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बिपिन रावत और उनके हेलीकॉप्टर क्रैश का सच

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This is the title of the web page  (My full article published in Chankaya December Edition) तमिलनाडु के कुन्नूर के पास नीलगिरि की पहाड़ियों में आठ दिसम्बर 2021 को भारतीय वायुसेना का एक एमआई-17 वी 5 हेलीकॉप्टर दुर्घटना का शिकार हो गया। इस दुखद दुर्घटना में भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत हेलीकॉप्टर पर सवार सभी 14 यात्रियों की मौत हो गई।  कुन्नूर हादसे ने जम्मू कश्मीर के पुंछ में 22 नवम्बर 1963 में हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना की याद दिला दी, जिसमें भारत के तत्कालीन अत्यंत वरिष्ठ छह सैन्य अधिकारियों की मौत हो गई थी। इस हादसे में लेफ्टिनेंट जनरल दौलत सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह, एयर वाइस मार्शल ईडब्ल्यू पिंटो, मेजर जनरल केएनडी नानावटी, ब्रिगेडियर एसआर ओबेरॉय और फ्लाइट लेफ्टिनेंट जनरल एसएस सोढ़ी की दुखद मृत्यु हो गई थी।  कैसे बने बिपिन रावत चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ  दिसंबर 2016 में भारत सरकार ने जनरल बिपिन रावत को उनसे दो वरिष्ठ अफसरों लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीन बक्शी और लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हारिज के होते हुए भी भारतीय से

जीत किसान-मजदूरों की मगर अभी अधूरी

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This is the title of the web page 19th November 2021 आज की सुबह अन्य दिनों की तरह ही हुई थी मगर एक परिचित के फोन ने चौंका दिया। फोन से पता चला कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वे तीन कृषि कानून अचानक वापस ले लिए जिन्हें गेम चेंजर बताया जा रहा था और सरकार इन्हें वापस न लेने की खातिर राजहठ किये हुई थी। अब सरकार कहिये या नरेन्द्र मोदी बात एक ही है। इन कानूनों को वापस लेना कितना शर्मिंदगी और अपमान भरा रहा होगा इस बारे में केवल सोचा ही जा सकता है! शायद यही वजह रही होगी कि नरेन्द्र मोदी ने इसे राष्ट्र को बताने के लिए सुबह-सुबह 9.00 बजे का समय चुना क्योंकि इस समय टीवी पर दर्शकों की संख्या न्यूनतम होती है। अन्यथा अगर क्रेडिट लेने की बात होती तो नरेन्द्र मोदी इसके लिए प्राइम टाइम यानी रात 8.00 बजे को ही चुनते! अब ये भी खोज का विषय हो सकता है कि इस शर्मिंदगी भरे फैसले को सार्वजनिक रूप से बताने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर तैयार क्यों नहीं हुए? क्योंकि वे ही इन नए कृषि कानूनों बारे में संयुक्त किसान मोर्चे से 11 दौर की बातचीत कर चुके थे और मोर्चे को दो टूक कह

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-18

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  शहीद किसान अस्थि कलश यात्रा का उपचुनाव पर असर उत्तरप्रदेश के लखीमपुर में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा द्वारा कथित रूप से गाड़ी से कुचल कर मारे गए किसानों की घटना वहां से 800 किलोमीटर दूर स्थित ऐलनाबाद में भी बीजेपी का सिरदर्द बनी हुई है।  दरअसल संयुक्त किसान मोर्चे ने इस हादसे में शहीद हुए किसानों के अस्थि कलश को पूरे देश  में जन-जन तक ले जाने की योजना बना रखी है ताकि देशवासियों को इस लोमहर्षक कांड के बारे में जागरूक किया जा सके। इसी कड़ी में यह अस्थि कलश यात्रा बीते 20 अक्टूबर से ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र में गांव-गांव में घूम रही है। इसका ऐलनाबाद में समापन 23 अक्टूबर को है, इस अवसर पर गुरनाम सिंह चढूनी स्वंय ऐलनाबाद में मौजूद हैं। लेकिन इससे पहले इस अस्थि कलश यात्रा में  एक और पंगा हो गया। शनिवार की सुबह ज्यों ही यह अस्थि कलश यात्रा गांव गिगोरानी बस अड्डे से नाथूसरी की तरफ जा रहे थी सिरसा की तरफ से आ रही एक कार ने अस्थि कलश वाली बोलेरो गाड़ी को सीधी टक्कर मार दी। गाड़ी में में गुरुद्वारा चिल्ला साहब के सेवादार मलकीत सिंह निवासी रामपुर थेहड़ी व कृष्ण ला

