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कांग्रेस : प्रदर्शन की जगह दर्शन वाली संस्कृति ने डुबोई लुटिया

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चाणक्य मंत्र' मैगजीन में प्रकाशित मेरी  रिपोर्ट   जब मैं पत्रकारिता में नया-नया आया था तो कांग्रेस पार्टी की बीट भी कवर करता था। उसी रिपोर्टिंग के दौरान एक बड़े और स्थापित कांग्रेसी नेता ने मुझे अपनी पार्टी के एक गूढ़ रहस्य से परिचित करवाया। उन्होंने कहा था : "नेहरा साहब, कांग्रेस पार्टी प्रदर्शन की नहीं बल्कि दर्शन की भूखी पार्टी है!" उस कांग्रेसी नेता की यह बात मेरी अमिट स्मृति में बस गई। उनका अभिप्राय यह था कि कांग्रेसी संस्कृति में अगर किसी व्यक्ति को सफल होना है तो उसे ग्राउंड पर काम नहीं करना चाहिए बल्कि इसकी जगह अपने से बड़े नेताओं की परिक्रमा करनी चाहिए। उस समय केंद्र और राज्यों में कांग्रेस बेहद ताकतवर स्थिति में थी और उसके पास बहुत बड़ा कैडर भी था। लेकिन प्रदर्शन की जगह दर्शन वाली संस्कृति के कारण कभी बेहद ताकतवर रही कांग्रेस आज छोटे-छोटे दलों के सामने भी अपने आपको असहाय महसूस कर रही है। भारत की सबसे पुरानी और भूतकाल में बेहद ताकतवर रही कांग्रेस पार्टी की ऐसी दुर्गति क्यों हुई ?  इसका जवाब भी कांग्रेस की 'प्रदर्शन' की जगह 'दर्शन

चुनावी नतीजे-एग्जिट पोल एग्जेक्ट, मेरा आकलन गलत

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  उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 पर विशेष श्रृंखला-9 लेख लिखे जाने तक यूपी में मतगणना जारी है, अभी तक कुल 403 सीटों में से बीजेपी गठबंधन 257 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है जबकि समाजवादी पार्टी गठबंधन 137 सीटों पर आगे चल रहा है। अंतिम आंकड़ों में कोई खास फेरबदल हो पायेगा, इसकी संभावना बेहद कम है। बीजेपी को लगभग दोगुनी सीटों पर बढ़त है अतः उत्तरप्रदेश में बीजेपी की दोबारा सरकार बनना तय है। इन रुझानों से साबित हुआ है कि विभिन्न एजेंसियों द्वारा किये गए एग्जिट पोल सही साबित हुए हैं। जबकि चुनाव के दौरान अपने यूपी दौरों, अपने पत्रकार मित्रों से हुई वार्ताओं, सभी राजनीतिक दलों से हुई बातचीत और प्रदेश में बह रही राजनीतिक बयार के आधार पर किया गया आकलन गलत निकला। इसे मानने में मुझे कोई गुरेज नहीं है। कई बार हवा का रुख पहचानने में गलती हो जाती है और यूपी का आकार और जनसंख्या इतनी बड़ी है कि इसे भाँपना बड़ा मुश्किल है। खैर भविष्य में इस तरह के आकलन में और सावधानी बरती जाएगी। हालांकि बीजेपी 2017 की तरह बम्पर जीत तो हासिल नहीं कर रही लेकिन वह स्पष्ट रूप से स्पष्ट बहुमत की ओर अग्रसर ह

कितने एक्ज़ेक्ट साबित होंगे यूपी के एग्जिट पोल ?

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  उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 पर विशेष श्रृंखला-8 सातवां चरण और एग्जिट पोल के नतीजे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 20  फरवरी को हरदोई में चुनावी रैली के दौरान मैनपुरी की एक बुजुर्ग महिला का जिक्र किया था। मोदी ने कहा कि सोशल मीडिया के जरिए उन तक एक वीडियो पहुंचा है। वीडियो में महिला ने कहा कि मोदी का नमक खाया है उन्हें धोखा नहीं देंगे, उन्हें ही वोट देंगे। मोदी ने इसके जरिए यूपी में मिल रहे फ्री राशन को अपनी बड़ी उपलब्धि बताते हुए जीत की उम्‍मीद की।  चूँकि यूपी की जनता को फ्री राशन, सरकार दे रही है जो कि जनता के टैक्स से खरीदा जाता है अतः यह राशन किसी व्यक्ति विशेष की बदौलत नहीं दिया जा रहा। अतः प्रधानमंत्री के इस बयान का इतना जबरदस्त विरोध हुआ कि मोदी ने इसके बाद चार मार्च को मिर्जापुर रैली में गजब की पलटी मारी और कहा कि मैं अपनी गरीब माताओं से कहता हूँ कि मां नमक आपने नहीं खाया है, नमक तो आपका मैंने खाया है। मां आपने जो मुझे नमक खिलाया है, जीवन भर एक बेटे की तरह मां मैं इस नमक का कर्ज चुकाता रहूंगा। यह एक उदाहरण है कि तथ्यों को एकदम उल्टा कैसे कर दिया जात

