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ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-12

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This is the title of the web page   भरत सिंह बेनीवाल के लिए आगे कुआं पीछे खाई 1991 से ऐलनाबाद और उसके आसपास के इलाके में कांग्रेस पार्टी के लिए मेहनत कर रहे भरत सिंह बेनीवाल की टिकट इस उपचुनाव में काट दी गई। भरत सिंह बेनीवाल का दुख यह है कि उनकी टिकट काट कर उनके राजनीतिक विरोधी रहे उनके भतीजे पवन बेनीवाल को दे दी गई। भरत सिंह बेनीवाल का दावा है कि ऐलनाबाद विधानसभा में उनके 35,000 समर्थकों के वोट हैं और उपचुनाव में पवन बेनीवाल को टिकट देने पर कांग्रेस को नुकसान का सामना करना पड़ेगा। भरत सिंह बेनीवाल अपने कार्यकर्ताओं के साथ लगातार मीटिंग कर रहे हैं। उम्मीदवारों के नामांकन वापस लेने की तिथि 13 अक्टूबर के बाद वे अपने कार्यकर्ताओं से मीटिंग करने के बाद 14 अक्टूबर को बड़ा फैसला लेंगे। लेकिन वे फैसला क्या लेंगे ? क्या वे कांग्रेस की बजाय बीजेपी को या इनेलो को अपना समर्थन कर सकते हैं ? पूरे प्रदेश की निगाहें उनके इस फैसले पर टिकी हुई हैं। भरत सिंह बेनीवाल के अभी तक के बयानों से नहीं लगता कि वे ऐलनाबाद उपचुनाव में कांग्रेस को अपना समर्थन देंगे। कांग्रेस पार्टी भरत सिंह

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-11

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ऐलनाबाद उर्फ खारियाल की दिलचस्प कहानी   विधानसभा उपचुनाव 2021 के कारण ऐलनाबाद आजकल देश-प्रदेश की चर्चा में बना हुआ है। वैसे तो भारत के ज्यादा शहरों के नाम हिंदी-संस्कृत या उर्दू-फ़ारसी शब्दों पर आधारित हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि ऐलनाबाद शब्द, हिंदी-संस्कृत या उर्दू-फ़ारसी से नहीं निकला बल्कि यह एक अंग्रेजी शब्द है। आज हम राजनीति चर्चा को छोड़कर ऐलनाबाद शहर के इतिहास और भौगोलिक स्थिति पर चर्चा करेंगे। दरअसल ऐलनाबाद शहर की स्थापना ब्रिटिश शासन के दौरान हिसार के कमिश्नर रहे रॉबर्ट हच ने की थी। रॉबर्ट हच की पत्नी एलेना शिकार करने की बेहद शौकीन थी। हिसार कमिश्नरी के तहत आने वाली खारियाल जगह में उस समय घास और पौधे प्रचुर मात्रा में थे।  यहाँ घग्घर नदी भी बहती थी। अतः पानी और घास आदि की उपलब्धता के चलते यहाँ अनेक प्रजातियों के बहुत सारे जानवर भी विचरण करते थे। यह सारा माहौल किसी भी शिकारी के लिए आदर्श था। इसके चलते कमिश्नर रॉबर्ट हच की पत्नी एलेना अपने संगी-साथियों के साथ यहाँ अक्सर शिकार करने आती रहती थी। एक बार एलेना जब गर्भवती थी तो वह शिकार करने के लिए अपने साथियों के साथ यहाँ शिकार करने

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-10

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भरत सिंह बेनीवाल की नाराजगी किस पर पड़ेगी भारी ? दो साल पहले एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें ऐलनाबाद के नेता भरत सिंह बेनीवाल कह रहे हैं कि जो एक बार मेरा भाषण सुन लेता है, वह अपनी लुगाई-टाबर छोड़ सकता है लेकिन भरत सिंह को नहीं छोड़ता। मगर विडम्बना देखिये कि शायद भरत सिंह बेनीवाल अपने भाषण कांग्रेस पार्टी को अच्छी तरह नहीं सुना पाये नतीजतन ऐलनाबाद उपचुनाव में कांग्रेस ने टिकट बाँटने के समय उन्हें छोड़ दिया। रही सही कसर तब पूरी हो गई जब बीजेपी छोड़कर सितम्बर 2021 में कांग्रेस में शामिल हुए उनके भतीजे पवन बेनीवाल को टिकट देकर उनके जले पर नमक भी छिड़क दिया। अपने भतीजे पवन बेनीवाल को टिकट मिलने पर कांग्रेस नेता भरत सिंह बेनीवाल बेहद नाराज हैं। भरत सिंह ने कहा है कि यह पार्टी हाईकमान ने तय किया है कि टिकट किसे मिलेगा, लेकिन मेरी टिकट चौथी बार कटी है। उन्होंने पवन बेनीवाल पर निशाना साधकर आरोप लगाया है कि इनेलो व बीजेपी में रहते हुए पवन बेनीवाल ने लोगों पर अत्याचार किए हैं। इस दौरान लोगों पर झूठे मुकदमे दर्ज करवाए गए। भरत सिंह ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्षा कुमारी सैलजा को बता दिया है कि

