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ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-8

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.    जब एक धर्मगुरु के कारण रद्द हो गया था ऐलनाबाद चुनाव आज जब राजनीति में धर्म की घुसपैठ हद से ज्यादा हो गई है और दोनों में अंतर समझना मुश्किल हो गया है। आपको याद होगा ही कि 2014 में सिरसा में एक डेरे में एक पार्टी विशेष के लगभग सभी बड़े नेता आपराधिक मामलों में आरोपी (बाद में सजायाफ्ता) बाबा के पैरों में लेटते हुए नजर आए थे। बताया जाता है कि इससे पार्टी को काफी चुनावी फायदा हुआ था। लेकिन हरियाणा जब नया-नया बना था तब राजनीति और धर्म दोनों के बीच मर्यादा स्पष्ट दिखाई देती थी। यहाँ तक कि उस समय जब एक धर्मगुरु ने धर्म को साक्षी बनाकर अपने अनुयायियों को वोट डालने की अपील कर दी थी तो सुप्रीम कोर्ट ने इस आरोप को सही मानते हुए चुनाव ही रद्द कर दिया था। दरअसल ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र में यह  तीसरा उपचुनाव है। इससे पहले 2009 में यहाँ  से इनेलो की टिकट पर ओमप्रकाश चौटाला विधायक चुने गए, उसी चुनाव में चौटाला उचाना से भी विधायक बन गए और उन्होंने ऐलनाबाद से इस्तीफा दे दिया। अतः इस कारण खाली हुई

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला -7.

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page. सामने उम्मीदवार तो वही मगर पार्टी बदल गई! हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में ऐलनाबाद सीट पर इनलो के अभय सिंह चौटाला ने 11922 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। अभय सिंह चौटाला को 57055 वोट मिले, बीजेपी के पवन बेनीवाल 45133 वोट लेकर दूसरे नंबर पर और कांग्रेस के भरत सिंह बेनीवाल 35383 वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे। प्रतिशत के हिसाब से इनलो को 37.86 प्रतिशत, बीजेपी को 29.95 प्रतिशत और कांग्रेस को 23.48 प्रतिशत वोट मिले। अगर विधानसभा चुनाव 2014 के परिणामों पर चर्चा करें तो उस समय इंडियन नेशनल लोक दल के अभय चौटाला ने 11539 वोटों से बीजेपी उम्मीदवार पवन बेनीवाल को हराया था। अभय सिंह चौटाला को 69162 और भाजपा के पवन बेनीवाल को 57623 वोट मिले थे। लेकिन ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 में परिस्थितियां बदली हुई हैं। अभय सिंह तो इनेलो में ही हैं जबकि पवन बेनीवाल भाजपा को छोड़कर कांग्रेस से ताल ठोंक रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि 2014 से पहले अभय सिंह चौटाला और पवन बेनीवाल दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू थे। दो

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-6

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.   आगाज ऐसा है तो अंजाम कैसा होगा! आखिर वही हुआ जिसकी आशंका व्यक्त की जा रही थी। बुधवार की शाम को बीजेपी ने ऐलनाबाद उपचुनाव के लिए गोविंद कांडा को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। बृहस्पतिवार को भाजपा-जजपा गठबंधन के उम्मीदवार गोविंद कांडा नामांकन भरने के लिए एसडीएम ऑफिस पहुँचे लेकिन वहाँ सिरसा डीसी को खुद आना पड़ा। आप सोच रहे होंगे कि क्या इस विधानसभा उपचुनाव में नामांकन भरने का तरीका बदल गया है? क्योंकि विधानसभा चुनाव का नामांकन एसडीएम ऑफिस में भरा जाता है और सांसद का नामांकन डीसी ऑफिस में जमा किया जाता है। तो क्या वजह रही कि गोविंद कांडा के नामांकन के समय सिरसा के डीसी अनीश यादव को आना पड़ा! (क्या हुआ जब ऐलनाबाद उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार अपने समर्थकों समेत गुरुद्वारा सिंह सभा में पहुँचे) वजह यह थी कि बीजेपी प्रत्याशी गोविंद कांडा के नामांकन भरने से पहले ही तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने एसडीएम कार्यालय का घेराव कर लिया। किसान कह रहे थे कि वे यहाँ बीजेपी प्रत्याशी क

