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कभी कांग्रेस की मैराथन पारी कभी भाजपा की , यही है गुजरात की राजनीतिक यात्रा

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June 2020 Edition of Chanakya Mantra देश में 1953 में पहला राज्य पुनर्गठन आयोग बनाया गया, इसके आधार पर 14 राज्य तथा नौ केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए। उस समय गुजरात बंबई राज्य में शामिल था। इसके बाद वर्तमान गुजरात क्षेत्र में महागुजरात आंदोलन उठ खड़ा हुआ। प्रसिद्ध लेखक कन्हैयालाल मुंशी और किसान नेता इंदुलाल याग्निक उर्फ इंदु चाचा ने मिलकर 'गुजरात नी अस्मिता’ नाम से जो गुहार लगाई थी उसने गुजरात के राज्य बनने की नींव रख दी। अहमदाबाद से 8 अगस्त 1956 में इंदु चाचा के नेतृत्व में शुरू हुआ महागुजरात आंदोलन लगातार तीन साल नौ महीने तक चला। इस आंदोलन के बाद 1960 में गुजरात को अलग राज्य का दर्जा मिला जिसके बाद महागुजरात जनता परिषद का निर्माण हुआ. उस समय गुजरात में कुल 132 विधानसभा क्षेत्र थे। गुजरात में पहली बार 1960 में विधानसभा चुनाव कराए गए। कुल 132 सीटों के लिए हुए चुनाव में 112 सीटों पर कांग्रेस जीत गई। इसके बाद तो 1960 से लेकर 1975 तक राज्य की सत्ता पर कांग्रेस का ही राज बना रहा। गुजरात में एक मई 1960 से 18 सितंबर 1963 तक राज्य के पहले मुख्यमंत्री जीवराज नारायण म

आखिर राजस्थान अचानक क्यों जल उठा साम्प्रदायिक दंगों में ?

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Chanakya Mantra May 2022 Edition  अक्सर बेहद शांत रहने वाले राजस्थान प्रदेश में पिछले 3 साल में 7 बड़े साम्प्रदायिक दंगे हुए हैं, महत्वपूर्ण बात यह है कि आखिरी तीन दंगे केवल 32 दिनों के अंतराल में ही हुए हैं। आंकड़ों के अनुसार 8 अप्रैल 2019 को टोंक में, 24 सितंबर 2020 डूंगरपुर में, 11 अप्रैल 2021 बारां में, 19 जुलाई 2021 झालावाड़ में और इस साल 2 अप्रैल 2022 करौली में, 2 मई 2022 को जोधपुर के जालोरी गेट चौराहे पर व 4 मई को भीलवाड़ा के सांगानेर में हिंसा व साम्प्रदायिक तनाव हुए। गौरतलब है कि अंतिम तीन दंगे, करौली, जोधपुर और भीलवाड़ा में महज 32 दिन के अंतराल में हो गए! क्या ये संयोग है या प्रयोग, इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता। लेकिन राजस्थान में अगले साल 2023 के अंत में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं तो इन घटनाओं पर ध्यान जाना स्वाभाविक है। वजह यह है कि साम्प्रदायिक हिंसा और साम्प्रदायिक तनाव वोटों के ध्रुवीकरण के लिए सबसे आसान तरीके हैं। लगता है कि ये सिलसिला अब थमने वाला नहीं है। हालिया तीनों साम्प्रदायिक घटनाओं का विश्लेषण तो यही कहता है कि ये सामान्य घटनाएं न

क्या दो दशक से चल रहा सत्ता परिवर्तन का पैटर्न बदलेगा ?

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Chanakya Mantra May 2022 Edition  जय नारायण व्यास 1951 से 1954 तक  राजस्थान के सीएम रहे। हालांकि मजेदार बात यह है कि इस दौरान बीच में कुछ समय के लिए टीका राम पालीवाल भी सीएम बन गए। सीएम के रूप में पालीवाल की एंट्री बेहद दिलचस्प है। व्यास तत्कालीन प्रधानमंत्री और कांग्रेस के सबसे बड़े नेता जवाहरलाल नेहरू के बेहद करीबी नेताओं में से एक थे। यही वजह थी कि देश और राज्य के आम चुनाव के पूर्व 1951 में उन्हें हीरा लाल शास्त्री की जगह राजस्थान का मुख्यमंत्री बना दिया गया।  राजस्थान का पहला विधानसभा चुनाव 1952 में हुआ, व्यास तब राज्य के मुख्यमंत्री थे। व्यास ने जालौर-ए और जोधपुर शहर-बी नामक दो विधानसभा क्षेत्रों से अपना चुनाव लड़ा। यह चुनाव पोस्टल बैलेट से हुआ था इसलिए नतीजे आने में कई दिन लगे थे। जब नतीजे आ रहे थे तब जयनारायण व्यास अपने खास मित्र नेताओं माणिक्यलाल वर्मा, मथुरादास माथुर और रामकरण जोशी आदि के साथ बैठकर चुनाव परिणामों का जायजा ले रहे थे। इन परिणामों पर जयनारायण व्यास अपने राजनैतिक मित्रों के साथ चर्चा कर ही रहे थे कि तभी उनके सचिव वहां आए और बोले कि साहब दो