दलबदलुओं व योगी का क्षेत्र पर लेकिन विकास का मुद्दा गायब-छठा चरण

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  उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 पर विशेष श्रृंखला-7 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के छठे चरण में 3 मार्च को 10 जिलों, गोरखपुर, अंबेडकर नगर, बलिया, बलरामपुर, बस्ती, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, संतकबीरनगर व सिद्धार्थनगर की 57 सीटों पर उतरे 676 प्रत्याशियों को वोट डाले गए। इन सीटों पर कुल 55.70 प्रतिशत मतदान हुआ। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में इन सीटों पर कुल 56.52 प्रतिशत मतदान हुआ था। अब तक के पहले 5 चरणों की तरह ही इस चरण में भी 2017 की तुलना में कम मतदान हुआ है। पूर्वी यूपी का यह इलाका पश्चिमी यूपी की तरह न तो विकसित है और न ही चुनावों में यहाँ विकास कोई मुद्दा है। यहाँ इंसेफ्लाइटिस, पानी में आर्सेनिक की समस्या और किसानों व बुनकरों से जुड़ी बहुत सारी समस्याएं हैं लेकिन चुनाव में इन पर वोटर और प्रत्याशी इन पर चर्चा ही नहीं कर रहे। यहाँ परिवारवाद, अपराध, भ्रष्टाचार, और रिश्वतखोरी आदि भी मुद्दे नहीं हैं। यूपी चुनाव में इस बार इस चरण में सबसे ज्यादा दलबदल हुए हैं। इसी चरण में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू व नेता प्रतिपक्ष और

अवध-अयोध्या-अमेठी-अपना दल पर रहेंगी नजरें-पांचवां चरण

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 उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 पर विशेष श्रृंखला-6   27 फरवरी को यूपी में अयोध्या, अवध और आसपास के 12 जिलों की 61 सीटों पर पांचवें चरण का मतदान सम्पन्न हुआ। पिछली बार इनमें से 51 सीटों पर बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल ने जीत हासिल की थी, जबकि सपा को पांच, कांग्रेस पार्टी को एक व बीएसपी को कोई भी सीट नहीं मिली। जबकि दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली। इनमें से एक चर्चित सीट कुंडा भी है जहां से रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पिछले कई साल से लगातार विधायक रहे हैं। लेकिन इस बार इस चरण में परिस्थितियां बिल्कुल बदली हुई हैं। इस चरण का मतदान धर्मनगरी अयोध्या-प्रयागराज-चित्रकूट की उस पट्टी में होने जा रहा है, जिसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी अपना गढ़ समझते रहे हैं, लेकिन अब यहां हालात यह हैं कि मुख्यमंत्री योगी को अयोध्या विधानसभा सीट से लड़ने का इरादा आखिरी क्षणों में त्यागना पड़ा और गोरखपुर वापस लौटना पड़ा। राम-मंदिर निर्माण के दौर में भी अयोध्या विधानसभा सीट बुरी तरह फँसी पड़ी है। मजेदार बात यह है कि बीजेपी, अयोध्या और निर्माणाधीन राम-मंदिर क

क्या लखीमपुर खीरी वाटरलू साबित होगा ? -चौथा चरण

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उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 पर विशेष श्रृंखला-4 यूपी के चौथे चरण में 9 जिलों, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, फतेहपुर और बांदा की 59 विधानसभा सीटों पर 23 फरवरी को मतदान हुआ। इस दौरान कुल 61.65 प्रतिशत वोट डाले गए। पीलीभीत और लखीमपुर खीरी जिलों में सबसे अधिक मतदान 67 प्रतिशत से अधिक हुआ। सबसे कम वोट उन्नाव जिले में 57.73 प्रतिशत पड़े हैं। लखीमपुर खीरी इस चरण में निर्णायक साबित होगा। लखीमपुर खीरी यानी किसान आंदोलन में शर्मनाक कांड का गवाह जिला। जहाँ तीन अक्तूबर 2021 को भारत के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के पुत्र आशीष मिश्र मोनू ने तिकुनिया में आंदोलन करके वापस लौट रहे 4 किसानों और कवरेज कर रहे एक पत्रकार को योजनाबद्ध तरीके से कुचलकर मार डाला था, प्रतिहिंसा में तीन व्यक्ति मारे गए। इस वीभत्स कांड का पूरे देश में व्यापक विरोध हुआ। पहले तो सरकार और पुलिस यह मानने को तैयार ही नहीं थी कि इसमें आशीष मिश्र मोनू का कोई हाथ है लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा फटकार लगाई गई और कोर्ट के निर्देश पर एक एसआईटी बनाई गई। इस एसआईटी ने कहा कि

लखनवी तहजीब में हैदराबादी बिरयानी का तड़का

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  असदुद्दीन ओवैसी के मिशन उत्तरप्रदेश के मायने Februay Edition of Chankaya Mantra कांशीराम ने 14 अप्रैल, 1984 को दलित वोटरों की राजनीति करने के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की स्थापना की थी। शुरू के दिनों में इसके साथ बहुत ज्यादा लोग नहीं जुड़े, बहुत से लोगों ने उनका मजाक भी उड़ाया। लेकिन कांशीराम अपने मिशन में रुके नहीं, अंततः कांशीराम ने 3 जून 1995 को बसपा की एक नेत्री मायावती को देश के सबसे बड़े प्रदेश, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर बिठा दिया। सिर्फ 11 साल में यह कल्पनातीत था। इसके साथ ही बसपा ने राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान हासिल कर लिया। कहने की बात है कि राजनीति में किसी को भी हल्के में कतई नहीं लिया जाना चाहिए। ऐसा ही कुछ ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के असदुद्दीन ओवैसी के साथ भी हो सकता है। ओवैसी की पार्टी इस समय देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनाव में दस्तक दे रही है। इससे कुछ दलों के दिलों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं जबकि कुछ के दिल बाग-बाग हैं। एआईएमआईएम 80 वर्ष से भी पुराना मुस्लिम संगठन है इसकी

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