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-5

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.   लखीमपुर खीरी नरसंहार, हिसार, करनाल और ऐलनाबाद उपचुनाव ऐलनाबाद से लखीमपुर खीरी की दूरी 750 किलोमीटर है और अगर यहाँ तक कार से जाना हो तो लगभग 15 घण्टे का समय लगता है वहीं पैदल यात्रा करके ये समय 136 घण्टे का हो जाता है। लेकिन आज संचार के युग में भौगोलिक दूरी कोई मायने नहीं रखती। रविवार 3 अक्टूबर 2021 को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के पुत्र की गाड़ी ने लखीमपुर खीरी के तिकुनिया इलाके में विरोध प्रदर्शन करके लौट रहे 4 किसानों को पीछे से रौंद कर मार डाला। इस लोमहर्षक हत्याकांड की खबर जैसे ही देश-विदेश में फैली तो जनता गुस्से में उबल पड़ी।   750 किलोमीटर दूर ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र भी इस घटना से अछूता नहीं रहा। यहाँ 30 अक्टूबर को उपचुनाव होने हैं अतः सत्तारूढ़ बीजेपी-जेजेपी गठबंधन को इस वीभत्स हत्याकांड की आँच सबसे ज्यादा महसूस हो रही है। तुर्रा यह रहा कि उसी दिन यानी 3 अक्टूबर 2021 को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल का एक वीडियो वायरल हो गया जिसमें वो अपनी पार्टी के कार्यक

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला-4

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page. बदल सी गई इनेलो की प्रत्याशी घोषित करने की परंपरा चुनाव आयोग के नोटिफिकेशन के अनुसार ऐलनाबाद उपचुनाव लड़ने के इच्छुक उम्‍मीदवार आठ अक्टूबर तक नामांकन दाखिल कर सकते हैं। इसके बाद 11 अक्टूबर को सभी नामांकन पत्रों की जांच होगी। उम्‍मीदवार 13 अक्टूबर तक अपने नाम वापस ले सकेंगे और 30 अक्टूबर को मतदान होगा। अगले महीने दो नवंबर को मतगणना होगी और उसी दिन रिजल्ट घोषित किया जाएगा। स्पष्ट है कि यह लेख आज यानी 5 अक्टूबर को लिखा जा रहा है और कल यानी 6 अक्टूबर को प्रकाशित होगा। नामांकन के लिए केवल दो दिन ही शेष हैं। इनेलो ने अपने निवर्तमान विधायक और प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला को ही फिर से उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर दी है। बाकी पार्टियों ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। ‌महत्वपूर्ण बात यह है कि कुछ समय पहले तक इनेलो अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की खूबी यह रही थी कि वो चुनावों में अपने पत्ते आखिरी समय तक नहीं खोलते थे। वे बाकी पार्टियों द्वारा उम्मीदवार घोषित किये जाने का इं

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला- 3

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page. इंतजार छह की बजाय आठ महीनों का   देश में कानून है कि सामान्य परिस्थितियों में किसी भी कारण से कोई भी लोकसभा या विधानसभा सीट खाली होने पर वहाँ छह महीनों के अंदर चुनाव कराने आवश्यक हैं। केंद्रीय चुनाव आयोग ने 4 सितम्बर 2021 को नोटिफिकेशन जारी किया कि 30 सितम्बर 2021 को उड़ीसा की एक और पश्चिम बंगाल की दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान करवाया जायेगा। ऐलनाबाद विधानसभा सीट 27 जनवरी 2021 से खाली पड़ी हुई थी लेकिन चुनाव आयोग ने इस बारे में कोई घोषणा नहीं की। पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के उपचुनाव के लिए तर्क दिया गया कि इन दोनों राज्यों में कोविड की स्थिति नियंत्रण में है अतः यहाँ चुनाव करवाए जा सकते हैं। आंध्र प्रदेश, बिहार, असम, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, मेघालय, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, दादरा नगर हवेली व दमन दीव के मुख्य सचिवों ने फिलहाल चुनाव न कराने की सलाह दी थी। अतः इसके चलते ऐलनाबाद का उपचुनाव भी लटक गया। हालांकि तब तक हरियाणा में कोविड की स्थिति काफी

