिए बूस्टर डोज साबित हो रही है और पार्टी अगले साल गुजरात के पोरबंदर से अरुणाचल प्रदेश के परशुराम कुंड तक एक और यात्रा निकालने की योजना बना रही है।

राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि जब भारत जोड़ो यात्रा पूरी होगी तो इस बात का विश्लेषण किया जाएगा कि क्या 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस इस यात्रा के जरिए अपने कार्यकर्ताओं में जान फूंक पाई है। अगर कांग्रेस गुजरात से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक की एक और यात्रा निकालती है तो वह निश्चित रूप से भारत जोड़ो यात्रा के दौरान छूटे हुए राज्यों के कांग्रेस कार्यकर्ताओं और आम लोगों तक इस यात्रा के जरिए पहुंचने की कोशिश करेगी। 

देखना दिलचस्प रहेगा  कि भाजपा, कांग्रेस की इन विशाल यात्राओं का जवाब कैसे देगी?






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