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-17

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बात उस प्रत्याशी की जिसने न पार्टी बदली न आस्था अभी तक के लेखों में हमने ऐलनाबाद उपचुनाव में उतरे कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशियों के बारे में चर्चा कर ली। आज चर्चा तीसरी पार्टी इनेलो और उसके उम्मीदवार अभय सिंह चौटाला के बारे में होगी। यह तो स्पष्ट हो ही गया है कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों के उम्मीदवार दल-बदलू हैं यानी पवन बेनीवाल उपचुनाव से महज एक महीना पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए हैं। गोविंद कांडा तो नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया के दौरान ही बीजेपी में शामिल हुए और उन्हें पार्टी का टिकट थमा दिया गया। एक मजेदार बात यह भी रही कि गोविंद कांडा हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) के उपाध्यक्ष थे मगर उन्होंने बीजेपी में शामिल होने पर हलोपा को छोड़ने की विधिवत घोषणा नहीं की। उस पर गजब यह भी है कि हलोपा के एकमात्र विधायक और उनके सगे भाई गोपाल कांडा खुद उनका चुनाव प्रचार कर रहे हैं! खैर हम वापस इनेलो और अभय सिंह चौटाला पर आते हैं। देखा जाए तो अभय चौटाला वाकई जमीन से जुड़े नेता हैं। अभय के पॉलिटिकल कैरियर की शुरूआत चौटाला गांव से पंचायत चुनाव में उप सरपंच की सीट जीतने से शुरू हुई। साल

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-16

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This is the title of the web page   क्या ऐलनाबाद में कांग्रेस तीसरी बार बाजी मारेगी ? ऐलनाबाद में एक पोस्टर बरबस ध्यान खींचता है जिसमें लिखा है पूर्ण पारदर्शिता ही मनोहर सरकार की पहचान। हरियाणा सरकार ने रचा इतिहास, युवाओं के लिए आये अच्छे दिन। ग्रुप डी नौकरी में बिना पैरवी व रिश्वत के हजारों युवाओं को मिला रोजगार ...आने वाली 21 अक्टूबर को चुनाव के दिन कमल के फूल के सामने वाला बटन दबाकर भाई पवन बैनीवाल को विजयी बनाएं। चौंकिए मत, आपको ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र में इस तरह के पोस्टर अनेक जगहों पर दीवारों पर चिपके हुए दिखाई दे जाएंगे। पोस्टर तो वही है लेकिन इसमें मतदान की तिथि, पार्टी का चुनाव चिन्ह और उम्मीदवार बदल गए हैं। दरअसल ये पोस्टर लगभग 2 साल पुराने लगे हुए हैं जो अभी तक न तो उतारे गए हैं, न ही बदरंग हुए हैं और न ही जगह बदल पाए हैं।  मगर पवन बेनीवाल ने आस्था बदल ली है। ये पोस्टर अक्टूबर 2019 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनावों के दौरान चिपकाए गए थे। उस समय पवन बेनीवाल भाजपा के उम्मीदवार थे लेकिन अब वक्त बदल चुका है साथ में आस्था भी। पवन बेनीवाल अब कांग्रेस के उम्