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-9

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page. पूरे ऐलनाबाद में प्रचार करना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती  उत्तरप्रदेश के तराई क्षेत्र के लखीमपुर खीरी नरसंहार का व्यापक असर वहाँ से लगभग 800 किलोमीटर दूर हरियाणा के ऐलनाबाद उपचुनाव में स्पष्ट दिखाई दे रहा है। केंद्रीय राज्यमंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा द्वारा पूर्वनियोजित तरीके से किसानों को गाड़ी से रौंद देने के बाद हरियाणा में बीजेपी के खिलाफ किसानों का गुस्सा बढ़ता ही दिख रहा है। ऐलनाबाद उपचुनाव में जब बीजेपी उम्मीदवार गोविंद कांडा एक गुरुद्वारे पहुंचे तो उन्हें वहां से जबरन निकाल दिया। इस दौरान  किसानों ने धक्के भी मारे। गौरतलब है कि इस  उपचुनाव के लिए बीजेपी ने गोविंद कांडा को मैदान में उतारा है। गोविंद कांडा, सिरसा के विधायक और पूर्व मंत्री गोपाल कांडा के भाई हैं। गोविंद हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए थे। उन्हें टिकट मिल तो गया लेकिन उनकी मुश्किल यहाँ विपक्षी उम्मीदवार नहीं बल्कि किसान हैं। पिछले एक साल से ज्यादा समय से तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-8

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.    जब एक धर्मगुरु के कारण रद्द हो गया था ऐलनाबाद चुनाव आज जब राजनीति में धर्म की घुसपैठ हद से ज्यादा हो गई है और दोनों में अंतर समझना मुश्किल हो गया है। आपको याद होगा ही कि 2014 में सिरसा में एक डेरे में एक पार्टी विशेष के लगभग सभी बड़े नेता आपराधिक मामलों में आरोपी (बाद में सजायाफ्ता) बाबा के पैरों में लेटते हुए नजर आए थे। बताया जाता है कि इससे पार्टी को काफी चुनावी फायदा हुआ था। लेकिन हरियाणा जब नया-नया बना था तब राजनीति और धर्म दोनों के बीच मर्यादा स्पष्ट दिखाई देती थी। यहाँ तक कि उस समय जब एक धर्मगुरु ने धर्म को साक्षी बनाकर अपने अनुयायियों को वोट डालने की अपील कर दी थी तो सुप्रीम कोर्ट ने इस आरोप को सही मानते हुए चुनाव ही रद्द कर दिया था। दरअसल ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र में यह  तीसरा उपचुनाव है। इससे पहले 2009 में यहाँ  से इनेलो की टिकट पर ओमप्रकाश चौटाला विधायक चुने गए, उसी चुनाव में चौटाला उचाना से भी विधायक बन गए और उन्होंने ऐलनाबाद से इस्तीफा दे दिया। अतः इस कारण खाली हुई

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला -7.

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page. सामने उम्मीदवार तो वही मगर पार्टी बदल गई! हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में ऐलनाबाद सीट पर इनलो के अभय सिंह चौटाला ने 11922 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। अभय सिंह चौटाला को 57055 वोट मिले, बीजेपी के पवन बेनीवाल 45133 वोट लेकर दूसरे नंबर पर और कांग्रेस के भरत सिंह बेनीवाल 35383 वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे। प्रतिशत के हिसाब से इनलो को 37.86 प्रतिशत, बीजेपी को 29.95 प्रतिशत और कांग्रेस को 23.48 प्रतिशत वोट मिले। अगर विधानसभा चुनाव 2014 के परिणामों पर चर्चा करें तो उस समय इंडियन नेशनल लोक दल के अभय चौटाला ने 11539 वोटों से बीजेपी उम्मीदवार पवन बेनीवाल को हराया था। अभय सिंह चौटाला को 69162 और भाजपा के पवन बेनीवाल को 57623 वोट मिले थे। लेकिन ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 में परिस्थितियां बदली हुई हैं। अभय सिंह तो इनेलो में ही हैं जबकि पवन बेनीवाल भाजपा को छोड़कर कांग्रेस से ताल ठोंक रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि 2014 से पहले अभय सिंह चौटाला और पवन बेनीवाल दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू थे। दो