तीसरे मोर्चे के लिए कितने तैयार हैं क्षेत्रीय दल

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  Chankaya Mantra April 2022 Edition 13 फरवरी 2022 को तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने एलान किया कि वह बहुत जल्द बीजेपी के खिलाफ सभी राजनीतिक दलों को एकजुट करेंगे। इसके साथ ही महाराष्ट्र में भी शिवसेना ने एलान कर दिया कि 10 मार्च के तुरंत बाद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे मिलेंगे। इसी दौरान तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने भी घोषणा कर दी कि वे आगामी दो महीने के अंदर दिल्ली में सभी गैर बीजेपी दलों के मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन बुलाएंगे।  दरअसल 10 मार्च 2022 को उत्तरप्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनावों के परिणाम आने थे। इससे पहले सभी गैर बीजेपी दलों के नेताओं में खूब उत्साह का संचार हो रखा था। सभी की महत्वकांक्षाएं हिलोरे मार रही थीं। मगर 10 मार्च को जब विधानसभा चुनावों के परिणाम घोषित हुए तो आम आदमी पार्टी को छोड़कर बाकी पार्टियों के नेताओं का उत्साह काफूर हो गया। वजह यह थी कि पंजाब में आम आदमी पार्टी ने भारी उलटफेर करके अपनी सरकार बना ली जबकि बाकी चार राज्यों में बीजेपी ने अपना परचम लहर

क्या कभी 'आप' हो सकती है देश के 'टॉप' पर ?

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  Chankaya Mantra April 2022 Edition 10 मार्च 2022 को एक क्षेत्रीय पार्टी ने देश की राजनीति में एक नया इतिहास रचा। आम आदमी पार्टी (आप) ने इस रोज दिल्ली के बाद पंजाब में भी अपनी सरकार बना ली। इससे आप पार्टी देश की पहली इकलौती ऐसी क्षेत्रीय पार्टी बन गई, जिसने दो राज्यों में सरकार बना ली। दो अक्टूबर 2012 को बनी आम आदमी पार्टी 10 साल से भी कम समय में इतना कुछ हासिल कर लेगी, इसका अंदाजा उस समय किसी भी राजनीतिक विशेषज्ञ को नहीं रहा होगा! इस धमाकेदार प्रदर्शन ने देश के सभी आम और खास लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। देश के पांच राज्यों की विधानसभा चुनावों में आप ने मणिपुर को छोड़कर चार राज्यों में चुनाव लड़ा। पंजाब में उसे कुल 42.01, गोवा में 6.77, उत्तराखंड में 3.8 और उत्तरप्रदेश में 0.38 पर्सेंट वोट मिले। अब लोगों के जेहन में दो सवाल उठ रहे हैं कि अगर आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन इसी तरह जारी रहा तो क्या वह निकट भविष्य में केंद्र में भी अपनी सरकार बना लेगी और क्या आप पार्टी को राष्ट्रीय दल का दर्जा मिल सकता है ? इसके चलते बहुत से मौकापरस्त और महत्वाकांक्षी नेताओं ने अ

कांग्रेस : प्रदर्शन की जगह दर्शन वाली संस्कृति ने डुबोई लुटिया

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चाणक्य मंत्र' मैगजीन में प्रकाशित मेरी  रिपोर्ट   जब मैं पत्रकारिता में नया-नया आया था तो कांग्रेस पार्टी की बीट भी कवर करता था। उसी रिपोर्टिंग के दौरान एक बड़े और स्थापित कांग्रेसी नेता ने मुझे अपनी पार्टी के एक गूढ़ रहस्य से परिचित करवाया। उन्होंने कहा था : "नेहरा साहब, कांग्रेस पार्टी प्रदर्शन की नहीं बल्कि दर्शन की भूखी पार्टी है!" उस कांग्रेसी नेता की यह बात मेरी अमिट स्मृति में बस गई। उनका अभिप्राय यह था कि कांग्रेसी संस्कृति में अगर किसी व्यक्ति को सफल होना है तो उसे ग्राउंड पर काम नहीं करना चाहिए बल्कि इसकी जगह अपने से बड़े नेताओं की परिक्रमा करनी चाहिए। उस समय केंद्र और राज्यों में कांग्रेस बेहद ताकतवर स्थिति में थी और उसके पास बहुत बड़ा कैडर भी था। लेकिन प्रदर्शन की जगह दर्शन वाली संस्कृति के कारण कभी बेहद ताकतवर रही कांग्रेस आज छोटे-छोटे दलों के सामने भी अपने आपको असहाय महसूस कर रही है। भारत की सबसे पुरानी और भूतकाल में बेहद ताकतवर रही कांग्रेस पार्टी की ऐसी दुर्गति क्यों हुई ?  इसका जवाब भी कांग्रेस की 'प्रदर्शन' की जगह 'दर्शन

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