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-15

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This is the title of the web page किसके सिर पर बंधेगा ऐलनाबाद का ताज ?   जबसे मैंने ऐलनाबाद उपचुनाव पर यह विशेष श्रृंखला लिखनी शुरू की है, तभी से मेरे पास इससे सम्बंधित रोजाना सैंकड़ों फोन कॉल्स, व्हाट्सएप मैसेज आ रहे हैं। इन सभी का सवाल यही होता है कि बताइये इस उपचुनाव में कौन सा उम्मीदवार जीतेगा? मैं इसका बड़ा सटीक उत्तर देता हूँ उससे कुछ लोग तो मेरे जवाब से संतुष्ट हो जाते हैं लेकिन ज्यादातर यही कहते हैं कि ये तो उन्हें भी पता है मगर आप सही-सही उत्तर दीजिए। दरअसल मैं इस सवाल का जवाब यह देता हूँ कि जो उम्मीदवार सबसे ज्यादा वोट लेगा वही जीतेगा। इस उत्तर से बहुत से लोग मुँह बना लेते हैं और कहते हैं कि ये भी कोई बात हुई, यह तो सबको पता है। तो जनाब फैक्ट तो यही है कि सबसे ज्यादा वोट लेने वाला उम्मीदवार ही विधायक बनेगा मगर लोग पार्टी और उम्मीदवार का नाम जानना चाहते हैं। कोई भी व्यक्ति इस सवाल का इस समय शत प्रतिशत सही उत्तर नहीं दे सकता क्योंकि अभी मतदान में काफी समय है और जीत-हार की परिस्थितियां बनते व बिगड़ते देर  नहीं लगती, कभी भी पासा पलट सकता है। लेकिन हाँ, हम इस

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-14

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अभय ने कब्जे वाली बात कहकर गुगली फैंक दी ऐलनाबाद में हाल ही में ऐलनाबाद उपचुनाव में इनेलो प्रत्याशी और इनेलो के राष्ट्रीय महासचिव अभय सिंह चौटाला का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में अभय चौटाला कांग्रेस प्रत्याशी पवन बेनीवाल के गांव दड़बा कलां में   पवन बेनीवाल पर आरोप लगा रहे हैं कि उसने मेरे साथ रहकर कब्जे किये हैं, उसने कोई खेती से थोड़ी कमाए हैं। यह स्वीकारोक्ति  इस  उपचुनाव में क्या असर डालेगी यह चर्चा का विषय तो है ही इसके पीछे की राजनीति को भी समझना होगा। दरअसल जाने या अनजाने में अभय सिंह चौटाला ने में यह बड़ी जबरदस्त गुगली फैंकी है। अब गेंद पवन बेनीवाल के पाले में है, अभय चौटाला का राजनीतिक नुकसान तभी हो सकता है जब पवन बेनीवाल ये मान लें कि उन्होंने वाकई अभय सिंह चौटाला के साथ रहते हुए जमीनों पर कब्जे किये थे। क्या आपको लगता है कि पवन बेनीवाल इस आरोप को स्वीकार कर लेंगे! लगता है कि इस स्टेटमेंट से अभय चौटाला के दोनों हाथों में लड्डू आ गए हैं। उन्होंने आरोप जड़कर अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है। अब बारी पवन बेनीवाल की है कि वे इस चुनौती से किस प्रकार निपटेंगे। उधर उनके चाचा और

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-13

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This is the title of the web page बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का...   हैदर अली आतिश का एक मशहूर शेर है कि 'बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का जो चीरा तो इक क़तरा-ए-ख़ूँ न निकला।' यह शेर भरत सिंह बेनीवाल पर बिल्कुल फिट बैठती है। दरअसल, भरत सिंह बेनीवाल ऐलनाबाद उपचुनाव में कांग्रेस द्वारा पवन बेनीवाल को टिकट दिए जाने से बेहद खफा नजर आ रहे थे। उनके तेवरों से लग रहा था कि वो कांग्रेस पार्टी से बगावत कर सकते हैं। लेकिन उनकी दुविधा यही थी कि वो जाएं तो कहाँ जाएं ? इसी बारे में हाल ही में मेरे द्वारा 'भरत सिंह बेनीवाल के लिए आगे कुआं पीछे खाई' लेख लिखा गया था। लेख में विश्लेषण किया गया था कि अब उनके सामने दो ही विकल्प हैं कि वे इनेलो या बीजेपी को अपना समर्थन दें। सिरसा जिले में तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ माहौल बना हुआ है। भरत सिंह बेनीवाल की दुविधा यह थी कि बीजेपी को समर्थन देकर वो किसानों की नाराजगी मोल नहीं ले सकते थे। उधर भरत सिंह बेनीवाल कहते रहे हैं कि इनेलो कार्यकाल में उनपर बहुत जुल्म हुए। इस दौरान उन पर पर फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए। अतः इनेल

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