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-6

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.   आगाज ऐसा है तो अंजाम कैसा होगा! आखिर वही हुआ जिसकी आशंका व्यक्त की जा रही थी। बुधवार की शाम को बीजेपी ने ऐलनाबाद उपचुनाव के लिए गोविंद कांडा को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। बृहस्पतिवार को भाजपा-जजपा गठबंधन के उम्मीदवार गोविंद कांडा नामांकन भरने के लिए एसडीएम ऑफिस पहुँचे लेकिन वहाँ सिरसा डीसी को खुद आना पड़ा। आप सोच रहे होंगे कि क्या इस विधानसभा उपचुनाव में नामांकन भरने का तरीका बदल गया है? क्योंकि विधानसभा चुनाव का नामांकन एसडीएम ऑफिस में भरा जाता है और सांसद का नामांकन डीसी ऑफिस में जमा किया जाता है। तो क्या वजह रही कि गोविंद कांडा के नामांकन के समय सिरसा के डीसी अनीश यादव को आना पड़ा! (क्या हुआ जब ऐलनाबाद उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार अपने समर्थकों समेत गुरुद्वारा सिंह सभा में पहुँचे) वजह यह थी कि बीजेपी प्रत्याशी गोविंद कांडा के नामांकन भरने से पहले ही तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने एसडीएम कार्यालय का घेराव कर लिया। किसान कह रहे थे कि वे यहाँ बीजेपी प्रत्याशी क

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-5

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.   लखीमपुर खीरी नरसंहार, हिसार, करनाल और ऐलनाबाद उपचुनाव ऐलनाबाद से लखीमपुर खीरी की दूरी 750 किलोमीटर है और अगर यहाँ तक कार से जाना हो तो लगभग 15 घण्टे का समय लगता है वहीं पैदल यात्रा करके ये समय 136 घण्टे का हो जाता है। लेकिन आज संचार के युग में भौगोलिक दूरी कोई मायने नहीं रखती। रविवार 3 अक्टूबर 2021 को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के पुत्र की गाड़ी ने लखीमपुर खीरी के तिकुनिया इलाके में विरोध प्रदर्शन करके लौट रहे 4 किसानों को पीछे से रौंद कर मार डाला। इस लोमहर्षक हत्याकांड की खबर जैसे ही देश-विदेश में फैली तो जनता गुस्से में उबल पड़ी।   750 किलोमीटर दूर ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र भी इस घटना से अछूता नहीं रहा। यहाँ 30 अक्टूबर को उपचुनाव होने हैं अतः सत्तारूढ़ बीजेपी-जेजेपी गठबंधन को इस वीभत्स हत्याकांड की आँच सबसे ज्यादा महसूस हो रही है। तुर्रा यह रहा कि उसी दिन यानी 3 अक्टूबर 2021 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल का एक वीडियो वायरल हो गया जिसमें वो अपनी पार्टी के कार्यक

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-4

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page. बदल सी गई इनेलो की प्रत्याशी घोषित करने की परंपरा चुनाव आयोग के नोटिफिकेशन के अनुसार ऐलनाबाद उपचुनाव लड़ने के इच्छुक उम्‍मीदवार आठ अक्टूबर तक नामांकन दाखिल कर सकते हैं। इसके बाद 11 अक्टूबर को सभी नामांकन पत्रों की जांच होगी। उम्‍मीदवार 13 अक्टूबर तक अपने नाम वापस ले सकेंगे और 30 अक्टूबर को मतदान होगा। अगले महीने दो नवंबर को मतगणना होगी और उसी दिन रिजल्ट घोषित किया जाएगा। स्पष्ट है कि यह लेख आज यानी 5 अक्टूबर को लिखा जा रहा है और कल यानी 6 अक्टूबर को प्रकाशित होगा। नामांकन के लिए केवल दो दिन ही शेष हैं। इनेलो ने अपने निवर्तमान विधायक और प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला को ही फिर से उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर दी है। बाकी पार्टियों ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। ‌महत्वपूर्ण बात यह है कि कुछ समय पहले तक इनेलो अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की खूबी यह रही थी कि वो चुनावों में अपने पत्ते आखिरी समय तक नहीं खोलते थे। वे बाकी पार्टियों द्वारा उम्मीदवार घोषित किये जाने का इं

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