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला- 2

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.   हरियाणा में जनांदोलनों के पक्ष में इस्तीफों की पृष्ठभूमि   चौधरी रिजकराम दहिया, शायद आज की युवा पीढ़ी इस नेता के नाम से अपरिचित है। इसमें युवा पीढ़ी का भी कसूर नहीं है, दरअसल कुछ नायक ऐसे होते हैं जो बड़े नामों तले दब जाते हैं और उनके त्याग को भुला दिया जाता है। चौधरी रिजकराम दहिया भी इसी कैटेगरी में आते हैं। 1912 में सोनीपत के बढ़खालसा गाँव में जन्मे रिजकराम दहिया ने संयुक्त पंजाब में पाई विधानसभा क्षेत्र से पहला इलेक्शन 1952 में लड़ा था,1962 में वे पाई से जीत गए और 1964 से 1966 तक संयुक्त पंजाब के सिंचाई व ऊर्जा मंत्री रहे। हरियाणा राज्य के गठन के पश्चात वे भगवतदयाल शर्मा के मंत्रिमंडल में भी मंत्री रहे लेकिन मतभेदों के चलते उन्होंने मंत्रीपद छोड़ दिया। वे 1967, 1972 और 1977 में पाई से ही विधायक बने। रिजकराम दहिया भजनलाल मंत्रिमंडल में सिंचाई और ऊर्जा मंत्री रहे। इसके बाद उन्होंने 1983 में सोनीपत लोकसभा उपचुनाव में दिग्गज नेता चौधरी देवीलाल को हराया। आप सोचेंगे कि ये सब लिखने का ऐ

गांधीवाद बनाम भगतसिंहवाद

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.   गांधी जी की 152वीं जयंती को गुजरे एक दिन गुजर चुका है। कल सारा दिन मन कहता रहा कि गांधी जी पर कुछ लिखूँ मगर दिमाग कुछ ज्यादा नहीं सोच पा रहा था। मगर अब कल गुजर चुका है और मन भी शांत है। कुछ लिखना तो बनता ही है। देश को आजाद हुए 74 साल से ऊपर हो गए हैं। आजादी से पहले कड़ा और बेदर्द अंग्रेजी राज था। उनके खिलाफ थोड़ा सा आंदोलन करते ही सरकारी जुल्मोंसितम का सिलसिला शुरू हो जाता था। सरदार भगत सिंह जो कि सोशलिस्ट विचारधारा के थे उन्होंने अपने हिसाब से आजादी का बीड़ा उठाया। उनका रास्ता उग्र था, जरा सा हिंसात्मक भी था। जिस आंदोलन में हिंसा होती है, सरकार या तानाशाह को उसे कुचलने में बड़ी आसानी हो जाती है क्योंकि उसके पास दमनात्मक कार्यवाही को जायज ठहराने के लिए कुछ मैटीरियल हो जाता है। कड़ा दमनचक्र चलता है, इससे ज्यादातर जनता डर जाती है और आंदोलन को जनता की बड़े पैमाने की सपोर्ट नहीं मिल पाती, जनसमुदाय की सपोर्ट के बिना आंदोलन दम तोड़ देता है। रही सही कसर आंदोलन के अगुवाओं को मृत्युदंड आदि भय

ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला- 1

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This is the title of the web page Right Click is disabled for the complete web page.   अभय सिंह चौटाला के इस्तीफे की पृष्ठभूमि हरियाणा विधानसभा में इनेलो के एकमात्र विधायक अभय सिंह चौटाला ने 11 जनवरी 2021 को ईमेल से हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष को सशर्त इस्तीफा भेजा। इस ईमेल में कहा गया था कि अगर 26 जनवरी 2021 तक केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती तो 27 जनवरी 2021 को उनका इस्तीफा मंजूर समझा जाए। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें इस्तीफा नहीं मिला है तो अभय सिंह चौटाला ने 15 जनवरी 2021 को अपने प्रतिनिधियों को विधानसभा भेजा और अपने इस्तीफे की कॉपी रिसीव करवाई। इस बार उन्होंने 'समझा' जाए की बजाय लिखा कि 27 जनवरी को उनका इस्तीफा 'स्वीकार' किया जाए...और अंततः इनेलो के एकमात्र विधायक का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया। दरअसल पूरे देश में लगे लॉकडाउन के दौरान 5 जून 2020 को केन्द्र सरकार ने अचानक तीन नए कृषि अध्यादेश लागू कर दिए। फिर इन्हें 27 सितम्बर को कानूनों की शक्ल दे दी गई। इससे देशभर के किसान-मजदूर बेहद नाराज हो गए और पंजाब-हरियाणा-उ

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