संदेश

विश्व भर के क्रांतिकारियों के आइकन हैं चे ग्वेरा

चित्र
This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.   (जन्मदिन 14 जून पर विशेष) चे ग्वेरा भगतसिंह और चे ग्वेरा में समानताएं मोटरसाइकिल की यात्रा ने कैसे बदल दी चे ग्वेरा की जिंदगी चे ग्वेरा ने भारत आकर नेहरू से क्या बात की चे ग्वेरा को क्यों छोड़ना पड़ा क्यूबा अविभाजित भारत के पाकिस्तान के लायलपुर ज़िले (अब फैसलाबाद) और अर्जेंटीना के रोज़ारियो कस्बे में दूरी 16,000 किलोमीटर से भी ज्यादा है। दोनों स्थानों के समय में भी 8 घण्टे का फर्क है और जहाँ लायलपुर उत्तरी गोलार्ध में है वहीं रोज़ारियो इसके विपरीत दक्षिण गोलार्ध में है। न दोनों की भाषा मिलती है न रहन-सहन और न ही इनकी संस्कृति में कोई तालमेल है। फिर भी दोनों स्थानों में एक बड़ी समानता है। वह समानता है इन दोनों स्थानों पर ऐसी विभूतियों का जन्म हुआ है जो लगभग 100 साल बीत जाने के बाद आज भी गरीबी, आर्थिक विषमता, एकाधिकार, पूंजीवाद, उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के खिलाफ आवाज उठाने वालों के अधिनायक बने हुए हैं। क्रांतिकारियों के लिए ये दोनों व्यक्तित्व हीरो हैं। भगत सिंह                 

12 जून 1975 को ही पड़ गई थी इमरजेंसी की नींव

चित्र
This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page. This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page. इलाहाबाद हाईकोर्ट में पेशी के लिए जाती हुईं इंदिरा गांधी. 12 जून 1975 और इलाहाबाद हाईकोर्ट का रूम नम्बर 24 जब प्रधानमंत्री को होना पड़ा हाईकोर्ट में पेश क्यों नहीं कोई भी खड़ा हुआ प्रधानमंत्री के सम्मान में इमरजेंसी के लिए 25 जून की बजाए 12 जून क्यों है महत्वपूर्ण इलाहाबाद में 12 जून 1975 की सुबह बाकी आम सुबहों जैसी नहीं थी। पूरे शहर में अजीब सा माहौल और सन्नाटा छाया हुआ था। दस बजने से पहले ही इलाहाबाद हाईकोर्ट का कमरा नंबर 24 खचाखच भर चुका था। इस कोर्टरूम में ही जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा, राजनारायण बनाम इंदिरा गांधी के मामले में अपना फ़ैसला सुनाने जा रहे थे। ये मामला 1971 के लोकसभा चुनाव का था इसमें इंदिरा ने रायबरेली लोकसभा क्षेत्र में विपक्षी उम्मीदवार राजनारायण को हरा दिया था। पूरे देश की नजरें इलाहाबाद हाईकोर्ट पर जमी हुई थीं। देश में पहली बार किसी प्रधानमंत्री को कोर्ट

चौधरी चरणसिंह - एक सच्चा राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री

चित्र
This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.   (चौधरी चरणसिंह की पुण्यतिथि 29 मई पर विशेष) ● असली राष्ट्रवादी और स्पष्टवादी नेता  ● जाति-पाति और मजहब की दीवारें तोड़ने वाला जननेता ●कृषकों का असली एडवोकेट ●उसूलों की खातिर पदों को तिलांजलि देने वाला एक राजनीतिक संत दिसम्बर 1984 का महीना... प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या होने के बाद देश में लोकसभा चुनाव हो रहे थे। हरियाणा में कांग्रेस (आई) के खिलाफ दलित मजदूर किसान पार्टी (दमकिपा) और जगजीवन राम की कांग्रेस (बी) साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे थे। इसके चलते रोहतक लोकसभा क्षेत्र से दमकिपा और कांग्रेस (बी) के सांझा उम्मीदवार डॉ. स्वरूप सिंह मैदान में थे। स्वरूप सिंह के पक्ष में प्रचार करने के लिए दमकिपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भारत के प्रधानमंत्री रह चुके चौधरी चरणसिंह रोहतक आ गए।     ये भी पढ़ें- नींव रखी नई औद्योगिक क्रांति की पर कहलाया किसान नेता- चौधरी   अजित   सिंह वहाँ एक रैली के बाद चौधरी चरणसिंह ने पत्रकार वार्ता में एक सवाल के जवाब में कह दिया कि जिन राजनीतिक पार्टियों का गठन

आधुनिक भारत के निर्माता जवाहरलाल नेहरू

चित्र
This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.   (जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि 27 मई पर विशेष) ●एक जैसे मामले में अलग-अलग रुख अपनाने वाला अनोखा प्रधानमंत्री ●अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों की नींव रखने वाला प्रधानमंत्री ●बड़े-बड़े बांध और बड़े उद्योगों का निर्माता बुधवार 26 मई 2021 की सुबह एक खबर आई कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देश भर में चल रहे आंदोलन के छह महीने पूरे होने के अवसर पर काला दिवस मनाने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने एक किसान प्रेम मलिक को हिरासत में लिया है। प्रेम मलिक ने सरकार के सांकेतिक विरोध के लिए अपनी गाड़ी पर काला झंडा लगाया हुआ था। इस घटना से मुझे भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जुड़ी एक घटना याद आ गई।  दरअसल, 1949 में बम्बई में मजदूरों की हड़ताल के दौरान मशहूर गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी ने मंच से यह कविता पढ़ दी थी : मन में ज़हर डॉलर के बसा के,फिरती है भारत की अहिंसा। खादी की केंचुल को पहनकर,ये केंचुल लहराने न पाए। ये भी है हिटलर का चेला,मार लो साथी जाने न पाए। कॉमनवेल्थ का दास है नेहरू,मार लो सा

Topics

ज़्यादा दिखाएं

Share your views

नाम

ईमेल *

संदेश *