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मई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

चौधरी चरणसिंह - एक सच्चा राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.   (चौधरी चरणसिंह की पुण्यतिथि 29 मई पर विशेष) ● असली राष्ट्रवादी और स्पष्टवादी नेता  ● जाति-पाति और मजहब की दीवारें तोड़ने वाला जननेता ●कृषकों का असली एडवोकेट ●उसूलों की खातिर पदों को तिलांजलि देने वाला एक राजनीतिक संत दिसम्बर 1984 का महीना... प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या होने के बाद देश में लोकसभा चुनाव हो रहे थे। हरियाणा में कांग्रेस (आई) के खिलाफ दलित मजदूर किसान पार्टी (दमकिपा) और जगजीवन राम की कांग्रेस (बी) साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे थे। इसके चलते रोहतक लोकसभा क्षेत्र से दमकिपा और कांग्रेस (बी) के सांझा उम्मीदवार डॉ. स्वरूप सिंह मैदान में थे। स्वरूप सिंह के पक्ष में प्रचार करने के लिए दमकिपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भारत के प्रधानमंत्री रह चुके चौधरी चरणसिंह रोहतक आ गए।     ये भी पढ़ें- नींव रखी नई औद्योगिक क्रांति की पर कहलाया किसान नेता- चौधरी   अजित   सिंह वहाँ एक रैली के बाद चौधरी चरणसिंह ने पत्रकार वार्ता में एक सवाल के जवाब में कह दिया कि जिन राजनीतिक पार्टियों का गठन

आधुनिक भारत के निर्माता जवाहरलाल नेहरू

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.   (जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि 27 मई पर विशेष) ●एक जैसे मामले में अलग-अलग रुख अपनाने वाला अनोखा प्रधानमंत्री ●अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों की नींव रखने वाला प्रधानमंत्री ●बड़े-बड़े बांध और बड़े उद्योगों का निर्माता बुधवार 26 मई 2021 की सुबह एक खबर आई कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देश भर में चल रहे आंदोलन के छह महीने पूरे होने के अवसर पर काला दिवस मनाने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने एक किसान प्रेम मलिक को हिरासत में लिया है। प्रेम मलिक ने सरकार के सांकेतिक विरोध के लिए अपनी गाड़ी पर काला झंडा लगाया हुआ था। इस घटना से मुझे भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से जुड़ी एक घटना याद आ गई।  दरअसल, 1949 में बम्बई में मजदूरों की हड़ताल के दौरान मशहूर गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी ने मंच से यह कविता पढ़ दी थी : मन में ज़हर डॉलर के बसा के,फिरती है भारत की अहिंसा। खादी की केंचुल को पहनकर,ये केंचुल लहराने न पाए। ये भी है हिटलर का चेला,मार लो साथी जाने न पाए। कॉमनवेल्थ का दास है नेहरू,मार लो सा

नए रालोद प्रमुख जयंत चौधरी की चुनौतियां

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page. जयंत चौधरी    मुख्य बिंदु ●जयंत चौधरी के रालोद प्रमुख बनने के मायने ●क्या जयंत अपने दादा या पिता की जगह ले पाएंगे ? ●आपका लाठी चलाने का हक है तो मेरा अपने लोगों के साथ खड़े होने का हक है ●बाबा यह भी बता दें कि गिरफ्तारी कहाँ देनी है ? जनवरी 2020 में दिल्ली के लुटियंस जोन में मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित एक मिलन समारोह में शामिल एक ऊर्जावान युवा ने बरबस मेरा ध्यान खींचा। जब उनसे बातचीत हुई तो पता चला कि वे पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पौत्र जयंत चौधरी हैं।  आज यानी 25 मई 2021 को यही जयंत चौधरी विधिवत रूप से राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। यह पद उनके पिता चौधरी अजित सिंह के 6 मई 2021 को हुए निधन से खाली हो गया था। जयंत चौधरी का रालोद अध्यक्ष चुना जाना इतना महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण है भविष्य में उनकी राजनीतिक रणनीतियाँ कैसी रहेंगी, क्या वे अपने दादा स्व. चरणसिंह की तरह देश के प्रधानमंत्री पद तक पहुँच पाएँगे, क्या वे अपने पिता स्व. अजित सिंह की त

हिसार कांड बना किसान आंदोलन के लिए संजीवनी

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page. हिसार में किसानों पर हुए लाठीचार्ज पर विशेष लेख ब्लॉग के महत्वपूर्ण बिंदु ●किसानों पर हिसार में हुआ लाठीचार्ज कैसे बना संजीवनी ●किसान आंदोलन के महत्वपूर्ण पड़ाव ●लाला लाजपतराय और किसान आंदोलन  Blessing in Disguise इस लोकोक्ति का अर्थ है कि  an event that causes problems and difficulties at first, but later brings advantages. (जिस घटना से शुरू में कठिनाई और दिक्कतें हों मगर उसका परिणाम सुखद हो।) माफ कीजियेगा किसान आंदोलन के दौरान हिसार में 16 मई 2021 को हुए पुलिसिया जुल्म के लिए इस कहावत से बढ़िया कहावत  मुझे हिंदी में नहीं मिल पाई। इसलिए पोस्ट की शुरुआत अंग्रेजी से करनी पड़ी। हिंदी में इस कहावत का शाब्दिक अर्थ है 'दुःख के वेश में सुख'। यानी कोई ऐसी घटना घटित हो जाना जिसकी शुरुआत में तो दुःख  हो पर बाद में इसका परिणाम सुखद हो। इस लेख में चर्चा करेंगे कि 16 मई 2021 को हिसार पुलिस द्वारा किसानों पर किए गए अत्याचार ने पूरे देश में चल रहे किसान आंदोलन को किस तरह संजीवनी दे दी है

एक भविष्यदृष्टा प्रधानमंत्री जिसने रखी डिजिटल इंडिया की नींव-राजीव गांधी

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.   (राजीव गांधी की पुण्यतिथि 21 मई पर विशेष) -सिस्टम की अच्छाई और बुराई दोनों का श्रेय लेने     वाला एक अनोखा प्रधानमंत्री -राजनीति में गच्चा खाने वाला लेकिन साफगोई पसन्द   नेता -भविष्यदृष्टा और मृदुभाषी युवा प्रधानमंत्री एक बार भारत के प्रधानमंत्री के पास दलितों के इतिहास को समझाने के लिए एक दलित नेता गए। दलित नेता ने प्रधानमंत्री को बाकायदा आँकड़ों और चार्ट के द्वारा ढ़ाई घण्टे तक भारत में सदियों से चली आ रही जातीय व्यवस्था, छुआछूत व भेदभाव को बड़ी बारीकी से समझाया।  सारी बातें सुनकर प्रधानमंत्री ने कहा "जेंटलमैन, आपने मुझे समझाने की पूरी कोशिश की मगर माफ कीजियेगा मुझे कुछ समझ में नहीं आया!" ये थे भारत के छठे प्रधानमंत्री राजीव गांधी और दलित नेता थे कांशीराम। इसी तरह वर्ष 1985 में बहामास के चोगम शहर में कॉमनवेल्थ देशों का महासम्मेलन हो रहा था। इस महासम्मेलन में विचार-विमर्श चल रहा था कि दक्षिण अफ्रीका की रंगभेद नीति के चलते उस पर प्रतिबंध लगाया जाये या नहीं। वहाँ जुटे लग

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